मेट्रो (Jaipur Metro) ट्रैक अपडेट
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Jaipur Metro Rail Corporation Limited
Khanij Bhavan,
Behind Udyog Bhavan,
C-Scheme,
Jaipur- 302005
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Tel. No. : 0141-2385790, 0141-2385791 |
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Mob. No. : – |
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तकनीक और सुविधा के स्तर पर जयपुर के वर्ल्ड क्लास सिटी बनने की दिशा में जयपुर मेट्रो एक खास कदम होगा। राज्य में गहलोत सरकार के लिए भी मेट्रो नाम की नैया की सहारे जल्दी ही होने वाले विधानसभा चुनावों की नदी पार करना चाहेगी। देश के लिए भी यह एक खास कदम होगा क्योंकि जयपुर की मेट्रो सिर्फ ढाई साल में सबसे एडवांस तकनीक से बनकर तैयार है। दुनिया के लिए भी यह परीक्षा की घड़ी होगी क्योंकि इस ट्रेन में छह देशों की तकनीक इस्तेमाल की गई है। इसमें जर्मनी से हैवी इंजीनियरिंग का फार्मुला लिया गया है तो चेक रिपब्लिक, जापान, कोरिया और आस्ट्रेलिया के एक्सपर्ट्स ने भी भूमिका निभाई है।
जयपुर मेट्रो का निर्माण बैंगलोर की भारत अर्थ मूवर्स लिमि कंपनी में हो रहा है। यहां सौ से अधिक इंजीनियर्स और लगभग 14 सौ वर्कर मेट्रो के कोच के निर्माण में जुटे हैं। मेट्रो के 40 कोच के लिए 320 करोड रुपए खर्च किए जा रहे हैं यानि एक कोच पर करीब 8 करोड रुपए खर्च हो रहे हैं। जयपुर मेट्रो की एक रेल 32 करोड रुपए की होगी। इनमें से सबसे ज्यादा पैसा स्टील, बोगी, वायरिंग और कांच पर खर्च हुआ है।
बीईएमएल ने जयपुर मेट्रो के कोच के लिए न केवल दुनिया के टॉप लीडर्स से रॉ मेटेरियल खरीदा है बल्कि इसके लिए कोरिया भेजकर करीब 140 इंजीनियरों को ट्रेंड भी कराया है। जयपुर मेट्रो के लिए कोरिया, जापान, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, यूके और चेक रिपब्लिक से रॉ मेटेरियल खरीदा गया है। जयपुर की मेट्रो में 1230 यात्रियों की क्षमता होगी। एक ट्रेन में दो मोटर कार और दो ड्राइविंग ट्रेलर कार होंगे। एक मोटर कार में 340 और ड्राइविंग ट्रेलर कार मिें 315 लोग एक बार में सफर कर पाएंगे। जयपुर मेट्रो को 95 किमी प्रति घंटा की रफ्तार के हिसाब से डिजाइन किया गया है। लेकिन जयपुर में एक स्टेशन की दूसरे स्टेशन से दूरी एक किमी से भी कम है इसलिए इसकी ऑपरेशनल स्पीड 55 किमी प्रति घंटे के हिसाब से ही होगी।
जयपुर मेट्रो को भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड के सीजीएम बीएल मंजूनाथ के साथ जीएम शास्त्री, डीजीएम के प्रकाश, डीजीएम के सी शशिकांत, डीजीएम रमेश के एम की की टीम ने थीम दी है। इसके लिए टीम ने दुनिया सहित हमारे देश की सभी मेट्रो रेलों का अध्ययन किया। इसके बाद अब तक की आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल इस रेल में किया गया है।
मेट्रो के काम में देश के महारथी इंजीनियर लगे हुए हैं। इनमें स्टील वॉल्स यूनिट मैनेजर जी मुरली मोहने, कोच साइड वॉल्स यूनिट मैनेजर प्रसन्ना व शंकर रेड्डी, इंजीनियर पैनल यूनिट मैनेजर मधुसूदन सहित सौ से अधिक इंजीनियर लगे हुए हैं।
प्रदेश के नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल पिछले दिनों बेंगलुरू स्थित बीईएमएल गए थे। वहां उन्होंने जयपुर पिंक थीम से रेल के अगले हिस्सो को डिजाइन करने का विचार रखा। कई विशेषज्ञों से उन्होंने जयपुर के हेरिटेज लुक पर डिजाइन तैयार कराए। इसके बाद बेंगलुरू में इसे फाइनल किया गया। यानि रेल के अगले हिस्से में हेरिटेज लुक देता डिजाइन होगा। कोच पर पिंक लाइन भी होगी।
जयपुर मेट्रो के सीएमडी एनसी गोयल का कहना है कि बीईएमएल ने रेल को जो रूप दिया है उससे जयपुर मेट्रो सबसे अलग होगी। जयपुर के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डीएमआरसी अतुल गाडगिल का कहना है कि पहली रेल के कोच बेंगलुरू से 15 मई तक जयपुर पहुंचने की उम्मीद है। यहां सभी कोच को एसेम्बल कर रेल के रूप में शुरूआती ट्रायल किया जाएगा।
तैयार ट्रेन शेल्टर में लगी पटरियों पर रखी है। इसके एक एक कोच को ट्रैक्टर से खींचकर बाहर लाया जाएगा। बडे ट्रेलर पर क्रेन की सहायता से चढाया जाएगा। प्रक्रिया छह मिनट की होगी। इसके बाद ट्रेलर को जयपुर के लिए रवाना किया जाएगा। यह ट्रेलर 15 से 17 दिन में जयपुर पहुंच जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि पहली रेल के चार कोच 15 मई के आसपास जयपुर पहुंच जाएंगे।
जयपुर मेट्रो के निर्माण में मुख्य रूप से कोरिया की तकनीक का इस्तमाल किया गया है। इसके अलावा कई देशों की सामूहिक तकनीक में जो भी सर्वश्रेष्ठ है, उसको इस्तेमाल बीईएमएल के इंजिनियरों ने यहां किया है।
जयपुर मेट्रो की विशेषताएं-
हादसों से बचने के लिए उच्च तकनीक-
इस रेल में हादसों से बचने के लिए कॉलिजन बीम का इस्तेमाल किया गया है। इसमें आमने सामने भिड़ने की स्थिति में हादसे की गंभीरता को टालने की क्षमता है। यदि ट्रैक पर दो रेलें आमने सामने भिड भी गई तो पटरी से नहीं उतरेंगी। बल्कि एक दूसरे से चिपक जाएंगी। ऐसे में काफी हद तक जनहानि से बचा जा सकेगा।विकलांगों का खयाल-
जयपुर मेट्रो के ड्राइवर ट्रेलर में आगे और पीछे की ओर दो दो सीटों का इंतजाम किया गया है। ये गेट में प्रवेश के साथ ही लगी हैं। ये सीटें फोरसीटर हैं।सीसीटीवी कैमरे और कंट्रोल सिस्टम-
जयपुर मेट्रो के हर कोच के गेटों के दोनो ओर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। इनका कंट्रोल ट्रेन ऑपरेटर के पास रहेगा। इससे इसके जरिए यात्रियों पर भी नजर रखी जा सकेगी।ऑटोमेटिक ट्रेन ऑपरेटिंग सिस्टम-
मेट्रो में ऑटोमेटिक ट्रेन ऑपरेटिंग सिस्टम होगा। देा ऑपरेटर होंगे। जो सिस्टम पर निगरानी रखेंगे। पूरा कंट्रोल डिपो स्थित कंट्रोल रूम व ऑपरेटर के पास रहेगा।इको फ्रेंडली और पावर सेविंग-
जयपुर मेट्रो इको फ्रेंडली है। इसमें पावर की खपत भी कम होगी। पावर जेनरेशन के उपकरण भी लगाए गए हैं। विमान की तरह ही मेट्रो पूरी तरह साउंड प्रूफ होगी। इको फ्रेंडली दिल्ली मेट्रो के कारण दिल्लीका प्रदूषण स्तर साल में 6.30 लाख टन कम हुआ था। दिल्ली को 47 करोड कार्बन क्रेडिट के रूप में मिले।स्मोकिंग पर अलार्म-
