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सिटी पैलेस-जयपुर – मुख्य आकर्षण

The City Palaceसिटी पैलेस यानि नगर का राजप्रासाद। वह स्थान जहां जयपुर को बसाने वाले राजा-महाराजा स्वयं बसे। शाही ठाठ-बाट और अंदाज से जीने के शौकीन कछवाहा राजवंश के राजाओं की हर बात में वैभव था। जयपुर के जर्रे-जर्रे में यह वैभव नजर आता है। तो फिर उन राजाओं के शाही ठाठ-बाट की बात ही क्या। आईये सिटी पैलेस चलते हैं और देखते हैं कि भारत का पेरिस कहे जाने वाले जयपुर शहर की सबसे खूबसूरत जगह किन मायनों में और कितनी खूबसूरत है।

नवग्रहों के नौ खण्ड, दो में राजप्रासाद

जयपुर के सिटी  पैलेस के बारे में यह उक्ति सटीक है कि शहर के बीच सिटी पैलेस नहीं, सिटी पैलेस के चारों ओर शहर है। इस गूढ़ तथ्य का राज है जयपुर के वास्तु में। जयपुर की स्थापना पूरी तरह से वास्तु आधारित थी। जिस प्रकार सूर्य के चारों ओर ग्रह होते हैं। उसी तरह जयपुर का सूर्य चंद्रमहल यानि सिटी पैलेस है। जिस तरह सूर्य सभी ग्रहकक्षों का स्वामी होता है उसी प्रकार जयपुर शहर भी सिटी पैलेस की कृपा पर केंद्रित था। नौ ग्रहों की तर्ज पर जयपुर को नौ खण्डों यानि ब्लॉक्स में बसाया गया। नाहरगढ़ से ये ब्लॉक साफ नजर आते हैं। इन नौ ब्लॉक्स में से दो में सिटी पैलेस बसाया गया और शेष सात में जयपुर शहर यानि परकोटा। इस प्रकार शहर के बहुत बड़े हिस्से में स्थित सिटी पैलेस के दायरे में बहुत सी इमारतें आती थी। इनमें चंद्रमहल, सूरजमहल, तालकटोरा, हवामहल, चांदनी चौक, जंतरमंतर, जलेब चौक और चौगान स्टेडियम शामिल हैं। वर्तमान में चंद्रमहल में शाही परिवार के लोग निवास करते हैं। शेष हिस्से शहर में शुमार हो गए हैं और सिटी पैलेस के कुछ हिस्सों को म्यूजियम बना दिया गया है।

जयपुर में भी चांदनी चौक

जयपुर में चांदनी चौक! चौंक गए ना आप। चांदनी चौक के नाम से हमें प्राय: दिल्ली के चांदनी चौक की स्मृति हो आती है। लेकिन जयपुर की नस-नस से वाकिफ लोग जानते होंगे कि सिटी पैलेस परिसर में भी चांदनी चौक है। त्रिपोलिया बाजार स्थित सिटी पैलेस के दक्षिणी मुख्य द्वार त्रिपोलिया गेट के अंदर एक बड़ा चौक है जो चोहत्तर दरवाजा से आतिश बाजार और गणगौरी बाजार से जुड़ा है, यहीं से एक गलियारा जंतर मंतर भी जाता है। इस बड़े चौक में सिटी पैलेस के मुबारक महल चौक का सिंहपोल लगा है। सिंह पोल और त्रिपोलिया गेट के बीच स्थित इस बड़े चौक को चांदनी चौक कहा जाता है। चांदनी चौक में आनंदकृश्ण बिहारी, ब्रजनिधिजी और प्रतापेश्वर महादेव के हवेलीनुमा भव्य मंदिर हैं।

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Video: सिटी पैलेस

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रिसेप्षन हॉल-मुबारक महल

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p style=”text-align:justify;”>मुबारक का अर्थ शुभ और स्वागत होता है। शाहीकाल में महल में आए हुए मेहमानों का यहां स्वागत किया जाता था। चौक के बीच स्थित मुबारक महल एक तरह से रिसेप्शन स्थल था। मुबारक महल चौक के बीचों बीच गुलाबी सेंडस्टोन से बनी दो मंजिला शानदार इमारत है मुबारक महल। राजपूत, मुगल और यूरोपियन शैली में बने इस शानदार महल के खंभों और झरोखों पर की गई बारीक कारीगरी सोने या चांदी पर की गई नक्काशी से कम नहीं है। वर्तमान में मुबारक महल सवाई मान सिंह संग्रहालय का एक हिस्सा है। यहां राजपरिवार के सदस्यों के वस्त्रों की प्रदर्शनी लगाई गई है। साथ ही राजा मानसिंह की पोलो की ड्रेस भी प्रदर्शित की गई है।

