जयपुर ज्वैलरी (Jaipur Jewelry)
जयपुर अपनी परंपराओं की जड़ों से गहराई से जुड़ा है। जयपुर की खूबसूरती का प्रमुख स्रोत यहां सदियों से चली आ रही परंपराएं भी हैं। जयपुर के राजघराने से लेकर आम आदमी तक परंपराओं और स्थानीय संस्कृति से गहराई से जुड़ा हुआ है। जयपुर का रहन-सहन, खान-पान और पहनावा दुनियाभर को आकर्षित करता है। आभूषण पहनना यहां की खास और समृद्ध परंपरा का प्रतीक है। यह प्रतीक अब दुनियाभर में अपनी खास पहचान बना चुका है और विश्व को कोने कोने में जयपुर की ज्वैलरी की धाक है। प्रतिवर्ष ’जयपुर ज्वैलरी शो’ में दुनियाभर से लोगों का जुड़ाव इस धाक का सिद्ध भी करता है।
ज्वैलरी के शौकीन रजवाड़े
जयपुर का रजवाड़ा देश के सबसे समृद्ध रजवाड़ों में से एक था। यहां के कछवाहा शासक ज्वैलरी के शौकीन थे। वे जानते थे कि ज्वैलरी सिर्फ महिलाओं की खूबसूरती के लिए ही आवश्यक नहीं बल्कि राज्य की समृद्धि के लिए भी ठोस आधार है। इसलिए जब नए शहर जयपुर की स्थापना की गई तो यहां के प्रमुख बाजारों में राजप्रासाद के निकट ही जौहरियों को बसाया गया। जौहरी बाजार इसका प्रमुख प्रमाण है। आज जयपुर से बड़ी मात्रा में ज्वैलरी एक्सपोर्ट के जरिए विदेशों में विक्रय की जाती है। साथ ही जयपुर की पहचान भी ज्वैल-सिटी के रूप में हुई है।
जयपुर दुनिया का प्रसिद्ध रत्न बाजार है। जयपुर के जौहरियों को मुगल दरबार में भी बहुत इज्जत बख्शी जाती थी। ये जौहरी राजाओं-बादशाहों तथा शाही महिलाओं के लिए रत्नाभूषण तैयार करते थे। जयपुर के राजा-महाराजा भी रत्नाभूषणों के शौकीन थे। महाराजा सवाई जयसिंह ज्योतिष के अनुसार रत्नाभूषण पहना करते थे। जयपुर की ज्वैलरी समय के साथ आधुनिकता के रंग में रंगी जरूर लेकिन पीढी दर पीढी से चली आ रही परंपराओं को नहीं छोड़ने के कारण इसका शाही अंदाज कायम है। और सारी दुनिया इसी शाही अंदाज की दीवानी भी है। जयपुर में प्रतिवर्ष जयपुर ज्वैलरी शो का आयोजन किया जाता है। इस आयोजन में देशी विदेशी आगंतुक यहां की डिजाईन और शैली से इतने प्रभावित होती है कि जयपुर की ज्वैलरी की प्रदर्शनी अपने शहर और देशों में भी देखना चाहते हैं। उल्लेखनीय है कि जयपुर रत्नाभूषणों के एक्सपोर्ट में महत्वपूर्ण स्थान रखता है और प्रतिवर्ष जयपुर ज्वैलरी राज्य को अरबों का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार करके देती है।
राजस्थान की ज्वैलरी की सबसे बड़ी विशेषता इसकी परंपरागत डिजाईन है। गले के हार, चेन, अंगुठी, बालियां, बाजूबंध, कमरबंध, कनखनी, पाजेब या फिर मंगलसूत्र हो, जयपुर की ज्वैलरी हर किसी की पहली पसंद होती है। जयपुर की ज्वैलरी देश की शाही शादियों में प्रमुखता से खरीदी जाती है। कई विदेशी जोड़े अपने विवाह कार्यक्रम को शाही बनाने के लिए जयपुर से वस्त्र और ज्वैलरी खरीदने को प्राथमिकता देते हैं।
कुंदनकारी–