जयपुर मेट्रो को टॉक्सिक फ्री बनाया गया है। यहां स्मोकिंग करते ही अलार्म बजेगा। जिससे तुरंत ही होने वाली हलचल से ट्रेन रुक जाएगी और स्मोकर को पकड़ा जा सकेगा।फायर फाइटर्स व सेंसर-
जयपुर मेट्रो में आग लगने की आशंका नहीं रहेगी। जैसे हीकहीं जरा भी धुआं जैसी स्थिति बनेगी। फायर फाइटिंग सिस्टम काम करने लगेगा और आग पर नियंत्रण पाया जा सकेगा।लिफि्टंग डोर-
जयपुर मेट्रो के गेट लिफ्ट का काम करेंगे। जैसे ही कोई अवरोध दोनो गेटों के बीच आएगा। गेट खुल जाएंगे। यानि गेट में किसी यात्री के फंसने जैसी स्थिति नहीं बनेगी। उल्लेखनीय है दिल्ली में मेट्रो के गेट में फंसने से एक युवक की मौत हो गई थी। इस स्थिति से बचने के लिए लिफि्टंग डोर का इस्तेमाल किया गया है।पब्लिक एड्रेसिंग सिस्टम-
जयपुर मेट्रो में विमानों की तरह रेल ऑपरेटर यात्रियों के बीच सूचनाएं अनाउंस कर सकेगा। ऑनलाइन पब्लिक एड्रेसिंग सिस्टम भी काम करेगा। इसमें ट्रेन कहां पहुंची, कौन सा स्टेशन छोड़ा, कौन सा आने वाला है, किस दिशा में आएगा, यह सब जानकारी अनांउस लगातार की जाएगी।इमरजेंसी कॉल के लिए फोन सुविधा-
जयपुर मेट्रो में यात्री सीट के पास आपातकालीन फोन सर्विस होगी। इससे यात्री सीधे ट्रेन ऑपरेटर से संपर्क कर सकेंगे। फोन के साथ कैमरा भी होगा ताकि ड्राइवर बात करने वाले को देख सके। लेकिन इस सेवा का उपयोग इमरजेंसी में ही किया जा सकेगा।माउंटेड डिस्कब्रेक-
जयपुर मेट्रो में माउंटेड डिस्कब्रेक लगे हैं। इससे यात्रियों को गाडी चलने या रुकने पर झटके नहीं लगेंगे। नई तकनीक के ये व्हील माउंटेड डिस्कब्रेक के कारण पहिए बबलिंग नहीं करेंगे। इससे झटका नहीं लगेगा।फास्ट पिकअप-
जयपुर मेट्रो का पिकअप दिल्ली मेट्रो से अधिक होगा। जयपुर मेट्रो में ’बोल्स्टर लेस बोगी’ होगी। यह सिस्टम 9 तरह के वाइब्रेशंस पी जाता है और ट्रेन की स्पीड बढाता है।यात्रियों को लिए एलसीडी-
जयपुर मेट्रो में एलसीडी स्क्रीन लगी होगी। इन स्क्रीन्स पर आने वाले स्टेशन सहित शहर के बारे में अन्य जानकारियां भी दी जाएंगी। दिल्ली मेट्रो में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है।स्टैण्डर्ड गेज पर चलेगी मेट्रो-
जयपुर मेट्रो स्टैंडर्ड गेज पर चलेगी। अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार स्टैण्डर्ड गेज पर रेल गति में रहकर भी नियंत्रित रहती है।
यहां भूमिगत होगी मेट्रो
अम्बाबाड़ी से सीतापुरा तक जाने वाले मेट्रो ट्रैक को अजमेरी गेट से सांगानेर पर भूमिगत रखने और एयरपोर्ट से जोड़ने की योजना पर विचार किया जा रहा है। प्लान के मुताबिक पानीपेच से यह ट्रैक अजमेरी गेट तक भूमिगत है और यहां से इसे सांगानेर तक एलीवेटेड बनाने की योजना थी, किंतु अब हो सकता है अजमेरी गेट से ही ट्रैक जमीन के अंदर ही बिछे। जयपुर मेट्रो को सांगानेर एयरपोर्ट से जोड़ने की तैयारी चल रही है। राज्य सरकार चाहती थी कि मेट्रो एयरपोर्ट से जुड़े प्रस्तावित रूट में सांगानेर के अंदर से होकर सीतापुरा की ओर मुड़ता था। नए रूट के अनुसार दुर्गापुरा, लक्ष्मीनगर, सांगानेर के बाद रूट एयरपोर्ट होकर सीतापुरा के लिए निकलेगा। दूसरे फेज में मेट्रो ट्रैक की लम्बाई लगभग 24 किमी है। यह ट्रैक अम्बाबाड़ी से सिंधी कैंप, अजमेरी गेट, नारायणसिंह सर्किल, गोपालपुरा, एयरपोर्ट होकर सीतापुरा निकलेगा। इस रूट पर 16 भूमिगत स्टेशन और 4 एलिवेटेड स्टेशन होंगे। इससे पूर्व इस रूट को एलीवेटेड बनाने की योजना थी और उसी पर कार्य आरंभ भी हो चुका था। इस कार्य पर लगभग 20 करोड का खर्च भी हुआ। एलीवेटेड ट्रैक बनाने के लिए पिलर्स खड़े किए गए। लेकिन अब नए प्लान के लिए सर्वे किया जा रहा हैं, इसके तहत यह ट्रैक भूमिगत होगा।
जयपुर मेट्रो में नहीं होंगे जयपुर के प्रतीक
जयपुर के मानसरोवर से रेल्वे स्टेशन के मेट्रो रेल भले ही जुलाई में शुरू हो जाए लेकिन जयपुर मेट्रो में अभी जयपुर के प्रतीक नजर नहीं आएंगे। शुरूआती एक डेड माह तक लोग जयपुर मेट्रो के लिए बनवाए गए विशेष कोच में नहीं बल्कि डीएमआरसी के कोचों में सवारी करेंगे। इसलिए न तो कोच पर गुलाबी रंग की पट्टी दिखेगी और न ही महलों और किलों के चित्र दिखाई देंगे। जयपुर मेट्रो के लिए कोच निर्माण का जिम्मा बेंगलुरू स्थित बीईएमएल को दिया गया है। जहां 10 ट्रेनों के 40 कोच निर्माणाधीन हैं। मानसरोवर से चांदपोल तक मेट्रो कोरीडोर के निर्माण की सुस्त चाल और कोचों के निर्धारित शेड्यूल की बजाय देरी से पहुंचने के कारण अब सरकार ने पहले दिल्ली मेट्रो की तीन ट्रेन मंगाकर मेट्रो चलाने का निर्णय किया है। पूर्व में बेंगलुरू 15 अप्रेल तक दो ट्रेन के पहुंचने का कार्यक्रम था लेकिन अब मई तक पहुंचेंगे। संचालन की शुरूआत में प्रत्येक स्टेशन पर 12 से 15 मिनट के अंतराल पर मेट्रो मिलेगी।
दिल्ली से तीन ट्रेन मंगाई जाएंगी। जयपुर मेट्रो की शुआत में चार चार कोच की दो रेल चलेंगी। एक रेल को आरक्षित रखा जाएगा। किसी रेल के खराब या रख रखाव के लिए संचालन रोकने पर उसको काम में लिया जाएगा।
मेट्रो ट्रेक पर नए कोच का व्यावसायिक संचालन करने से पहले रेलवे संरक्षा आयुक्त रेलवे बोर्ड और डिजाइन एंड स्टेंडडर्स आर्गेनाइजेशन की स्वीकृति चाहिए। इस स्वीकृति के लिए कोचों का निर्धारित समयावधि तक ट्रायल व अन्य जांच जरूरी हैं। इस प्रक्रिया में दो से तीन माह का समय लगता है। इस समय से बचने व जनता को जल्द से जल्द मेट्रो की सवारी कराने के लिए दिल्ली से डीएमआरसी के स्वीकृत कोच मंगाए जाएंगे। डीएमआरसी के कोच सभी जांचों व स्वीकृति से प्रमाणित होंगे। बस इन्हें दिल्ली से जयपुर चलाने के लिए रेल्वे बोर्ड से अनुमति लेनी होगी।
जयपुर पुलिस करेगी मेट्रो की सुरक्षा
जयपुर मेट्रो की सुरक्षा की जिम्मेदारी शहर पुलिस के पास ही होगी। पुलिस के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद मुख्यमंत्री ने मेट्रो के लिए 633 कांस्टेबल भर्ती के लिए पुलिस मुख्यालय को निर्देश दिए हैं। यह भर्ती वर्तमान में चल रहे कांस्टेबल भर्ती में ही की जाएगी।