गंगाजली- गिनीज बुक में स्थान

सिटी पैलेस के सर्वतोभद्र यानि दीवान-ए-खास में रखे चांदी के दो बड़े घड़े गंगाजली के नाम से मशहूर हैं। कीमती धातु के इतने बड़े पात्रों की खासियत के कारण ही इन गंगाजलियों को गिनीज बुक में स्थान मिला है। कहते हैं महाराजा माधोसिंह खाने-पीने और पूजा पाठ में गंगाजल के अलावा सादा पानी कभी इस्तेमाल नहीं करते थे। 1902 में उनके मित्र एडवर्ड जब इंग्लैण्ड के राजा का पद संभालने वाले थे तो माधोसिंहजी को आने का न्योता दिया। जाना भी जरूरी था और नियम भी नहीं टूटना चाहिए था। आखिर चांदी के 14000 सिक्कों को पिघलाकर दो घड़े बनाए गए जिनमें गंगाजल को विशेष विमान से इंग्लैण्ड पहुंचाया गया।

दीवान-ए-आम : लेकिन खास

सर्वतोभद्र चौक से एक छोटा द्वार गलियारे से होता हुआ दीवान-ए-आम की ओर जाता है। चंद्रमहल परिसर में वर्गाकार दो मंजिला इमारत पर जो बड़ी घड़ी दिखाई पड़ती है यह दरअसल दीवान-ए-आम की ही छत है। कहने की दीवान-ए-आम आम है लेकिन वास्तव में यहां का शाही अंदाज खास है। यहीं लगे दरबार में मुख्य सिंहासन तख्ते रावल है जिसपे बैठकर महाराजा आमजन की समस्याएं सुनते थे। यह एक बड़ा हॉल है जिसके कालीन, झूमर, दरबार की साज सज्जा और चमक-दमक आंखें चौंधिया देती है।

प्रीतम निवास – जैसा मौसम वैसा वास

चंद्रमहल के दक्षिण में प्रीतमनिवास चौक है। यहां खूबसूरत चार दरवाजे महल के चार हिस्सों में जाते हैं। दिखने में एक जैसे इन दरवाजों की बनावट विशेष है। एक द्वार में  मयूराकृतियां दिखाई देती हैं, दूजे में हरे रंग का लहरिया, तीसरे में गुलाब के फूलों की साज सज्जा है तो चौथे में खिले हुए कमल के फूलों का श्रंगार। कहा जाता है इन द्वारों के साथ लगे महल मौसम विशेष के अनुसार रचे  गए। सर्दी गर्मी वर्षा और वसंत की ऋतुओं में समय बिताने के लिए इनमें सुविधाएं भी विशिष्ट थीं।

कैफेटेरिया

चंद्रमहल के पूर्व में कैफेटेरिया भी है। यह परिसर सर्वतोभद्र से भी जुड़ा है और यहां से उदयपोल होकर जलेब चौक में भी निकला जा सकता है। यदि किसी ऐसे राजमहल में बैठकर आप कॉफी पीने का सपना रखते हैं जिसमें आज भी राजा-रानियां निवास करते हों तो कैफेटेरिया में अपना सपना पूरा कर सकते हैं। साथ ही यहां बैठकर आप राजसी मेहमाननवाजी का लुत्फ भी ले सकते हैं।

विक्टोरिया बग्गी – गिफ्ट हो तो ऐसा

शाही लोगों के उपहार आम कैसे हो सकते हैं। इंग्लैण्ड की महारानी जयपुर आई तो गुलाबी चेहरे वाली उस विदेशी खास मेहमान के स्वागत में महराजा रामसिंह ने पूरे शहर का रंग ही गुलाबी करा दिया। खुश होकर महारानी ने भी बेशकीमती रत्नों से जड़ी खूबसूरत तलवार और इंग्लैण्ड की मशहूर शाही बग्गी उन्हें भेंट की। तोहफे लेने और देने का यह शाही अंदाज उस दौर में ही संभव था। जिसकी खूबसूरत मिसाल हैं यहां के सिलहखाने में रखी वह तलवार और बग्गीखाने में खड़ी विक्टोरिया बग्गी।

कभी सिटी पैलेस आईये तो। आप अपनी नजर से न जाने और क्या विशेष निकाल लें यहां से। वैसे सिटी पैलेस का कोना कोना एक विशिष्ट पहचान लिए हुए है। हर कोने में इतिहास का बेशकीमती खजाना है। अपनी आंखों और यादों में भरकर आप कितने रत्न ला सकते हैं। यह आप पर निर्भर है।

आशीष मिश्रा

पिंकसिटी डॉट कॉम

For English: City Palace

City Palace Gallery

City Palace in Jaipur in Rajasthan.


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