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जौहरी बाजार से वर्ल्ड ट्रेड पार्क तक

johri-bazar-to-wtpजयपुर ने अपनी स्थापना में ही बाजारों को विकसित कर दुनियाभर क शॉपिंग-प्रेमियों का आकर्षित किया है। यहां के जौहरी बाजार और बापू बाजार सदियों से महिलाओं के लिए शॉपिंग का स्वर्ग बने हुए हैं। महिलाओं को यहां परंपरागत ही नहीं आधुनिक खरीददारी के लिए भी बहुत सा सामान मिल जाता है जो भारत के अन्य शहरों में मिलना शायद मुनासिब नहीं।

पिछले चार सालों में जयपुर की ट्रेड संस्कृति में भारी बदलाव आया है और तेजी से मॉल्स ने सभी का अपनी चकाचौंध में लपेट लिया है। इसकी शुरूआत का श्रेय गणपति प्लाजा और गौरव टॉवर को दिया जा सकता है। आज भी ये मॉल आधुनिक जयपुर के सशक्त पायदान बने हुए हैं। लेकिन विगत कुछ वर्षों में जयपुर के आधुनिक मॉल्स ने दुनिया की आंखों को अपने वैभव से चौंधिया दिया है। तेज रफ्तार से बढ़ रहा यह मेट्रो शहर अब वर्ल्ड ट्रेड पार्क जैसे अति आधुनिक शॉपिंग कॉम्प्लेक्सेज से सुसज्जित है। वर्ष 2009 में जहां पूरी दुनिया 1927 जैसे रिसेशन का रोना रो रही थी वही जयपुर में एक और नया मॉल ’ट्राइटन’ ओपन हुआ था। आज ट्राइटन जयपुर के अग्रणी मॉल में से एक है। खास बात यह है कि विश्व बाजार में चाहे मंदी हो या तेजी। जयपुर के व्यापार, शॉपिंग और ट्रेड पर कोई फर्क नहीं पड़ता क्यों कि शाही लोगों के इस शहर में बैक-अप के लिए बहुत कुछ है। जयपुर अपनी जड़ों से ही एक सशक्त प्रमुख व्यापारिक केंद्र रहा है। यहां की संस्कृति ही ऐसी है कि मंदी में भी यह शहर अपनी जड़ों से नहीं हिलता। ट्राइटन खुलने के अगले ही वर्ष 2010 में यहां कोलकाता के मणि ग्रुप ने पिंक स्क्वायर मॉल की स्थापना पर 200 करोड का निवेश भी कर डाला। इन मॉल्स की सफलता के बाद तो यहां मॉल्स की झड़ी लग गई। देश भर के बड़े ग्रुपों की नजर जयपुर पर आ टिकी और जयपुर  बहुत तेजी से ’ऐतिहासिक शहर’ के साथ साथ ’सिटी ऑफ मॉल्स’ के नाम से जाना जाने लगा। इन दो वर्षों में जयपुर में अजमेर रोड पर रिद्धी-सिद्धी ग्रुप का ’एलीमेंट मॉल’, टोंक रोड पर ’जयपुर सेंट्रल’ और मानसरोवर में यूनीक बिल्डर्स का ’शॉपिंग प्लाजा’ भी खुल गया। प्रगति के इस रॉकेट सफर में चांद पर पहुंचने जैसा था यहां के जेएलएन मार्ग पर खुलने वाले ’वर्ल्ड ट्रेड पार्क’ का शुभारंभ होना। वर्ल्ड ट्रेड पार्क ने सच्चे अर्थों में जयपुर को दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई जैसे बड़े शहरों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया। इस बात को यह तथ्य विश्वसनीय बनाता है कि वर्ल्ड ट्रेड पार्क जैसे मॉल देशभर में सिर्फ तीन ही हैं। दिल्ली का ’सलेक्ट सिटी’, मुंबई का ’फोनिक्स हाईस्ट्रीट और तीसरा जयपुर का ’वर्ल्ड ट्रेड पार्क। जयपुर में 1 मार्च को देश के इस भव्य शॉपिंग और ट्रेड मॉल का शुभारंभ हुआ।

डब्लूटीपी के प्रमोटर अनूप भरतरिया का कहना है कि – ’मार्च की शुरूआत में यहां 25 आउटलेट्स आरंभ हो चुके हैं, मॉल के सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठान बुक हो चुके हैं। ऐसी उम्मीद की जा सकती है कि अप्रैल के अंत तक यहां 100 आउटलेट्स व्यापार करना आरंभ कर देंगे।’ उन्होंने आगे कहा कि –  ’अगले छह महिनों में यहां ऑडीटोरियम, होटल, ट्रेड फेयर सेंटर और तकरीबन 250 ऑफिस अपना काम करना शुरू कर चुके होंगे।’