मेट्रो के 9 स्टेशन व रेलवे लाइन की सुरक्षा व्यवस्था के लिए जेएमआरसी ने सीआईएसएफ का जाप्ता लेने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा था। केंद्र सरकार ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि मेट्रो के लिए किसी भी राज्य को सीआईएसएफ का जाप्ता नहीं दिया गया। यह केवल दिल्ली मेट्रो की सुरक्षा ही देख रही है। इसके बाद शहर पुलिस से जानकारी ली गई थी।
शहर पुलिस ने मेट्रो की सुरक्षा के लिए एक प्रपोजल भेजा था, जिसमें 787 पुलिसकर्मियों की आवश्यकता बताई थी। इसमें 633 कांस्टेबल शामिल हैं। सरकार ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। मंजूरी के साथ ही मुख्यमंत्री ने 633 कांस्टेबलों की भर्ती के आदेश भी जारी कर दिए हैं। प्रदेश में पुलिस कांस्टेबलों की भर्ती चल रही है। सभी जिलों में लिखित परीक्षा हो चुकी है। कईजिलों में परिणाम आने के बाद शारीरिक दक्षता आरंभ हो गई है। जयपुर शहर का परिणाम अभी नहीं आया है। इस आदेश के बाद अब जो परिणाम आएगा उसमें 633 पद अतिरिक्त शामिल होंगे।
मेट्रो सुरक्षा के जाप्ते में एक डीसीपी, एक एडिशनल डीसीपी, एक एसीपी, 3 इंस्पेक्टर, 11 सब इंस्पेक्टर, 37 असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर, 100 हैड कांस्टेबल और 633 कांस्टेबल होंगे।
ट्रायल के लिए डिपो तैयार
02 अप्रैल
जयपुर।
जयपुर के मानसरोवर में बन रहे मेट्रो डिपो का काम लगभग पूरा हो चुका है। बेंगलुरू से कोच आने के बाद मेट्रो का ट्रायल इसी डिपो में किया जाएगा। डिपो मेट्रो के ट्रायल के लिए तैयार है। ट्रायल के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। साथ ही 10 अप्रैल तक विद्युत कनेक्टीविटी भी कर ली जाएगी। मेट्रो के कोच 15 अप्रैल तक जयपुर पहुंचने की संभावना है। मेट्रो कोच के निर्धारित शेड्यूल को देखते हुए डीएमआरसी ने मानसरोवर डिपो में पटरियां बिछाने और ओवरहैड इलैक्ट्रीफिकेशन का काम पूरा कर लिया है। डिपो में साढे 4 किमी लम्बी पटरियां बिछाई गई हैं। मानरोवर डिपो में 24 घंटे बिजली की निर्बाध आपूर्ति के लिए जेवीवीएनएल से 132 केवी के दो डेडीकेटेड फीडर लिए गए हैं।
डीएमआरसीकी ओर से शिप्रापथ पर रिसीव सब स्टेशन बनाया गया है। विद्युत के दोनो 132 केवी डेडीकेटेड फीडर मेट्रो के आरएसएस तक पहुंचेंगे। यहां वोल्टेज कम करके डिपो तक 25केवी और 33केवी के दो फीडर पहुचाए जाएंगे। मेट्रो रेल 25 केवी के फीडर से चलेगी।
मेट्रो के लिए एक ट्रेन के चार कोच अगले सप्ताह बेंगलुरू से रवाना होंगे। जो 14 अप्रैल को जयपुर पहुंच जाएंगे। पहले दिल्ली से पुराने कोच मंगाकर ट्रायल करने का प्रस्ताव था। लेकिन अब नए कोच के साथ ही ट्रायल किया जाएगा।अप्रैल के अंत तक सभी 40 कोच जयपुर पहुंच जाएगे।
जयपुर में बनेगा अत्याधुनिक सब-वे
-जुडेंगे जंक्शन, मेट्रो स्टेशन और बस स्टैण्ड-
राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम ने जयपुर में विश्वस्तरीय मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट हब बनाने की योजना बनाई है। अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस इस हब में रेल, मेट्रो वस सहित यातायात सुविधाएं आपस में जोड़ी जाएंगी। रोडवेज निजी कंपनी को मुख्यालय की जमीन होटल, मॉल, माल्टीप्लेक्स सहित सहित अन्य व्यावसायिक गतिविधियों के लिए देगा और बदले में वह जयपुर और वैशाली नगर के क्षेत्र को विकसित कर हब बनवाएगा। योजना अमल में लाने के लिए रोडवेज ने सेंट्रल वर्कशॉप को भी बगराना में शिफ्ट करने की कवायद शुरू कर दी है। योजना के प्रारूप को नौ अप्रैल को सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। करीब एक हजार करोड की इस योजना को मंजूरी मिलने के बाद निविदाएं आमंत्रित की जाएंगी।
हब के लिए तैयार किए गए प्रारूप के अनुसार यात्रियों को हब में वे तमाम सुविधाएं मिलेंगी जो कि दिल्ली जैसे एयरपोर्ट पर उपलब्ध होती हैं। फिर चाहे वेटिंग रूम की बात हो या वेडिंग मशीन से पेय पदार्थों की, आनलाइन टिकिटिंग की बात हो या टेलीफोनिक टिकिटिंग की। खास बात यह है कि हब के लिए बनाए जाने वाले डिपो को भी अंडरग्राउंड किया जा सकता है। जयपुर और वैशालीनगर डिपो में से एक डिपो को डीलक्स डिपो में शिफ्ट करने की तैयारी की गई है। योजना पर अमल हुआ तो यात्री ट्रेविलेटर के सहारे मेट्रो और रेल्वे स्टेशन से आ जा सकेंगे। इसके लिए रोडवेज हब से रेलवे और मेट्रो स्टेशन को सब वे के सहारे जोडेगा और यात्री इस पट्टे पर चढकर आ जा सकेंगे। योजना तैयार करने वाली संस्था पीडीकोर ने तीन उपाय सुझाए हैं लेकिन इसे ही सर्वश्रेष्ठ बताया गया है।
रोडवेज के अध्यक्ष और प्रबंध निदेश मनजीत सिंह का कहना है कि – ’ यात्रियों को विश्वस्तर की सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए यह योजना तैयार की गई है, सरकार इसे मंजूर करती है तो यात्रियों को एक साथ कई बेहतर सुविधाएं मिलेंगी। इस हब में होटल, मॉल, मल्टीप्लेक्स सहित तमाम सुविधाएं मिलेंगी। ’
मेट्रो के काम में तेजी
जयपुर में मेट्रो के काम में तीन महिने बाद एक बार फिर तेजी आ गई है। करीब तीन माह से अजमेर रोड रेल्वे ओवरिब्रिज व श्याम नगर मेट्रो स्टेशन के पास अटका हुआ काम गुरूवार से फिर आरंभ हो गया। रेल्वे सुरक्षा आयुक्त से हरी झंडी मिलने के बाद अजमेर रोड आरओबी पर सेगमेंट लांचिंग का काम शुरू हो गया। अजमेर रोड आरओबी व हसनपुरा आरओबी के बीच रेल्वे लाइन पर सेंगमेंट लांचिंग के लिए रेल्वे बोर्ड से अनुमति नहीं दी गई थी। इससे तीन माह से यहां काम रुका हुआ था। इसी प्रकार श्याम नगर मेट्रो स्टेशन के पास पिलर नंबर 121 के डिजाइन में बदलाव को स्वीकृति मिलने के बाद यहां सेंगमेंट लांचिंग शुरू हो गई।
’मेट्रो स्पीड’ से काम शुरू
काफी समय से मेट्रो का काम ढीला-ढाला चल रहा था। लेकिन अब मेट्रो के काम में तेजी आ गई है। अब जल्द से जल्द मेट्रो चलाने के लिए चौबीस घंटे काम किया जा रहा है। काम में तेजी लाने के लिए फर्म ने दस प्रतिशत मजदूर भी बढा दिए। अब फर्म समय पर काम निबटाने का दावा कर रही है। फर्म के अधिकारियों के हवाले से 5 मई तक मानसरोवर डिपो में रैंप भी बन जाने का दावा किया गया है। मानसरोवर मेट्रो स्टेशन, गुर्जर की थडी और न्यू सांगानेर रोड पर अब मेट्रो का काम चौबीस घंटे तेज रफ्तार से चल रहा है। मेट्रो डिपो में ट्रैक बिछाने का काम लगभग पूरा हो गया है। डीएमआरसी के हवाले से कहा गया है कि अब बस ट्रेन रिसीव करने की तैयारी की जा रही है।