जयपुर की कुंदनकारी पूरी दुनिया में मशहूर है। दक्षिण एशियाई देशों में जयपुर कुंदनकारी का महत्वपूर्ण केंद्र है। कुंदनकारी सोने में रत्नों की जड़ाई को कहा जाता है। सोने के हार, पाजेब या मंगलसूत्र में सुंदर डिजाइनें डालने के बाद उनमें मणियां जड़ी जाती हैं। ये मणियां कीमती स्टोन या हीरा भी होता है। कुंदनकारी का काम जयपुर में जौहरी बाजार में प्रमुखता से होता है। वर्तमान में ज्वैलर्स की बड़ी फर्म अस्तित्व में आई हैं जो आभूषणों को अपने मार्का के साथ देश विदेश में बेचती हैं। कुंदनकारी आभूषणों के निर्माण की प्राचीन परंपरा है। राजस्थान में जयपुर के साथ यह कला गुजरात में भी नाम रखती है। कुंदन स्वर्ण का ही पर्याय नाम है।
मीनाकारी-
आभूषणों पर मीनाकारी की कला बीकानेर और जयपुर में विशेष स्थान रखती है। इस कला में स्वर्ण पर विशेष आकृतियां उकेर कर उन्हें खूबसूरत बनाया जाता है। पात्रों पर यह कार्य और भी खूबसूरत लगता है। मीना कुंदनकारी में सदियों से जयपुर की धाक रही है। जयपुर में इस कार्य के लिए जौहरियों की बरसों पुरानी गद्दियां हैं। जयपुर में जौहरी बाजार, बड़ी चौपड़, त्रिपोलिया बाजार, गोपालजी का रास्ता, चौड़ा रास्ता आदि परकोटा के इलाकों में इन जौहरियों के शोरूम बहुतायत में हैं। इसके अलावा शहर भर में जौहरियों की प्रतिष्ठित दुकानें मौजूद हैं। जयपुर के एमआई रोड पर भी ज्वैलरी के जहां जाने माने शोरूम हैं वहीं चमेली मार्केट में कीमती स्टोन का कार्य किया जाता है। जौहरी बाजार में देवडीजी मंदिर के पास रत्नों की मंडी भी लगती है जहां कीमती पत्थर खरीदे बेचे जाते हैं।
जयपुर की ज्वैलरी की एक विशेषता और भी है। यहां स्वर्ण और हीरे की ज्वैलरी के विकल्प भी गढ़े जाते हैं जिससे साधारण लोग ज्वैलरी पहनने का शौक पूरा कर सकें। यह आर्टीफिशियल ज्वैलरी भी जयपुर में प्रचुर मात्रा में तैयार की जाती है। यह काम चांदी और
अर्धकीमती रत्न का प्रयोग करके किया जाता है। जयपुर परकोटा के मुख्य बाजारों से सटी गलियों में परिवार के परिवार आर्टीफिशियल ज्वैलरी तैयार करने के कार्य में वर्षों से जुटे हैं।
जयपुर की परंपरागत ज्वैलरी के प्रति आकर्षण का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2008 में प्रस्तुत भव्य हिन्दी फिल्म ’जोधा अकबर’ में अभिनेत्री ऐश्वर्या रॉय द्वारा पहनी गई जयपुर की पारंपरिक ज्वैलरी को दुनियाभर में पसंद किया गया और फिल्म के प्रमोशन के लिए भी जयपुर के गहनों से सजी ऐश्वर्या के चित्र साईटों पर अपलोड किए गए।
जयपुर ज्वैलरी : सूफियाना थीम
फैशन के दौर एक जगह टिककर नहीं रहते। फैशन एक घुमक्कड सोच है जो एक बार जहां से गुजरती है वहां अपनी एक लहर छोड़ देती है। यह कभी लौट आती है तो कभी हमेशा के लिए अलविदा कहकर आगे बढ़ जाती है। बात चल रही है फैशन की। जब जब फैशन का जिक्र होता है तो जयपुर का नाम सुर्खियां अपने आप बन जाता है क्योंकि फैशन एक कला है और जयपुर कलाओं की नगरी।
