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सिटी पैलेस – जयपुर

City Palaceजयपुर का शाही महल विश्वभर में अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है। सिटी पैलेस जयपुर परकोटा क्षेत्र के बहुत बड़े हिस्से और कई इमारतों बाग बगीचों से घिरा पैलेस है जिसके केंद्र में है चंद्रमहल। चंद्रमहल में आज भी राजपरिवार के लोग निवास करते हैं। जबकि सिटी पैलेस के अन्य कुछ हिस्सों को म्यूजियम बना दिया गया है। इन संग्रहालयों में राजपरिवार से जुड़े इतिहास को संग्रहीत कर प्रदर्शित किया गया है।

सिटी पैलेस में चंद्रमहल, मुबारक महल और सूरजमहल प्रमुख रुप से देशी-विदेशी पर्यटकों में प्रासिद्ध हैं। सिटी पैलेस के शाही गार्डन में स्थित सूरजमहल में वर्तमान में जयपुर के आराध्य गोविंददेवजी का विशाल मंदिर है। उल्लेखनीय है कि जयपुर को नौ खण्डों में बसाया गया था। इस खूबसूरत नौ खण्डों में बने खूबसूरत नगर के केंद्र में दो खण्डों में बनाया गया विशाल राजप्रासाद। जिसमें सात मंजिला मुख्य महल चंद्रमहल, रानियों के महल, चौक, मेहमानों के लिए रिसेप्शन हॉल-मुबारक महल, बाग-बगीचे, 36 कारखाने, ताल, अस्तबल, चांदनी, प्रशासनिक चौक, सभा-भवन, मंदिर, थिएटर, गोदाम, विशाल प्रवेशद्वार सम्मिलित थे।

सिटी पैलेस (City Palace) का इतिहास

सिटी पैलेस का निर्माण महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने 1729 से 1732 के मध्य कराया था। शाही वास्तुविज्ञ विघाधर भट्टाचार्य और अंग्रेज शिल्पविज्ञ सर सैमुअल स्विंटन जैकब ने उस समय बींसवी सदी का आधुनिक नगर रचा था, साथ ही बेहतरीन, खूबसूरत, सभी सुविधाओं और सुरक्षा से लैस शाही प्रासाद।

खूबसूरती

सिटी पैलेस की भवन शैली राजपूत, मुगल और यूरोपियन शैलियों का अतुल्य मिश्रण है। लाल और गुलाबी सेंडस्टोन से निर्मित इन इमारतों में पत्थर पर की गई बारीक कटाई और दीवारों पर की गई चित्रकारी मन मोह लेती है। कछवाहा शासकों के पास धन-दौलत की कोई कमी नहीं थी। इसलिए महाराजा जयसिंह द्वितीय पूरी तरह नियोजित सुरक्षित, सुंदर और समृद्ध शहर बसाना चाहते थे। जयपुर शहर अठारहवीं सदी में बना पहला नियोजित शहर था-और इसका वैभव बेहतरीन।

अवस्थिती

बड़ी चौपड़ से हवामहल रोड़ होते हुए सिरहड्योढी दरवाजा से जलेब चौक पहुंचते हैं। यहां आप वाहन पार्क कर सकते हैं। सिरहड्योढी दरवाजे के सामने पैलेस में प्रवेश के लिए उदयपोल दरवाजा है। चौक के दक्षिणी द्वार से जंतर-मंतर के वीरेन्द्र पोल गेट से सिटी पैलेस में प्रवेश का मानस बनाया। द्वार के ठीक दायीं ओर टिकिट विण्डो है जहां महल में प्रवेश के लिए निर्धारित शुल्क अदा करने के साथ महत्वपूर्ण जानकारियां ली जा सकती हैं। वीरेन्द्रपोल के बायें ओर गार्ड कक्ष है और दायें ओर फोटोग्राफी कक्ष। यहां से प्रवेश करने पर पर्यटकों को मेटल डिटेक्टर सुरक्षातंत्र से गुजरना होता है।