सरकार करे मेट्रो की सुरक्षा
जयपुर मेट्रो रेल कॉर्परेशन ने दिल्ली की तरह जयपुर मेट्रो का सुरक्षा खर्च राज्य सरकार से उठाने की मांग की है। साथ ही कहा है कि इसके लिए चालीस वर्ष की उम्र तक के ही जवान लगाए जाएं। गौरतलब है कि दिल्ली मेट्रो की सुरक्षा कर रही सीआईएसएफ का खर्च केंद्र सरकार उठा रही है। जेएमआरसी के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक निहालचंद गोयल ने दो दिन पहले मुख्य सचिव सीके मैथ्यू को पत्र लिखकर कहा कि जयपुर मेट्रो की सुरक्षा के लिए मेट्रो पुलिस बनाने का प्रस्ताव गृह विभाग को भेजा गया था। इसकी प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति जारी हो गई है। लेकिन मेट्रो पुलिस का जिम्मा जेएमआरसी को दे दिया गया है। जेएमआरसी के लिए यह खर्च उठाना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि 15 मई तक मेट्रो के चार कोच यहां पहुंच जाएंगे।
बैंगलुरू से चली जयपुर मेट्रो
जयपुर की मेट्रो के चार डिब्बे सड़क मार्ग से बैंगलुरू से रवाना कर दिए गए हैं। इसके 15 से 20 मई तक जयपुर पहुंचने की संभावना है। बेंगलुरू में भारत अर्थ मूवर्स लिमि में तैयार चार कोच की रवानगी से पहले कंपनी के सीजीएम के सज्ञथ अधिकारियों व कर्मचारियों की मौजूदगी में पूजन किया गया। पुरोहितों ने मंत्रोच्चार के किया और सभी कोच एक एक कर ट्रेलर में लोड किए गए। देश में चल रही मेट्रो ट्रेनों म्रें यह पहली ऐसी ट्रेन है जो पूरी तरह भारतीय कंपनी में तैयार की गई है। इसके पार्ट्स भारत सहित सात देशों से मंगवाए गए हैं। इधर जयपुर में श्रमिकों ने मेट्रो के लिए ट्रैक बनाने का काम तेज कर दिया है।
इस रूट से आएगी-
बेंगलुरू से टुमकुर, सिरा, हिरियुर, चित्रादुर्ग, देवनगर, बंकापुर, हुबली, बेलगाम, कोल्हापुर, गोकुल श्रीगांव, शिरोली, केसगांव, कराड, सतारा, खंडाला, नवी मुंबई, ठाणे, भिलाड, नवासरी, अंकलेश्वर, वडोदरा, हिम्मतनगर, ऋषभदेव, उदयपुर, नाथद्वारा, राजसमंद, ब्यावर, अजमेर, किशनगढ, जयपुर।
ट्रेलर भी बीईएमएल का-
64 पहियों वाला यह ट्रेलर भी बीईएमएल में ही तैयार किया गया है। यह प्रतिदिन औसतन 200 से 250 किमी चलेगा। ट्रेलर पर कोच को तिरपाल से ढका गया है। मार्ग में चालक शिफ्ट के अनुसार इसे चलाएंगे।
अगस्त में चलेगी मेट्रो
जयपुरवासियों को जून में मेट्रो की सवारी कराने का दावा करने वाली राज्य सरकार ने खुद मान लिया है कि वह जुलाई तक मेट्रो का नियमित संचालन शुरू नहीं कर पाएगी। अब नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने अगस्त के पहले सप्ताह में लोगों को मेट्रो सफर कराने का दावा किया है। साथ ही कहा है कि सरकार जुलाई के अंत तक चांदपोल से बड़ी चौपड तक भूमिगत मेट्रो कोरिडोर का शिलान्यास कर देगी। धारीवाल ने गुरूवार को अपने निवास पर मेट्रो परियोजना की समीक्षा बैठक में अधिकारियों से काम की जानकारी ली।
जयपुर मेट्रो की समीक्षा बैठक कल
जयपुर में जयपुर मेट्रो की समीक्षा बैठक रविवार को होगी। नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल रविवार को जयपुर मेट्रो की समीक्षा बैठक लेंगे। इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए डीएमआरसी के एमडी मंगू सिंह और डीएससी कंपनी के चेयरमैन व एमडी को भी बुलाया गया है। बैठक में जेएमआरसी के सीएमडी निहालचंद्र गोयल सहित अन्य अधिकारी भी मौजूद होंगे। बैठक दोपहर 12.30 बजे से मंत्री शांति धारीवाल के निवास पर आरंभ होगी। इस बैठक से पहले मंगू सिंह मेट्रो रूट कादौरा करेंगे। वे डीएमआरसी के अधिकारियों के साथ विभिन्न तकनीकि पहलुओं पर भी बातचीत करेंगे। उल्लेखनीय है कि धारीवाल ने पिछले दिनों मेट्रो के कार्यों का जायजा लिया था। इसके बाद मेट्रो की समय सीमा एक महीना बढा दी गई थी। विधानसभा चुनाव को देखते हुए अब इसे और आगे बढाना सरकार के लिए घाटे का सौदा हो सकता है।
मेट्रो कोरिडोर के नीचे कब्जा
जयपुर में मेट्रो परियोजना का ऐलिवेटेड कोरिडोर एवं स्टेशन अब आकार लेने लगे हैं। नगर निगम और जेडीए की लापरवाही की नीचे इन कोरिडोर के नीचे अतिक्रमण होने लगा है और यहां बड़ी मात्रा में थड़ी ठेले वाले जम गए हैं। अगर इन कोरिडोर के नीचे की जमीन के लिए कोई योजना नहीं बनाई गई तो इनका वही हाल होगा जो जयपुर के अन्य फ्लाईओवर्स के नीचे की जमीनों का हुआ है। जैसे जैसे मेट्रो परियोजना के तहत कोरिडोर का काम पूरा होते जा रहा है डीएमआरसी इनके नीचे सीमेंट के ब्लॉक्स से डिवाइडर बना देती है। इन ब्लॉक्स को ये अतक्रिमी आसानी से तोड़ देते हैं और कब्जा कर लेते हैं।
जयपुर मेट्रो में अधिकारियों की नियुक्ति
जयपुर मेट्रो में अधिकारियों की नियुक्ति हो गई है। अगस्त से लोगों को मेट्रो रेल की सवारी कराने की तैयारियां भी अब तेज हो गई हैं। मेट्रो कोरिडोर पूरा करने में तेजी के साथ ही स्टाफ की नियुक्तियां शुरू हो गई हैं। संचालन के मद्देनजर जयपुर मेट्रो रेल कॉर्परेशन के विभिन्न विभागों में 17 विशेषज्ञ अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर लगाए गए हैं। साक्षात्कार के जरिए इस महिने के अंत तक कुल 64 अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर लगाए जाएंगे। ये विशेषज्ञ अधिकारी ऐसे हैं जो प्रशिक्षण बिना ही मेट्रो का काम संभाल सकेंगे। इसके लिए बीएसएनएल, जेवीवीएनएल, डीएमआरसी, रेलवे, स्ट्रूंमेंशन लिमि कोटा सहित अन्य कंपनियों, विभागों से विशेषज्ञ अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर लिया जा रहा है।
कैंटीलीवर पर तार खिंचने बाकी – मेट्रो का काम लगभग पूरा है। शहर में प्रमुख मेट्रो रूट का ढांचा तैयार हो गया है और पटरियां भी बिछा दी गई हैं। विभाग पूरी शिद्दत से काम में जुटा है। काम के घंटे और श्रमिक बढाए गए हैं। जिन प्रमुख ढांचों को बनने में समय लग सकता है वे रेडीमेड तैयार कराए जा रहे हैं। राजधानी के लोगों को शीघ्र ही मेट्रो में सवारी करने का अवसर मिलेगा। मेट्रो रेल के लिए न्यू आतिश मार्केट स्टेशन से मानसरोवर स्टेशन तक मेट्रो का एलिवेटेड कोरिडोर लगभग तैयार हो चुका हे। पटरियां बिछ चुकी हैं। बिजली सप्लाई के लिए कैंटीलीवर लगाने का काम भी पूरा हो चुका है। अब केवल उनमें तार खिंचने बाकी हैं। दिक्कत बस यही है कि मानसरोवर डिपो से कोरिडोर पर मेट्रो रेल चढाने के लिए रैंप नहीं बन पाया है। इसका काफी काम अभी बाकी है।