जयपुर में आभूषणों का काम बड़े पैमाने पर होता है और यहां की ज्वैलरी दुनिया के कोने कोने में पहुंचती है। खास तौर पर वैवाहिक कार्यों के लिए यहां तैयार खास तरह की ज्वैलरी विश्वबाजार में अहम स्थान रखती है। जयपुर की ज्वैलरी शीघ्र ही एक आइकन बनकर दुनियाभर की महिलाओं में छा जाती है। हॉलीवुड, बॉलीवुड और तमाम तरह के वुड जयपुर की ज्वैलरी के दीवाने हैं।
फैशन बदलने के साथ ही ज्वैलरी भी अपना रंग, रूप और आकार बदल लेती है। चलिए इन दिनों वेडिंग सीजन है और हम आपको इस वेडिंग सीजन में एक खास थीम की ज्वैलरी से रूबरू कराते हैं जिसे सूफियाना ज्वैलरी के रूप में जाना जाता है। सूफियाना ज्वैलरी एक खास ड्रैस शरारा के साथ पहनी जाती है। शरारा के साथ ज्वैलरी में सबसे अहम है पासा।
पासा ज्वैलरी
पासा मुस्लिम महिलाओं का पारंपरिक गहना है। यह सिर से लेकर माथे तक तिरछा पहना जाता है। वर्तमान में इसे सभी समाजों की महिलाएं पसंद कर रही हैं और यह खास तरह की सूफियाना ज्वैलरी का रूप ले चुकी है। फिल्मों में भी कई दफा इस ज्वैलरी का उपयोग अभिनेत्रियां कर चुकी हैं। पासा में पोलकी वर्क काफी मायने रखता है, पासे में मोती की झालरें और नग जड़ाई इसकी शोभा को चार चांद लगा देते हैं।
बिछिया और पायल
ज्वैलरी का दायरा बढ़ गया है। अब विवाह और अन्य शुभ मौकों पर साड़ी और बेस के अलावा भी कई ऐसे डिजायनर वस्त्र पहने जाते हैं जिससे पैरों में पहने गए आभूषणों पर भी नजर जाती है। अब तक महिलाओं का ध्यान केवल कंगन, गले के हार और बालियों पर ही जाती थी लेकिन अब पैरों की पायल और चुटकी यानि कि बिछिया पर भी नजर रहती है। चुटकी और पायल के भी नित नए रूप ज्वैलरी बाजार में देखने को मिल रहे हैं। नई डिजाइन के तहत चौडाई में बनी पायलों के बीच में स्टोन वर्क और पोलकी वर्क से और भी खूबसूरत लगते हैं। साथ ही पाजेब या पायल गोल्डन में भी पसंद की की जा रही है।
प्लेन ज्वैलरी का दौर लौटा
अक्षय तृतीया पर जयपुर में सोने की ज्वैलरी खूब खरीदी गई। सोना सस्ता होने के कारण पिछले साल के मुकाबले कारोबार में बढोतरी हुई। सोने के भाव गिरने से इस बात बीते साल के मुकाबले अक्षय तृतीया पर लोगों ने जमकर खरीददारी की। लोगों को पिछले साल से इदस बार सोने की खरीददारी पर 25 फीसदी सस्ता लग रहा है। कोई हार जो बीते साल एक लाख में खरीदा गया था उसकी कीमत इस बार 75 हजार ही है। अब लोग सोने की अहमियत और भविष्य में इसके दाम फिर बढने की संभावनाओं के मद्देनजर प्लेन ज्वैलरी ज्यादा खरीद रहे हैं। एक ज्वैलर के अनुसार इस पर्व पर ज्यादातर गांव के लोग आए जिन्होंने नैकलेस, कड़े, झूमर, मंगलसूत्र, चेन और बालियां खरीदी। पहले की तरह अब साधारण डिजाइन को फिर प्रमुखता दी जा रही है। ताकि जरूरत पड़ने पर इसका रिटर्न हासिल किया जा सके। अब कलर स्टोन की ज्वैलरी का ट्रेंड तेजी से कम हो रहा है।
सोना फिर नीचे आया
सोने और चांदी की कीमतों में एक बार फिर गिरावट आई। जेवराती सोना सोमवार को 700 रूपए गिरकर 24800 रूपए प्रति दस ग्राम पहुंच गया। सर्राफा ट्रेडर्स कमेटी के अनुसार सोना चांदी खरीदने वालों के लिए यह सुनहरा मौका है। अब इनकी कीमतें शायद ही इससे कम हो पाएं। सोना पिछले एक माह और चांदी 31 माह के सबसे निचले स्तर पर है। दिल्ली सर्राफा बाजार में स्टैंडर्ड सोना 21 माह के निचले स्तर पर है।
