-24 से 28 जनवरी, डिग्गी हाउस
जयपुर लिटरेचर फेस्टीवल डिग्गी पैलेस में ही होगा। जयपुर लिटरेचर फेस्टीवल और डिग्गी हाउस एक दूसरे के पर्याय हो चुके हैं। डिग्गी पैलेस का खुला और वृक्षोंभरा वातावरण साहित्य प्रमियों के इस कुंभ को खास बना देता है। डिग्गी पैलेस अपनी बनावट और खुले स्थान के कारण हालांकि इस आयोजन को चार चांद लगाता है लेकिन कुछ परेशानियां भी हैं जो जयपुर लिटरेचर फेस्टीवल का दायरा बढ़ने के साथ साथ बढ़ती जा रही हैं।
खास परेशानी डिग्गी हाउस की लोकेशन है। यह महारानी कॉलेज और सूचना केंद्र के बीच एक लम्बे गलियारे को पार करने के बाद अवस्थित है। यही कारण है कि इस फेस्ट में शामिल होने वाले लोगों की संख्या बढ़ने के साथ यह कंजस्टेड होता जा रहा है। इस गलियारे में गाडि़यों की पार्किंग हो जाने के बाद वाहन अंदर जाने या टर्न करने की बिल्कुल जगह नहीं होती। भीड़ के कारण भी डिग्गी हाउस के बाहर दूर तक गाडि़यों की कतारें लग जाती हैं। इससे बाहर से आने वाले सेलिब्रिटिज को खासी दिक्कत का सामना करना पड़ जाता है। आयोजकों ने हालांकि डिग्गी हाउस का विकल्प तलाश करने का अभियान चलाया हुआ है लेकिन आने वाली जनवरी में जेएलएफ का आयोजन डिग्गी हाउस में ही होगा।
फेस्टीवल में इस बार भी देश-दुनिया के नामचीन साहित्यकार हिस्सा लेंगे। पाकिस्तान से फहमिदा रियाज, एमए फारुखी, भूटान से सोनम दोरजी, कुजैंग, नेपाल से एनी चोइंग, श्रीलंका से रंजिनी, अशोक फैरी जैसे विख्यात नाम इनमें शामिल हैं। देश-दुनिया के ये ख्यातनाम लेखक अपने संवादो और पुस्तकों के साथ फेस्टीवल में मौजूद होंगे और पाठकों से सीधा संवाद कर साहित्य पर चर्चाएं करेंगे। इस बार फेस्टीवल में भारतीय सिनेमा के साथ साथ भारतीय 17 भाषाओं के मल्टी लिंगुअल सेशर रखे जाएंगे। इस बार की थीम ’द बुद्धा इन लिटरेचर’ पर भी विशेष फोकस रहेगा।
भारतीय भाषाओं में बांग्ला सांस्कृतिक लिहाज से बहुत सम्पन्न भाषा है। एक सेशन रिमेंबरिंग सुनील दा में अभिनेत्री शर्मिला टैगोर बांग्ला लेखक स्वर्गीय सुनील गंगोपाध्याय की कृतियों के प्रमुख अंशों का वाचन करेंगी। एक सेशन भाषा और भ्रष्टाचार में गौरव सोलंकी, अजय नवारिया और अनामिका अपने विचार रखेंगे और विषयांतरगत चर्चा करेंगे। मैथिली और भोजपुरी भाषाओं के इतिहास, विकास और वर्तमान स्थिति पर चर्चा ’एक भाषा हुआ करती थी’ सैशन में की जाएगी। इसी तरह ’याद शहर’ सैशन मे नीलेश मिश्रा विस्तार से चर्चा करेंगे।
इस बार तमाम प्रमुख भारतीय भाषाओं के साथ साथ भगवान बुद्ध पर आधारित साहित्य चर्चाओं में प्रमुखता से शामिल होंगे। भारतीय भाषाओं में हिंदी, उर्दू, राजस्थानी, पंजाबी, मैथिली, भोजपुरी, गुजराती, तमिल, कश्मीरी, सिंधी, मलयालम, बांग्ला, मगधी, मराठी, संस्कृत, संथाली और कन्नड़ आधारित विशेष सैशंस होंगे। साहित्य में भगवान बुद्ध और बौद्धिज्म के असर को प्रकट करते सैशंस में ’किनशिप्स ऑफ फेथ्स-फाइंडिंग द मिडिल वे’, ’गॉड इज पॉलिटिकल फिलॉसोफर-दलित पर्सपेक्टिव ऑन बुद्धिज्म’, ’वीमन इन द पाथ’ और ’जातक रीडिंग्स’ आदि शामिल होंगे। प्रायद्वीप के आसपास के देशों के साहित्य में छुपी संस्कृतियां भी इस बार साहित्य समारोह में उजागर होंगी। नेपाल, भूटान, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका के साहित्य में समाहित ज्ञान इस बार जयपुर में साहित्य प्रेमियों के सामने विभिन्न सैशंस में खुलेगा।
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