मेट्रो के लिए उधार
जयपुर में चांदपोल से बड़ी चौपड़ तक मेट्रो रेल का भूमिगत कोरिडोर बनाने के लिए एशियन विकास बैंक से कर्जा लेने की राह में महत्वपूर्ण सीढी पार कर ली गई है। केंद्र सरकार के आर्थिक मामलात मंत्रालय की स्क्रीनिंग कमेटी की बुधवार को दिल्ली में हुई बैठक में बैंक से कर्जा लेने पर सैद्धांतिक सहमति दी गई। अब राज्य सरकार की ओर से यह कर्जा लेने के संबंध में केंद्र सरकार गारंटी दे सकेगी। बिना केंद्र की गारंटी के बैंक ऋण नहीं देता। जयपुर मेट्रो रेल कॉर्परेशन के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक एनसी गोयल के अनुसार कमटी में कोरिडोर निर्माण के लिए 969 करोड रूपए का कर्जा लेने का प्रस्ताव रखा गया था। इस पर सैद्धांतिक सहमति तो दे दी गई है लेकिन कितनी राशि का कर्जा लिया जा सकेगा इस पर स्थिति एक दो दिन में स्पष्ट हो जाएगी।
कल रात पहुंचेगी ’जयपुर मेट्रो’
जयपुर मेट्रो ने शुक्रवार की सुबह प्रदेश की सीमा में प्रवेश किया। बेंगलुरू से रवाना हुए जयपुर मेट्रो के कोच अब 18 मई की आधी रात को जयपुर पहुंच जाएंगे। पहले इन्हें 20 मई तक जयपुर पहुंचना था। लेकिन शुक्रवार को सुबह रतनपुर, गुजरात बॉर्डर से प्रदेश की सीमा में प्रवेश कर गए और देर रात तक उदयपुर को पार कर लिया था। अब नाथद्वारा, ब्यावर, अजमेर होते हुए कोच जयपुर पहुंचेंगे। जयपुर मेट्रो रेल कॉर्परेशन 21 मई को मानसरोवर डिपो में औपचारिक कार्यक्रम आयोजित करेगा।
मानसरोवर मेट्रो डिपो पर तैयारियां तेज
जयपुर में बेंग्लुरू से आ रहे कोच राजस्थान की सीमा में प्रवेश कर गए हैं। रविवार 19 मई की रात संभवत: कोच यहां पहुंच जाएंगे। कोच निर्धारित कार्यक्रमानुसार ही जयपुर पहुंच जाएंगे। इसे देखते हुए मेट्रो ट्रैक और डिपो का काम और तेज हो गया है। मानसरोवर डिपो में कोचों को खड़ा करने के लिए यार्ड तैयार हैं। बेंग्लुरू से आने वाले कोच यहीं खड़े किए जाएंगे। ज्यों ज्यों मेट्रो रेल चलाने का समय नजदीक आ रहा है, ट्रैक सहित स्टेशनों पर काम तेज हुआ है, मानसरोवर डिपा लगभग तैयार है।
विद्युत सब स्टेशन तैयार
दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्परेशन ने डिपो में बिजली सप्लाई देने के लिए डीएमआरसी ने किरण पथ पर बनाए गए 132 केवी सब स्टेशन की तैयारी पूरी कर ली है। सब स्टेशन में विद्युत सप्लाई शुरू करने के लिए शुक्रवार को ट्रायल किया। डीएमआरसी के महाप्रबंधक एमके सिंघल के अनुसार 20 मई तक डिपो में 33 केवी की सप्लाई शुरू कर दी जाएगी। मेट्रो चलाने के लिए ट्रैक पर ओवर हैड इलैक्ट्रीफिकेशन को 25 केवी सप्लाई एक सप्ताह में शुरू होगी।
64 पहियों पर आ रहे हैं कोच
जयपुर मेट्रो के लिए बेंग्लुरू स्थित भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड में कोचों का निर्माण किया जा रहा है। बीईएमएल जयपुर मेट्रो की 10 ट्रेनों के 40 कोचों का निर्माण कर रहा है। चार कोच की एक ट्रेन 29 अप्रैल को बेंग्लुरू से रवाना हुई थी। बीईएमएल की ओर से विशेष तौर पर तैयार किए गए 64 पहियों के ट्रेलर पर कोचों को जयपुर लाया जा रहा है। ट्रेलर 20 से 30 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से जयपुर की ओर बढ रहा है।
अधूरा है बहुत काम
मेट्रो के कोच तो आने वाले ही हैं लेकिन बहुत जगह एलीवेटेड रोड का काम अभी भी अधूरा ही पड़ा है। इसलिए कोचों को एलीवेटेड ट्रैक पर नहीं उतारा जाएगा। किसान धर्मकांटा, गुर्जर की थड़ी और रामनगर स्टेशन के पास एलीवेटेड कोरीडोर का बहुत सा काम बाकी है। मानसरोवर डिपो से कोचों को एलिवेटिड कोरिडोर पर चढाने के लिए निर्माणाधीन रैंप अभी अधूरा पड़ा है। इसके मई में पूरा होने के आसार नहीं है। हालांकि मानसरोवर स्टेशन एवं न्यू आतिश मार्केट स्टेशन का काम अब गति पकड़ या है। स्टेशनों का स्वरूप अब निखर कर सामने आने लगा है।
जयपुर आकर असेंबल होंगे कोच
कोचों के यहां पहुंचने के बाद उन्हें ट्रैक पर उतारने का काम किया जाएगा। इसमें एक सप्ताह का समय लगेगा। कोचों के पहुंचने के बाद उन्हें एसेंबल किया जाएगा। इसके लिए बीईएमएल की टीम भी जयपुरन पहुंच चुकी है। यह टीम कोचों के विभिन्न भागों को जोड़ेगी। उसके बाद कोचों का डिपो में ट्रायल शुरू होगा।
ट्रेलर के लिए डिपो तक नई रोड
कोच आने की सूचना के साथ ही मानसरोवर स्थित मेट्रो डिपो में तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इंजीनियर, मजदूर व अन्य कर्मचारी दिन भर जुटे रहे। ट्रेलर को डिपो में अंदर घुसने के लिए नई सड़क बनाई जा रही है। जेएमआरसी की ओर से प्रस्तावित कार्यक्रम के लिए डिपो में तैयारी की जा रही है। डीएमआरसी और अनुबंधित फर्म के अधिकारी डिपो के ट्रैक की जांच के साथ छोटी मोटी कमियां पूरी करने में जुटे हैं।
जंगल विकसित करेगा मेट्रो रेल प्रबंधन
जयपुर मेट्रो रेल कॉर्परेशन मेट्रो से न केवल प्रदूषण को काफी हद तक कम करेगा बल्कि पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए घाट की गूणी के पास नया वन भी तैयार करेगा। इस संबंध में जयपुर मेट्रो प्रबंधन ने वन विभाग के साथ बातचीत कर ली है। जयपुर मेट्रो प्रबंधन का मानना है कि उनकी ओर से किए जा रहे कामों और ट्रेन चलने के दौरान होने वाले मामूली से भी पर्यावरण प्रदूषण की भरपाई वे एक घना जंगल तैयार कर पूरी करेंगे। इसकी रूपरेखा अभी से तैयार कर ली गई है। इसकी वजह है कि जब ट्रेन का संचालन नियमित हो जाएगा तो उसके समानांतर एक वन भी तैयार हो जाएगा। इससे वातावरण को और ऑक्सीजन मिल सकेगी और शुद्धता बढेगी। जयपुर मेट्रो की ओर से जंगल तैयार करने के लिए पौधरोपण पर तीस लाख रूपए खर्च किए जाएंगे। वन विभाग से ही ये पौधे खरीदकर उन्हें लगवाया जाएगा। जयपुर मेट्रो की ओर से वन विभाग इनकी देख रेख करेगा। ताकि पौधे सही ढंग से पनप सकें।
