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जयपुर आर्ट फेस्टीवल-डिग्गी पैलेस

जयपुर लिटरेचर फेस्टीवल की मेजबानी कर दुनियाभर में नाम कमा चुके होटल डिग्गी पैलेस में 18 मार्च से जयपुर आर्ट फेस्टीवल का आयोजन हुआ। इस पांच दिवसीय आयोजन में देशभर के जाने माने आर्टिस्ट भाग ले रहे हैं। फेस्टीवल की शुभारंभ सोमवार शाम 6 बजे राज्यपाल मारग्रेट अल्वा ने किया। इस आर्ट फेस्ट का आगाज भी राज्यपाल ने आर्टिस्ट के अंदाज में ही किया। उन्होंने कैनवास पर फूलों की आकृति उकेर कर आयोजन का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि फेस्टीवल में नवोदित कलाकारों को कला के बारे में जानने का मौका मिलेगा। साथ ही जयपुर को लिटरेचर के बाद कल्चरल सिटी के नाम से भी पहचान मिलेगी। यहां पेंटिंग के अलावा वुड क्राफ्टिंग से बनी कठपुतलियां, लाख की चूडियां, मांडने बनती महिलाएं, मिनिएचर आर्ट, फड पेंटिंग, केलीग्राफी, ब्लू पॉटरी आदि कलाओं का प्रदर्शन किया जा रहा है। फेस्ट 22 मार्च तक चलेगा। विभिन्न कलाकारों की पेंटिंग की 21 मार्च से 24 मार्च तक एग्जीबीशन भी लगाई जाएगी।

आयोजन के पहले दिन चित्रकारों ने हरी भरी घाटियां, वादियां, तेज हवा के झौके, झरने नदियां, मोर, कुंभ में डुबकी लगाते श्रद्धालु और शिव पार्वती को कैनवास पर उकेरा।

फेस्टीवल में आए उज्जैन के कलाकार डॉ आर सी भावसार ने ट्रेडीशनल आर्ट सन्जा को कैनवास पर उकेरा। इसके बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि मालवा में कुंआरी लड़कियां अच्छे भविष्य के लिए श्राद्ध पक्ष में दीवारों पर देवी सन्जा की आकृतियां उकेरती हैं। सन्जा देवी की आकृतियों को गीत संगीत के साथ पूजा भी जाता है। आर्टिस्ट डॉ लक्ष्मीनारायण ने फिगरेटिव आर्ट में कुंभ स्नान को कैनवास पर साकार किया।

जयपुर अपने आप में एक खूबसूरत पेंटिंग है। जिसे इसके संस्थापक महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने बड़े मन और इत्मिनान ने बनवाया। इस पेंटिंग को विद्याधर जैसे चित्रकार ने ठीक उसी तरह बनाया जैसे कोई सपनों को वास्तविकता में गढ़ देता है। कला के इसी खूबसूरत शहर में डिग्गी पैलेस के हैरिटेज वातावरण में चल रही चार दिवसीय पेंटिंग प्रदर्शनी देशी विदेशी कला मर्मज्ञों का मन मोह रही है।

प्रदर्शनी में 22 राज्यों के 150 कलाकारों के साथ साथ कई विदेशी चित्रकारों ने अपनी मिनिएचर, वॉश टेक्नीक, मिथिला, वर्ली और फ्रेस्को जैसी विशिष्ट आर्ट प्रस्तुत की हैं। 30 बाई 36 इंच की ये सभी पेंटिंग्स यहां के दरबार हॉल में दर्शकों के लिए प्रस्तुत हैं। आइये, जानते हैं इन पेंटिंग्स की विशेषताओं के बारे में-

रशियन शिव भक्ति
रूस की कलाकार दारिया डाल्डुगिना ने शिव और रुद्र की शक्ति को अपनी पेंटिंग्स का आधार बनाया है। दारिया की दिलचस्पी हिंदू पुराणों में है। उन्होंने अपनी पेंटिंग में शिव का दर्शाया है और दार्शनिक संदेश भी दिया है। दारिया के अलावा वालमिर बिनहोट्टी ने भी अपनी खूबसूरत पेंटिंग यहां प्रदर्शित की है। भाषाओं के बंधन से पार निकलकर इन कलाकारों ने यहां फेस्ट में आने वाले बच्चों से दोस्ती कर ली है।

