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हाथी सवारी – आमेर महल

हाथी सवारी – आमेर महल (Elephant Riding)

जयपुर शाही ठाठ-बाट के लिए पूरी दुनिया में यहां जाना जाता है। इसी ठाठ-बाट और शाही रौनक को महसूस करने के लिए वर्षभर यहां हजारों की संख्या में विदेशी पर्यटक आते हैं और जयपुर की चमक दमक और शाही अंदाज से अभिभूत होकर लौटते हैं। जयपुर का ही उपनगर आमेर भी राजसी शान औ’शौकत के लिए विश्वभर में अपनी खास पहचान रखता है। आमेर का महल अपनी अनुपम खूबसूरती के लिए तो जाना जाता ही है साथ ही हाथी सवारी के लुत्फ के लिए भी याद किया जाता है।

आमेर महल में हाथियों की बड़ी तादाद है। जयपुर के राजाओं की सेना और सेवा में बड़ी संख्या में यहां आमेर में हाथी और उनके पालक मौजूद थे। जब आमेर की राजधानी जयपुर स्थानांतरित हुई तो हाथी मालिक अपने हाथियों को घनी आबादी के बीच ले जाने से बचे। हाथियों के लिए यहां का प्राकृतिक वातावरण ही अनुकूल था।

मावठे में हाथी अठखेलियां करते और खुले प्राकृतिक माहौल में विचरण करते थे । परकोटा क्षेत्र में भी हाथियों की उपस्थिति थी लेकिन हाथियों का घर आमेर ही रहा। हाथियों के आमेर से जयपुर आगमन के लिए आमेर घाटी में कनक वृंदावन से

Video: Elephant Riding

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विशेष रास्ता भी बनाया गया था। नाहरगढ़ जाने के लिए भी पुरानी बस्ती से हाथियों के पहुंचने का विशेष मार्ग मौजूद था। राजाशाही के समय हाथियों के रखरखाव के सभी खर्चे राजप्रशासन वहन करता था। राजशाही गई तो राजाओं ने हाथी उनके महावतों को सौंप दिए। लेकिन हाथी पालना हर कोई के बस की बात नहीं। एक हाथी के लिए एक दिन के चारे-पानी की व्यवस्था का खर्च बहुत भारी पड़ता है। फिर इनके रहने के लिए भी बड़ी खुली जगह चाहिए होती है। ऐसे में हाथी को पालना महावतों के लिए दुष्कर होता चला गया और महावत आर्थिक तंगी से जूझने लगे। खराब आर्थिक स्थिति और हाथी दांत की तस्करी ने कई हाथियों की जान ले ली। मजबूर महावतों ने हाथियों को बेचना शुरू कर दिया। कई हाथी भूख और बीमारी से मर गए। आखिर सरकार ने हाथियों और महावतों की सुख ली और हाथी मालिकों की आर्थिक सुरक्षा के लिए पर्यटन को बढावा दिया और हाथियों को पर्यटन से जोड़ दिया गया।

आमेर महल तक पहुंचने के लिए टेढ़ी-मेढ़ी चढ़ाई के रास्ते पर हाथी सवारी की पहल की गई जिसे विदेशी पर्यटकों ने खूब पसंद किया। हाथी पर बैठकर राजसी अंदाज से आमेर की खूबसूरत पहाडियों, जलाशय, शहर और महल के विहंगम दृश्य का आनंद लेते हुए मंथर गति से महल पहुंचना अपने आप में खूबसूरत अनुभव होता है। आमेर प्रशासन ने हाथियों के फेरे तय किए हुए हैं। दिन दो बार हाथियों के फेरे उपलब्ध होते हैं। सुबह 8 से 11 बजे तक हाथियों के फेर होते हैं और शाम को भी पर्यटकों के लिए फेरों की व्यवस्था है। हाथियों की सेहत के मद्देनजर प्रति हाथी चार फेरों की ही इजाजत दी गई है। आमेर महल के नीचे स्थित बगीचे की दीवार पर स्थित छतरी से हाथियों के हिंडोले में बैठने की व्यवस्था कई गई है। यहां एक हिंडोले में अधिकतम चार पर्यटक बैठ सकते हैं। हाथी सवारी यहां से आमेर महल के जलेब चौक तक के लिए उपलब्ध है।

सरकार की पहल और पर्यटकों के जोश ने महावतों की उम्मीदों को फिर जिन्दा कर दिया। आज महावतों की आर्थिक सुविधाओं के लिए कई प्रकार की पहल की जा रही हैं। आमेर में हाथी गांव बनाकर हाथियों के रख रखाव की सारी सुविधाएं मुहैया कराई गई। इसके साथ हाथियों को विभिन्न उत्सवों और त्योंहारों पर भी प्रदर्शन के लिए आमंत्रित किया जाता है। इसके साथ चौगान स्टेडियम में हाथी-उत्सव भी आयोजित किया जाता है जिसमें सजे-धजे हाथी प्रतियोगिता में शामिल होते हैं और सबसे सजे धजे हाथी को पुरस्कार दिया जाता है।

जयपुर और हाथियों का नाता बहुत पुराना है। जयपुर आकर हाथी सवारी का आनंद ना लेना, आधा जयपुर देखना है।

आमेर/पर्यटन/हाथी सवारी :
जयपुर। आमेर महल में 16 अक्टूबर से 8 दिन के लिए हाथी सवारी बंद रखी जाएगी। नवरात्र मेले के चलते ऐसा निर्णय लिया गया है। यह व्यवस्था 23 अक्टूबर तक रहेगी। आमेर महल अधीक्षक के अनुसार मेले के दौरान जलेब चौक में श्रद्धालुओं की भीड के कारण ऐसा किया गया है। हर बार इस दौरान केसर क्यारी के आसपास पर्यटकों को हाथी सवारी का मौका मिल जाता है। लेकिन इस बार यहां भी सवारी बंद रखी जाएगी। इसकी वजह सड़क खराब होना है।

For Engish: Elephant Ride Amber

Elephant Ride Gallery

Elephant Ride Amber (Amer) in Jaipur in Rajasthan in India


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