मेट्रो के लिए स्लंग मशीन
जयपुर पहुंचे मेट्रो कोच को जल्दी एलिवेटिड कॉरीडोर पर दौड़ाने के लिए दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्परेशन ने अंडर स्लंग मशीन मंगा ली है। इस मशीन से मानसरोवर डिपा से ऐलिवेटिड कॉरिडोर के बीच निर्माणाधीन रैंप का काम जल्दी पूरा हो जाएगा। जिससे कोचों का ऐलिवेटिड कॉरिडोर पर ट्रायल भील जल्द शुरू हो सकेगा। बैंगलुरू से आ रहे कोच रविवार देर रात तक जयपुर पहुंच सकेंगे। भाजपा के राज्यव्यापी बंद के कारण सुरक्षा कारणों से कोच ला रहे ट्रेलर को चित्तौड ही रोक दिया गया था। कोच यहां से रविवार सुबह जयपुर के लिए रवाना होंगे। मानसरोवर डिपो में कोच के ट्रायल की तैयारी पूरी कर ली गई है, लेकिन ऐलिवेटेड कोरिडोर तक कोचों को पहुंचाने के लिए रैंप के निर्माण में देरी है। इसके अलावा मानसरोवर स्टेशन के आगे रिवर्स लाइन के सेंगमेंट लांचिंग का भी काफी काम बाकी है। सरकार अगस्त में मेट्रो चलाना चाहती है। ऐसे में डीएमआरसी को 30 जून से पहले रैंप और रिवर्स लाइन ट्रेन का निर्माण कराना होगा। डीएमआरसी ने अंडर स्लंग मशीन मंगाई है जिसे 21 मई तक फिक्स करके सेंगमेंट का काम किया जाएगा।
मेट्रो आज पहुंची जयपुर
आखिर लंबे इंतजार के बाद जयपुर मेट्रो सोमवार दोपहर जयपुर पहुंच ही गई। जयपुरवासी मंगलवार को मेट्रो की झलक पा सकेंगे। जबकि इसमें सफर के लिए अभी और इंतजार करना होगा। चार कोच वाली इस पहली मेट्रो ने बैंगलुरू से जयपुर तक 2400 किमी का सफर तय किया। यह बैंगलुरू से 29 अप्रैल को रवाना हुई थी। चार ट्रेलर पर बीस लोगों की टीम की मदद से इसे यहां लाया गया है। मंगलवार शाम साढे 5 बजे विधि विधान से मेट्रो की पूजा अर्चना होगी। लगभग 45 दिन कोच के हर हिस्से की जांच होगी। जुलाई में ट्रायल किया जाएगा। मेट्रो के चार कोचों की दूसरी खेप 31 मई को रवाना होकर 20 जून को जयपुर पहुंचेगी।
जयपुर मेट्रो से उठा पर्दा
जयपुर मेट्रो का दीदार मंगलवार को हो ही गया। कोच को जिन पर्दों से ढक कर रखा गया था वे पर्दे मंगलवार को हटा दिए गए। इस मौके पर नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल और अफसरों ने मेट्रो की विधिवत पूजा की। धारीवाल ने कहा कि शहरवासी एक अगस्त से मेट्रो का सफर कर सकेंगे। चार कोच की इस ट्रेन की डेढ माह तक बारीकी से तकनीकि जांच की जाएगी। मंगलवार शाम छह बजे सिल्वर कलर के एक कोच को मानसरोवर डिपो के ट्रैक पर उतारा गया। डिपो में रॉलिंग स्टॉक समारोह का आयोजन किया गया। अन्य तीन कोच बुधवार को पटरी पर उतारे जाएंगे। मेट्रो ट्रेन 1 अगस्त से दौड़ेगी। इसके लिए दिल्ली से दो ट्रेनें भी मंगवाई जाएंगी। ये ट्रेनें पहले से टेस्टेड होंगी। जयपुर में कुल दस मेट्रो चलेंगी जिनमें चालीस कोच होंगे।
मेट्रो कोच की जांच कल से
जयपुर के मानसरोवर डिपो में मेट्रो ट्रेन के सभी चार कोचों को ट्रेलर से उतार कर ट्रैक पर खड़ा कर दिया गया है। एक-एक कोच डीजल शल्टर से खींचकर टेस्टिंग यार्ड में ले जाया जाएगां जहां गुरूवार से कोचों की जांच शुरू हो जाएगी। कोच की जांच के लिए बीईएमएल की टीम और डीएमआरसी की रॉलिंग स्टॉक टीम यहां पहुंच चुकी है। इसके अलावा गुरूवार तक डीएमआरसी की ऑपरेशन एंड मेंटीनेंस टीम भी पहुंच जाएगी। कोच के विभिन्न पार्ट की निर्माता कंपनियों के इंजीनियर भी आगामी दो तीन दिन में यहां पहुंच जाएंगे। उसके बाद कोच की विभिन्न स्तर की जांच होंगीं।
कोचों की जांच के लिए जुटे इंजीनियर
बेंगलुरू से बनकर आए जयपुर मेट्रो के कोचों को गुरूवार को मानसरोवर डिपो के यार्ड में जोड दिया गया। अब मेट्रो की जांच का काम शुरू हो गया है। यार्ड में कोच के एक एक पुर्जे की जांच की जाएगी। इसके लिए दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्परेशन, भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड और कोच में लगे विभिन्न पुर्जों की निर्माता कंपनियों के इंजीनियर जयपुर पहुंच चुके हैं। करीब एक महीने तक चलने वाली इन जांच के बाद कोचों के विद्युतीकरण का काम होगा। निश्चित अंतराल पर वोल्टेज बढाकर कोचों को विद्युत आपूर्ति दी जाएगी। जिसके बाद ये चार्ज होंगे। विद्युतीकरण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद कोचों का डिपो में ट्रायल शुरू होगा।
मेट्रो रेल ही उठाएगी सुरक्षा खर्च
जयपुर मेट्रो की सुरक्षा के लिए लगने वाली पुलिस का खर्च जयपुर मेट्रो रेल कॉर्परेशन को ही उठाना होगा। इस खर्च को राज्य सरकार की ओर से वहन किये जाने का जेएमआरसी का प्रस्ताव विभाग ने खारिज कर दिया है। ऐसे में जेएमआरसी पर करीब 16 करोड रूपए का सालाना आर्थिक भार आ जाएगा। मेट्रो पुलिस थाने के लिए गृह विभाग अधिसूचना जारी कर चुका है और जल्द ही 633 कांस्टेबलों की भर्ती की जाएगी। जेएमआरसी ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कहा था कि दिल्ली मेट्रो रेल की सुरक्षा सरकार कर रही है तो जयपुर में राज्य सरकार को सुरक्षा खर्च वहन करना चाहिए। इसे वित्त विभाग ने नामंजूर दिया। अब जेएमआरसी को मेट्रो पुलिस स्टेशन और पुलिस स्टाफ का खर्च उठाना होगा।
मेट्रो की रफ्तार होगी 45 किमी प्रति घंटा
जयपुर मेट्रो की रफ्तार 45 किमी प्रति घंटा होगी। बाद में यह रफ्तार 80 किमी प्रति घंटा तक बढ़ा दी जाएगी। सुरक्षा के लिहाज से शुरूआती दो माह मेट्रो को सेफ्टी मोड पर चलाया जाएगा। ट्रेन की गति अधिकतम 45 किमी प्रति घंटा रखी जाएगी। इससे मानसरोवर से रेल्वे स्टेशन आने में 20 से 25 मिनट का समय लगेगा। ऐसे में यात्रियों को स्टेशन पर मेट्रो पकड़ने के लिए आधे घंटे तक इंतजार करना पड़ेगा। ऑटोमेटिक सिस्टम पूरा होने के बाद मेट्रो की रफ्तार 80 किमी प्रति घंटा कर दी जाएगी।
मेट्रो में भर्ती का दूसरा चरण
जयपुर मेट्रो रेल कॉर्परेशन ने दूसरे चरण की भर्ती शुरू करते हुए कई पदों के लिए आवेदन मांगे हैं। इसके तहत उपप्रबंधक, उपमहाप्रबंधक, कंपनी सचिव, विधि अधिकारी, स्टेनोग्राफर अंग्रेजी और हार्डवेयर नेटवर्क असिस्टेंट के एक एक पद और कनिष्ठ लेखाकार के दो पद भरे जाएंगे। आवेदन प्रक्रिया 6 जून से 20 जून तक जारी रहेगी।
जंक्शन से मेट्रो तक स्काईवॉक-वे