ब्लेड से उकेरा नारी सौन्दर्य
पेंटिंग्स प्रदर्शनी में शरनु अलोली ने अपनी विशेष प्रतिभा से सभी को आकर्षित किया है। उन्होंने एक युवती की पेंटिंग बनाई है। खास बात यह है कि उन्होंने इस पेंटिंग को बनाने में ब्रश की जगह ब्लेड का इस्तेमाल किया है। शरनु के अनुसार उन्होंने ब्लेड से कैनवास को खुरच कर पेंटिंग्स बनाने की कोशिश की। इसमें वे सफल भी हुए और बाद में ब्लेड के साथ कलर का प्रयोग करने पर उन्होंने इस तरह की पेंटिंग बनाने में महारथ हासिल कर ली।

अधिकारी की तूलिका ने मोहा मन
कलाकार कोई भी हो सकता है। जरूरत है सिर्फ साधना की। यहां प्रदर्शनी में प्रशासनिक अधिकारी किरण सोनी गुप्ता ने भी अपनी पेंटिंग ’ब्लू बैंबूज’ प्रदर्शित की है। बचपन से रंगों की शौकीन रही किरण जयपुर में डिवीजनल कमिश्नर हैं। उनकी नजर में कला वो है जो जिंदगी को छूकर खूबसूरत बना दे।

ढाई लाख की ’शेपर्ड गर्ल’
चित्रकार कमलेश गांधी की पेंटिंग ’शेपर्ड गर्ल’ की कीमत ढाई लाख रुपए है। पेंटिंग में उन्होंने बारिश से बचने के लिए पेड़ की खोह में छुपी एक खानाबदोश लड़की को उकेरा है। कमलेश एयरकंडीशनर बनाने का बिजनेस करते थे, लेकिन जब उनका उस काम से मोहभंग हुआ तो वे पेंटिंग्स बनाने लगे। आज वे अपना पूरा वक्त पेंटिंग्स को देते हैं और अपने इस कार्य से खुश भी हैं।

पेंटिंग खरीद में यूरोप, कोलकाता, मुंबई आगे
बीकानेर के कलाकार महावीर स्वामी ने यहां गणेश मेडिटेशन और शिवलिंग को सूफियाना रंगों से सृजित किया है। महावीर का कहना है कि पेंटिंग खरीदने में यूरोप के लोग सबसे आगे हैं। वहां एक आम आदमी भी पेंटिंग खरीदने के लिए 500 यूरो तक खर्च कर देता है। इसके अलावा भारत में कोलकाता और मुंबई में भी अच्छा रेसपांस मिलता है। महावीर पहले दीवारों और आंगन पर पेंटिंग किया करते थे। परिवार के लोगों द्वारा हौसलाअफजाई मिली तो वे कैनवास पर तूलिका चलाने लगे। आज वे देश के नामी चित्रकारों में एक हैं।

विजुअल एंजोयमेंट है पेंटिंग
मुंबई की चित्रकार अमी पटेल का कहना है कि पेंटिंग्स विजुअल एंजोयमेंट के लिए होती हैं। वे कोई स्क्रिप्ट नहीं होती जिसे पढकर समझ लिया जाए। हर किसी का एक पेंटिंग को देखने का नजरिया अलग होता है। जिसे पेंटिंग देखकर आनंद आने लगता है उसे पेंटिंग की भाषा अपने आप समझ में आने लगती है।

जयपुर आर्ट फेस्टीवल ( Jaipur Art Festival ) की इस चित्र प्रदर्शनी में अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों में क्रिस्टोफर ग्रिफिन, मोहम्मद युनूस, टाला, न्यूटन आर्थर जैसे दिग्गज कलाकारों ने अपनी पेंटिंग्स को एग्जीबिट किया है। पेंटिंग्स में इलाहाबाद का कुंभ, बनारस के घाट, डिवाइन फ्लूट और हाट बाजार सभी अपनी छवियों से दर्शकों को मोहित कर रहे हैं। यह प्रदर्शनी 24 मार्च तक चलेगी।


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