जयपुर की प्रगति यहीं नहीं रुक जाती। व्यापार से प्रेम करने वाले इस शहर के रास्ते आगे जाकर और विस्तारित होने वाले हैं। दिल्ली जैसे शहरों से होड करने वाला यह शहर अगले वर्ष  यहां स्थापित होने वाले जलसा मॉल और स्नो पार्क जैसी सुविधाओं से लैस होने के बाद अंतर्राष्ट्रीय स्तर के शहरों की श्रेणी में शुमार हो जाएगा। कंपनियां इन प्रोजेक्ट पर 80 करोड रुपए का इन्वेस्ट भी कर चुकी हैं।
सीआईआई के वाइस चेयरमैन आनंद सिंघल का कहना है कि अभी प्रदेश में ओवर सप्लाई की बयार चल रही है। लेकिन दो तीन वर्षों में शहर इसे काबू में करने की स्थिति में होगा।
लेकिन ऐसा नहीं है कि मॉल्स संस्कृति ने सकारात्मक प्रभाव भी डाले हैं। इसने ट्रेड के क्षेत्र में कड़ी प्रतिस्पर्धा का दौर आरंभ किया है और ऐसे में कई मॉल्स को नुकसान भी उठाना पड़ा है।  ’सिटी पल्स’ मॉल इसका उदाहरण माना जा सकता है। मॉल की शुरूआत भव्य तरीके से हुई लेकिन जैसे जैसे नए मॉल खुले, यहां ग्राहक संख्या घटती चली गई।

’पिंक स्क्वायर मॉल’ के मार्केटिंग हैड नितिन शर्मा का कहना है कि – ’इस कड़ी स्पर्धा से बाहर आने का रास्ता ये है कि आप लोगों को आपसे जोडें, कार्निवॉल्स, बॉलीवुड इवेंट, कॉर्परेट शो, म्यूजिक कन्संर्ट आदि कार्यक्रमों का आयोजन कर आप लोगों को जोड़ सकते हैं।’ लेकिन साथ ही शर्मा यह भी मानते हैं कि पिछले दो सालों में नए मॉल उद्यमियों के सामने नई चुनौतियां भी पेश आई हैं।

डब्लूटीपी के अनूप भरतिया के शब्दों में ’थोड़ा धैर्य रखने की जरूरत है। आधुनिक रीटेल कल्चर की शुरूआत हो चुकी है। इसने लोगों को उनकी रूचि, उत्तम क्वालिटी और शानदार शॉपिंग अनुभव देना आरंभ कर दिया है। जयपुरवासियों को धीरे धीरे इसकी आदत हो जाएगी और वे मॉल्स में आसानी से आने-जाने लगेंगे।

दौर बदल रहा है लेकिन यह संक्रमण का समय है। बड़े मॉल्स में अभी भी 40 प्रतिशत तक दुकानें और व्यावसयिक परिसर खाली हैं क्योंकि बड़े ब्रान्ड अपना खर्चा सीमित रखने के लिए मॉल की बजाय अन्य बाजारों का रुख करना पसंद कर रहे हैं। गौरतलब है कि मॉल में शो रूम लेने पर उनके खर्च 16 से 18 प्रतिशत तक बढ़ जाते हैं। ऐसे में कीमतों में वृद्धि करना भी मजबूरी बन जाता है और समझदार ग्राहक मॉल का रास्ता छोड़कर छोटे बाजारों की ओर जाने में दिलचस्पी लेने लगता है। एक व्यवसाय विशेषज्ञ का कहना है कि आजकल कीमतें अस्थायी हो गई हैं और आपके पास खर्चों में कटौती के अलावा कोई विकल्प भी नहीं है। शायद इसीलिए भारती-वॉलमार्ट ने पिंक स्क्वायर मॉल में शो-रूम की शुरूआत करने के बजाय किसी सस्ती जगह को शो रूम के लिए चुना है, वहीं बिग बाजार ने भी अपना शो रूम एमजीएफ मॉल में शुरू करने का विचार छोड दिया है।
लेकिन ग्राहकों को इससे फर्क नहीं पड़ता कि वे मॉल में जा रहे हैं या फिर परकोटा के छोटे बाजारों में। जयपुर का समझदार ग्राहक हमेशा कीमतों को ध्यान में रखकर खरीददारी करता है। वह अपनी गर्लफ्रेंड को शॉपिंग करने मॉल का रुख भी करता है और मां को साड़ी दिलाने चौड़ा रास्ता की सैर भी करता है।


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