ट्रेन से जयपुर स्टेशन पर उतरने वालों को बाहर निकलने की जरूरत नहीं होगी। जयपुर जंक्शन के प्लेटफार्म नं 1 पर बने फुटओवरब्रिज को सीधे मेट्रो स्टेशन से जोड़ा जाएगा। रेलवे और डीएमआरसी ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है। मेट्रो स्टेशन हसनपुरा ओवरब्रिज के पास बन रहा है। रेल्वे स्टेशन के प्लेटफार्म नं 1 फुट ओवरब्रिज से मेट्रो स्टेशन की दूरी 200 से 250 मीटर है। योजना के अनुसार इस फुटओवरब्रिज से स्काई वॉक वे बनाया जाएगा। जो मेट्रो स्टेशन के टिकिटिंग फ्लोर पर जोड़ा जाएगा। इसके माध्यम से जो भी यात्री स्टेशन से उतरकर मेट्रो के माध्यम से अपने गंतव्य तक पहुंचाना चाहेंगे वे सीधे ही स्काई वॉक वे के जरिए मेट्रो तक पहुंच जाएंगे। इसी प्रकार शहर के अन्य इलाकों से मेट्रो के माध्यम से रेल्वे स्टेशन आने वाले यात्री भी सीधे रेल्वे स्टेशन उतर सकेंगे।
मेट्रो की ओवरहेड टेस्टिंग
बेंगलुरू से जयपुर आई मेट्रो ट्रेन की मानसरोवर स्थित डिपो में शुक्रवार से बिजली के ओवरहेड तारों से टेस्टिंग शुरू की गई। चार कोचों वाली यह ट्रेन 19 मई को जयपुर आई थी। उसके बाद से इसकी अन्य जांचें चल रही है। अब बिजली की ओवरहेड लाइनों से इसके परिचालन के लिहाज से टेस्टिंग का काम शुरू किया गया है। पहले दिन आधा घंटा ही टेस्टिंग की गई। अधिकारियों ने बताया कि यह टेस्टिंग महीने भर चलेगी। धीरे धीरे टेस्टिंग की मियाद बढाई जाएगी। आखिरी दिनों में बारह घंटे तक टेस्टिंग की जाएगी। उधर परियोजना में लगे अधिकारियों को अब औपचारिक तौर पर 15 अगस्त तक काम पूरा करने का लक्ष्य दिया गया है।
अगस्त तक मेट्रो चलने में संदेह
जयपुर मेट्रो के सिविल वर्क को पूरा करने की मियाद 30 जून से बढ़ाकर 15 जुलाई कर दी गई है। अब सरकार का 1 अगस्त से शहर में मेट्रो चलाने का सपना दूर की कौड़ी नजर आ रहा है। मानसून को देखते हुए मानसरोवर से रेल्वे स्टेशन तक मेट्रो चलाने के लक्ष्य के साथ जुटे इंजीनियरों का कहना है कि इतने कम समय में सिविल वर्क पूरा नहीं किया जा सकता। बारिश में काम में व्यवधान पड़ेगा। अभी तक मेट्रो रैम्प, स्टेशनों, रिवर्स लाइन व एलिवेटिड कोरिडोर का काफी काम बचा हुआ है। मानसून पूर्व का दौर भी शुरू हो चुका है और अगले दो सप्ताह में बारिश शुरू हो जाएगी। ऐसे में डीएमआरसी इस कार्य को 15 जुलाई तक पूरा करले इसके आसार कम ही हैं।
मेट्रो को जुलाई तक मिलेंगे दो पुलिस बैच
मेट्रो रेल परियोजना में लगने वाले पुलिस कर्मियों की नियुक्ति कम से कम तीन साल और अधिकतम पांच साल के लिए होगी। जयपुर मेट्रो रेल परियोजना की मुख्य सचिव सीके मैथ्यू की अध्यक्षता में उच्चाधिकार समिति की बुधवार को आयोजित बैठक में यह फैसला किया गया है। पुलिसकर्मियों के जुलाई तक दो बैच मेट्रो को उपलब्ध हो जाएंगे।
भूमिगत मेट्रो वर्क में नहीं रुकेगा यातायात
जयपुर में चांदपोल से बड़ी चौपड तक मेट्रो के भूमिगत कॉरिडोर के काम के दौरान ऊपर सडक पर यातायात को रोका नहीं जाएगा। सिर्फ छोटी चौपड़ व बड़ी चौप्ड पर स्टेशन निर्माण के लिए खुदाई के समय वाहनों को डायवर्ट करना पड़ेगा। जयपुर मेट्रो रेल कॉर्परेशन ने मेट्रो रेल परियोजना के फेज प्रथम बी के तहत चांदपोल से बड़ी चौपड़ तक भूमिगत कॉरिडोर की डिजाइन व निर्माण के लिए सक्षम और अनुभवी प्रतिष्ठानों कंपनियों से निविदा मांगी हैं। जेएमआरसी के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक निहाल चंद गोयल ने बातया कि मेट्रो के फेज प्रथम बी के तहत चांदपोल से बड़ी चौपड तक शील्ड टीबीएम तकनीक से सुरंग का निर्माण कराया जाएगा। इसके तहत सतह से 15 मीटर से अधिक नीचे समानांतर खुदाई की जाएगी। खुदाई के बावजूद वाहनों का आवागमन जारी रहेगा। छोटी व बड़ी चौपड़ पर दो भूमिगत स्टेशनों का निर्माण कट व कवर पद्धति से किया जाएगा। कॉरिडोर के डिजाइन और निर्माण कार्य को 36 महिनों की अवधि में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस रूट पर मार्च 2018 तक मेट्रो चलाने की लक्ष्य रखा गया है।
गोयल ने मेट्रो रूट का दौरा किया
जयपुर मेट्रो के सीएमडी निहालचंद गोयल ने गुरूवार को मेट्रो रूट का दौरा किया। राज्य सरकार की ओर से अगस्त में मेट्रो शुरू किए जाने के वादे को पूरा करने के लिए गोयल ने अधिकारियों और इंजीनियरों को काम में और तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। गोयल के अनुसार मानसरोवर, न्यू आतिश बाजार, विवेक विहार और सिविल लाइंस मेट्रो स्टेशनों के काम तेजी से चल रहे हैं। इनमें ओवर हैड इलेक्ट्रीफिकेशन का काम शुरू होने जा रहा है। श्याम नगर, रामनगर और रेल्वे स्टेशन मेट्रो स्टेशन के काम अभी धीमी गति पर हैं। लेबर और लगाकर काम तेज करने को कहा गया है। इसके अलावा गुर्जर की थडी पर काम लगभग पूरा हो चुका है। शुक्रवार सुबह तक लांचर भी नीचे उतार लिए जाएंगे। मानसरोवर डिपो में आरसीसी के रेंप का काम पूरा ही गया। शेष पांच पिलरों के बीच सेंग्मेंट लगाने का काम दस से 15 जुलाई तक पूरा हो जाएगा। उन्होंने बताया कि पच्चीस जून तक दूसरी ट्रेन के आने की उम्मीद है।
मेट्रो दौड़ाने की जल्दी में भूले पार्किंग स्थलों को
राज्य सरकार चुनावों को देखते हुए जयपुर में अगस्त से मेट्रो दौड़ाने की तैयारी में है। इसलिए सारा ध्यान सिर्फ मेट्रो स्टेशनों और ऐलिवेटिड कॉरिडोर बनाने पर ही दिया जा रहा है। जबकि पार्किंग स्थलों को आधा अधूरा छोड़ दिया गया है। मेट्रो स्टेशनों पर पार्किंग का काफी काम बाकी है। यह काम अगस्त तक पूरा होने के आसार बहुत कम हैं ऐसे में मेट्रो का संचालन शुरू करने पर स्टेशनों के पास पार्किंग की समस्या खड़ी हो जाएगी। वाहवाही लेने के लिए विधानसभा चुनावा की आचार संहिता लागू होने से पूर्व राज्य सरकार ने अगस्त में मानसरावर से रेल्वे स्टेशन तक मेट्रो चलाने की लक्ष्य तय किया है। जयपुर मेट्रो रेल कॉर्परेशन के अधिकारियों ने इस हिस्से में मेट्रो कॉरिडोर बनाने का काम पूरा कराने के लिए पूरा जोर लगा दिया। दूसरी ओर मेट्रो स्टेशन के नीचे बन्ने वाले पार्किंग स्थलों का काम अपेक्षानुरूप गति से नहीं हो रहा है। मानसरावर से रेल्वे स्टेशन तक सात मेट्रो स्टेशन निर्माणाधीन हैं। इसमें एक भी स्टेशन की पार्किंग बनकर तैयार नहीं हो पाई है।