मुबारक महल चौक

वीरेन्द्र पोल में प्रवेश करने पर एक बड़ा चौक आता है जिसके बीच में एक दो मंजिला खूबसूरत महल है। इसे मुबारक महल कहा जाता है। चौक से दायीं ओर एक विशाल घड़ी जो दो मंजिला इमारत पर बने एक वर्गाकार टावर पर दिखाई देती है। मुबारक महल उस समय का रिसेप्शन काउंटर था। इमारत की दूसरी मंजिल पर सिटी पैलेस प्रशासन के अधिकारी बैठते हैं जबकि निचले तल में वस्त्रागार संग्रहालय है। संग्रहालय में जयपुर के राजाओं, रानियों, राजकुमारों और राजकुमारियों के वस्त्र संग्रहीत किए गए हैं। चौक के दक्षिण-पश्चिम कोने में सिंहपोल है। यह दरवाजा चांदनी चौक में खुलता है। इस दरवाजे से आम आवाजाही नहीं होती। मुबारक महल के पश्चिम में में महाराजा सवाई भवानीसिंह गैलेरी है जिसमें फ्रेंड्स ऑफ द म्यूजियम वर्कशॉप इसी चौक के उत्तरी-पश्चिमी कोने में एक बरामदे में जयपुर की प्रसिद्ध कलात्मक कठपुतलियों का खेल दिखाने वाले कलाकार गायन के साथ अपनी कला का प्रदर्शन कर पर्यटकों का मनोरंजन करते हैं। चौक के उत्तरी ऊपरी बरामदे में सिलहखाना है। ऐसा स्थान जहां अस्त्र-शस्त्र रखे जाते हैं। यहां 15 वीं सदी के सैंकड़ों तरह के छोटे बड़े, आधुनिक प्राचीन शस्त्रों को बहुत सलीके से संजोया गया है। सबसे आकर्षक है इंग्लैण्ड की महारानी विक्टोरिया द्वारा महाराजा रामसिंह को भेंट की गई तलवार, जिसपर रूबी और एमरल्ड का काम सुखद हैरत में डाल देता है।

सर्वतोभद्र

सर्वतोभद्र यानि प्राईवेट ऑडियंस हॉल को दीवान-ए-खास के नाम से भी जाना जाता है।
सर्वतोभद्र में रखे चांदी के दो बड़े घड़े कौतुहल का विषय हैं। महाराजा माधोसिंह इनमें गंगाजल भरकर इंग्लैण्ड ले गए थे। इसीलिए इन्हें गंगाजली कहा जाता है। गिनीज बुक में कीमती धातु के विशाल पात्रों की श्रेणी में गंगाजलियों का विश्वरिकॉर्ड है। सर्वतोभद्र के ही पूर्व में एक छोटा द्वार है जो सभानिवास यानि दीवान-ए-आम की ओर ले जाता है। यह पब्लिक ऑडियंस के लिए बनवाया गया भव्य हॉल है।

प्रीतम निवास

चंद्रमहल के ठीक दक्षिण में स्थित अंत:पुर का छोटा चौक है। चौक में चार कोनों में बने चार द्वार अदभुद कलात्मकता और कारीगरी पेश करते हैं। इन्हें रिद्धि-सिद्धि पोल कहा जाता है। चारों की बनावट एक जैसी है लेकिन कलात्मकता एक से बढ़कर एक। चौक के उत्तर-पूर्व में मयूरद्वार सम्मोहन जगाता है। द्वार पर मयूराकृतियों, नाचते मोरों के भित्तिचित्र, स्कल्प शानदार। यह द्वार भगवान विष्णु को समर्पित है। दक्षिण पूर्व में कमलद्वार। यह द्वार शिव-पार्वती को समर्पित है। ग्रीष्म ऋतु को इंगित करने वाले इस द्वार पर बनी कलात्मकता शीतलता प्रदान करती है। इस द्वार के ठीक सामने चौक के दक्षिण पश्चिम में है गुलाब द्वार। कछवाहा राजपूतों की कुल देवी को समर्पित। और लहरिया द्वार। जिसे ग्रीन गेट भी कहा जाता है। लहरिया प्रतीक है सावन का। हरा रंग हरियाली का प्रतीक और लहरिया डिजाईन जयपुर की संस्कृति का।

चंद्रमहल

वर्तमान में राजपरिवार के रहवास बने इस महल को चंद्रनिवास भी कहा जाता है। सात मंजिला इस खूबसूरत ईमारत की सातों मंजिलों की विशेषताओं के अनुरूप ही उनके नाम हैं। जैसे-सुखनिवास, रंग मंदिर, पीतम निवास, श्रीनिवास, मुकुट महल आदि। महल का आकार मुकुट की भांति है, निचली मंजिलों का विस्तार ज्यादा, ऊपर की मंजिलों का कम, शीर्ष बिल्कुल मुकुट की किलंगी की भांति शोभायमान।
सर्वतोभद्र के ठीक उत्तर में कैफे पैलेस है। सर्वतोभद्र के उत्तर-पूर्व में बग्गीखाना है। यह एक खुला चौक है जिसमें शाही सवारियों और तोपों को प्रदर्शित किया गया है।
कहा जा सकता ही कि सिटी पैलेस से जयपुर शहर की शोभा है। देश विदेश से आने वाले मेहमान यहां अतीत की खुशबू और शाही अंदाज को अपनी सांसों में महसूस करते हैं। दुनिया के वे राजघराने जो आज भी आबाद हैं उनमें जयपुर सिटी पैलेस मुख्य स्थान रखता है।

आशीष मिश्रा
पिंकसिटी डॉट कॉम


For English: City Palace

City Palace Gallery

City Palace in Jaipur in Rajasthan.


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