सोना चांदी फिर ऊपर
विदेशी बाजारों में सोने में सुधार और घरेलू स्तर पर गिरावट में लिवाली से मंगलवार को जयपुर सर्राफा बाजार में सोना स्टैण्डर्ड 900 रूपए बढकर 27200 रूपए प्रति दस ग्राम और चांदी 2300 रूपए चढकर 44300 रूपए प्रति किग्रा हो गई। जेवराती सोने के भाव भी सात सौं रूपए की तेजी के साथ 25500 रूपए प्रति दस ग्राम हो गए। सोना सोमवार को 16 अप्रैल के बाद के निम्नतम स्तर तक लुढक गया था। लेकिन बाद में अमेरिका में 2.6 प्रतिशत की बढोतरी सं इसकी कीमत संभल गई।
’महाराणा प्रताप’ में दिखेगी जयपुर ज्वैलरी
जयपुर की ज्वैलरी को ऐतिहासिक फिल्मों और टीवी सीरियलों में एक प्रमुख पात्र की तरह इस्तेमाल किया जाता है। हो भी क्यूं ना। जयपुर की ज्वैलरी अपनी मौजूदगी से फिल्म या सीरियल की ऐतिहासिक वास्तविकता को मजबूती प्रदान करती है। इसी क्रम में 27 मई से टीवी पर प्रसारित होने वाले सीरियल ’भारत का वीर पुत्र- महाराणा प्रताप’ में जयपुर की ज्वैलरी का इस्तेमाल किया गया है। सीरियल के मुख्य पात्र महाराणा हैं और वे राजस्थान से ताल्लुक रखते हैं इसलिए उनके पहनावे और आभूषणों पर विशेष ध्यान दिया गया है। रजवाड़ों की शान दिखाने के लिए जयपुर ज्वैलरी का इस्तेमाल किया गया है। इससे पहले जोधा अकबर में एश्वर्या रॉय द्वारा पहनी गई जयपुर ज्वैलरी ने विदेशों तक में धूम मचा दी थी। सीरियल की कास्ट्यूम डिजाइनर ने इस ऐतिहासिक सीरियल के लिए जयपुर के अलावा जोधपुर, बीकानेर और जैसलमेर के कारीगरों से ज्वैलरी तैयार कराई है। मुख्य पात्रों को जयपुर के कुंदन-मीना आभूषणों और सेमी प्रेशियस वर्क वाले परिधानों में देखा जाएगा। सीरियल में चार रानियों के लिए अलग अलग डिजाइन के जयपुरी बोरले भी तैयार किए गए हैं। वहीं महाराणा उदयसिंह के लिए सौ लाइनों का नेक-पीस भी तैयार किया गया है। ’महाराणा प्रताप’ से पूर्व ’पृथ्वीराज चौहान’ सीरियल के लिए जयपुरी कारीगरों से आभूषण और परिधान तैयार कराए गए थे।
जयपुर की ’विंटेज ज्वैलरी’ होगी शो-स्टॉपर
हैदराबाद में जुलाई में होने वाले फैशन शो के लिए जयपुर के ज्वैलरी डिजाइनर की ज्वैलरी को डिस्प्ले किया जाएगा। जयपुर के ज्वैलरी डिजाइनर इंद्रजीत दास ने खास इस मौके के लिए विंटेज ज्वैलरी डिजाइन की है। जिसकी फिनीशिंग उन्होंने एंटीक लुक देते हुए की है। उन्होंने वाइट गोल्ड पर ब्लैक रेडियम का डिजाइन तैयार किया है। वे जयपुर फैशन वीक में भी अपनी ज्वैलरी को डिस्प्ले कर चुके हैं। उनका विश्वास है कि 18 से 20 जुलाई तक हैदराबाद में होने वाले फैशन शो में भी जयपुर की विेंटेज ज्वैलरी सभी को प्रभावित करेगी। इंद्रजीत ने इस खास ज्वैलरी में 16 पीस तैयार किए हैं। इनमें गोल्ड, एमरल्ड, रूबी, अनकट और रोजकट डायमंड का प्रयोग किया है। फिलहाल यूरोप में विंटेज ज्वैलरी बहुत पसंद की जा रही है।