आकर्षित करेगा मेट्रो स्टेशन का हैरिटेज लुक
हैरिटेज सिटी जयपुर में जल्द ही मेट्रो शुरू हो जाएगी। जयपुर के हैरिटेज फेम को देखते हुए मेट्रो और मेट्रो स्टेशनों को किस तरह अलग दिखाया जाए और शहर से किस प्रकार कनेक्ट किया जाए इस पर विशेषज्ञों की योजना बैठकें चल रही हैं। शहर की धरोहरों और उनकी बनावट को मेट्रो स्टेशन से कनेक्ट किया जाएगा। हवामहल, आमेर महल, झरोखे, पेंटिंग्स, कंगूरे और क्राफ्ट के पैटर्न छांटे जा रहे हैं, इनका उपयोग स्टेशन को खूबसूरत बनाने के लिए किया जाएगा। ट्रेन के बाहरी हिस्से को भी गुलाबी रंग का प्रयोग कर सजाया जा सकता है। सभी स्टेशनों को राजस्थानी रंग में सजाने की योजना भी है। रंग बिरंगी सजावट के साथ मेट्रो की मुख्य थीम गुलाबी ही रखी जाएगी। तीन मुख्य स्टेशनों को हाइलाइट करने के लिए उनकी दीवार पर बड़ी पेंटिंग्स लगाई जाएंगी। इस प्रोजेक्ट पर राजस्थान के कई कलाकार काम कर रहे हैं।
सजेंगे तीन मेट्रो स्टेशन
मानसरोवर, विवेक विहार और सिंधी कैंप शहर की मेट्रो के मुख्य स्टेशन होंगे। इन पर विशेष सजावट की जाएगी। पर्यटकों को लुभाने के लिए विभिन्न राजस्थानी कलाओं का कोलाज यहां की संस्कृति को दर्शाएगा। मेट्रो कोच के बाहरी भाग की ओर कंगूरे के सिंबोलिक लगाए जाएंगे । अभी कुछ इसी तरह का प्रपोजल तैयार किया गया है। मेट्रो के चीफ प्रोजेक्टर अतुल गाडगिल का कहना है कि जयपुरवासियों के लिए स्मार्ट कार्ड बनाया जा रहा है। इस कार्ड पर हवामहल और मेट्रो का चित्र दिया जाएगा। यात्री कार्ड स्वैप कर अपने टिकट के पैंसों का भुगतान कर पाएंगे। बार बार टिकिट खरीदने की झंझट से बचने के लिए स्मार्ट प्रीपेड कार्ड तैयार किए जा रहे हैं।
चांदपोल मेट्रो स्टेशन सजेगा ब्लू पॉटरी टाइलों से
जयपुर मेट्रो के कुल स्टेशनों में से चांदपोल के अंडरग्राउंड स्टेशन को हेरिटेज लुक दिया जाएगा। इसमें ब्लू पॉटरी की टाइल्स लगाई जाएंगी। साथ ही आसपास की जगहों को मिनिएचर पेंटिंग्स और क्राफ्ट से सजाया जाएगा। दिल्ली मेट्रो स्टेशन पर भी शहर की पेंटिंग्स लगाई गई हैं । जयपुर के कियोस्क को पपेट और राजस्थानी आर्ट से सजाया जाएगा वहीं पिलर्स पर भी पेंटिंग्स लगाई जाएंगी। इसी तर्ज पर मुंबई मेट्रो को भी सजाया जाएगा।
मेट्रो स्मार्ट कार्ड
मेट्रो में सफर करने के लिए यात्रियों को बार बार किराया देना न पड़े इसके लिए प्रीपेड स्मार्ट कार्ड जारी किया जाएगा। यह सभी मेट्रो स्टेशनों पर उपलब्ध होगा और वहां रीचार्य भी कराया जा सकेगा। इस कार्ड को दिखने से यात्री मेट्रो की सवारी कर सकेगा। जयपुर मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के निदेशक मंडल ने शुक्रवार को हुई बैठक में समार्ट कार्ड के डिजाइन को हरी झंडी दिखाई । बैठक में मेट्रो के किराए पर निर्णय लेने की बजाय पांच सदस्यीय समिति गठित कर दी गई जो किराया स्लैब का अध्ययन कर निदेशक मंडल की अगली बैठक में रिपोर्ट पेश करेगी।
दो तरह के होंगे स्मार्ट कार्ड
जेएमआरसी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक निहाल चंद गोयल की अध्यक्षता में हुई बैठक में मेट्रो की ’ऑटोमेटिक फेयर कलेक्शन’ पद्धति के तहत दो तरह के स्मार्ट कार्ड जारी करने का निर्णय लिया गया। बैठक में कांटेक्टलैस स्मार्ट कार्ड के डिजाइन का अनुमोदन किया गया। डीएमआरसी की ओर से तैयार कराए जा रहे इस स्मार्ट कार्ड को ऑटोमेटिक फेयर सिस्टम के साथ जोड़ा जाएगा। ये कार्ड जयपुर मेट्रो स्टेशनों पर टिकट घर से विक्रय किए जाएंगे। इन्हें वहीं पे रिचार्य कराया जा सकेगा। एचडीएफसी बैंक की साझेदारी में अलग से एक कॉम्बो कार्ड भी तैयार कराया जा रहा है। पहले तीन सालों में एचडीएफसी ऐसे 25 हजार कार्ड बेचेगा जिन्हें इंटरनेट या मोबाइल फोन से टॉप अप कराया जा सकेगा। बैठक में मेट्रो की शेयर केपिटल को 1500 से 2000 करोड तक करने व मेट्रो के लिए ऋण लेने की सीमा भी 2500 करोड करने का निर्णय किया गया। एडीबी ने चांदपोल से बड़ी चौपड़ तक मेट्रो कॉरीडोर बनाने के लिए 969 करोड देने देने का निर्णय किया है।
250 पदों पर भर्ती
जेएमआरसी की विशेष साधारण सभा 25 जुलाई को बुलाई जाएगी। जिसमें बोर्ड के सदस्य 12 से 16 करने सहित अन्य प्रस्तावों पर निर्णय किया जाएगा। निदेशक मंडल ने मेट्रो में 250 नए पद सृजित करने के प्रस्ताव पर सहमति व्यक्त करते हुए इसे स्वीकृत करने के जिए मुख्यमंत्री को भेजने का निर्णय किया।
अगस्त में तय होगा किराया
मानसरोवर से चांदपोल तक मेट्रो का किराया कितना होगा इसका निर्णय अगस्त में निदेशक मंडल की बैठक में होगा। फिलहाल मेट्रो के निदेशक, यातायात कमिश्नर, जेसीटीएसएल की प्रबंध निदेशक, जयपुर मेट्रो के महाप्रबंधक एवं वित्त विशेषज्ञ की पांच सदस्यीय उपसमिति बनाई गई है। यह मेट्रो परियोजना की डीपीआर डीएमआरसी की ओर से दिए गए किराया प्रस्ताव, जेएमआरसी के सर्वे और जेसीटीएसएल के सुझाव का अध्ययन कर वाजिब और व्यवहारिक किराया स्लैब निर्धारित कर रिपोर्ट पेश करेगी। निदेशक मंडल समिति की रिपोर्ट के आधार पर किराया स्लैब पर निर्णय लेगी।
5 जुलाई तक पहुंचेगी दूसरी मेट्रो
जयपुर की दूसरी मेट्रो ट्रेन अब 5 जुलाई तक यहां पहुंचेगी। महाराष्ट्र से इसके गुजरने की अनुमति मिलने में देरी के कारण अब कोचों के जयपुर पहुंचने में दो सप्ताह का विलंब होगा। उधर, मानसरोवर डिपो में मेट्रो की पहली ट्रेन का अगले सप्ताह ट्रैक पर ट्रायल शुरू होगा।
मेट्रो अब दिसंबर में चलेगी
अगले माह से मेट्रो में सुर का सपना देख रहे शहरवासियों को अभी पांच माह और इंतजार करना पडेगा। परियोजना के बकाया काम को देखते हएु अब मानसरोवर से रेलवे स्टेशन तक दिसंबर में ही मेट्रो का व्यावसायिक संचालन शुरू हो पाएगा। ट्रेक पर बेंगलुरू से बनकर आ रही नई मेट्रो को ही दौड़ाया जाएगा। इन ट्रेनों का सितंबर के प्रथम सप्ताह में मानसरोवर से श्याम नगर मेट्रो स्अेशन के बीच ट्रायल रन शुरू होगा। यह कम से कम दो माह तक चलेगा। ऐसे में लोग नवंबर के अंत या दिसंबर में ही मेट्रो परियोजना की समीक्षा के बाद इसके संकेत दिए। उन्होने कहा कि मेट्रो में तो देरी बर्दाश्त है लेकिन जनसुरक्षा में कोताही नहीं होनी चाहिए।