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‌‌गर्मी में जयपुर के पारंपरिक पेय

‌‌गर्मी में जयपुर के पारंपरिक पेय (Traditional Drinks in summers at Jaipur)

जयपुर में आमतौर पर गर्मियों का सीजन बहुत लंबा निकलता है। मार्च से शुरू हुई गर्मियों का दौर अगस्त सितम्बर में ही थमता है। ऐसे में अपनी कलाओं और परंपराओं से प्रेम करने वाला शहर जयपुर गर्मी से राहत के लिए शीतल पेय के बहुत विकल्प अपने पास रखता है। यही कारण है यहां शीतल और सॉफ्ट पेय के स्थान पर लस्सी और घाट की राबड़ी को ज्यादा तवज्जो दी जाती है। आईये, जानें कि जयपुर के लोग गर्मियों से राहत के लिए कौन कौन से पेय का इस्तेमाल कर राहत महसूस करते हैं।

जयपुरी लस्सी

जयपुर की कचौरी और लस्सी की दीवानगी बॉलीवुड तक है। जयपुर की लस्सी के प्रति तो लोगों में बहुत ज्यादा क्रेज है। लस्सी भी वहीं असली जयपुरी मानी जाती है जिसमें उंगली भर मलाई हो और जो मिट्टी के कुल्हड में परोसी जाए। जयपुर में गर्मी के सीजन में लस्सी बहुत पी जाती है। आमतौर पर जयपुर के घर घर में गर्मियों में लस्सी बनाई जाती है। जयपुर में एमआई रोड पर लस्सीवाला या त्रिपोलिया में रामचंद्र की लस्सी पीने के लिए लोग कतारों में दिखाई देते हैं। दही को मथकर बनाई जाने वाली लस्सी में थोड़ा रूहअफजा मिलाकर इसके स्वाद में और इजाफा किया जा सकता है।

घाट की राबड़ी

जयपुर के परंपरावादी और पुराने लोग आज भी घाट की राबड़ी का मजा गर्मियों में लेते हैं। सिके हुए जौ से बनने वाली घाट की राबड़ी को रात में पकाकर तैयार किया जाता है और सुबह छाछ में मिलाकर पिया जाता है। छाछ के साथ ठंडी राबड़ी का स्वाद ही कुछ और है। स्वाद के मामले में तो यह राबड़ी प्रसिद्ध है ही गुणों में भी पेय पदार्थों की सरताज है। जौ और दही दोनो गर्मी को बहुत हद तक शांत करते हैं। साथ ही जौ का नशा भी राबड़ी का स्वाद बढाता है। राबड़ी पीकर दोपहर में सोने वाले इस पारंपरिक शीतल पेय का स्वाद जानते हैं।

सत्तू

सत्तू भी एक पारंपरिक पेय पदार्थ है जिसे गर्मियों में पिया जाता है। सत्तू जौ की धानी यानि कि सिके हुए जौ के आटे से बनाया जाता है। जौ के आटे को पानी में इतनी मात्रा में मिलाया जाता है कि घोल कुछ गाढा हो जाए। इस घोल में नमक मिलाकर इसे नमकीन पेय बनाया जा सकता है और शक्कर आदि मिलाकर मीठा पेय बनाया जा सकता है। सत्तू भी घाट की राबड़ी की तरह गर्मी के प्रहार से बचाता है और लू नहीं लगने देता। साथ ही यह शरीर में पानी और ग्लूकॉज की की कमी को पूर्ण करता है। जिन लोगों को लो बीपी की शिकायत रहती है वे नमकीन सत्तू का स्वाद ले सकते हैं।

शिकंजी

शिकंजी भी जयपुर के घर घर में बनाई जाती है। गर्मी का तेज और ग्लूकोज की कमी को दूर करने के लिए भी शिकंजी बहुत फायदेमंद होती है। यह नीबू से बनाई जाती है। इसे नीबू पानी भी कहा जाता है। पानी में नीबू, नमक और शक्कर के घोल से यह पेय बनाया जाता है। कुछ लोग सोडा शिकंजी के भी शौकीन होते हैं। यह शिकंजी पानी के स्थान पर सोडा में मिलाकर बनाई जाती है।

गन्ने का रस

जैसे ही गर्मियां आरंभ होती हैं जयपुर के कोने कोने में गन्ने के रस की मशीनें दिखाई देती हैं। गन्ने का रस सस्ता और देशी शीतल पेय है। गर्मियों में यह पेय स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी है और शरीर में जल और ग्लूकोज की मात्रा कम नहीं होने देता। शुगर की बिमारी वालों को गन्ने के रस से बचना चाहिए। जयपुर में गन्ने का रस इतना लोकप्रिय है कि कई लोगों ने इसे हाई सोसायटी उद्यम बना लिया है। गन्ना जंक्शन की दुकानें एक साथ गन्ने के रस के कई फ्लेवर पेश करती हैं। मसाला मिलाने से गन्ने के रस का स्वाद और भी बढ जाता है।

पोदीने की शिकंजी

पोदीना एक पत्तीदार छोटा पौधा है। पोदीने की पत्तियां ठंडक प्रदान करती हैं। इसकी ताजा पत्तियों से चटनी और सूखी पत्तियों से शिकंजी बनाई जाती है। नमक या शक्कर के साथ पोदीने की शिकंजी बहुत अच्छी लगती है और यह लू से बचाती है। जयपुर में पारंपरिक लोग गर्मियों में पानी के स्थान पर पोदीने की शिकंजी ही पीते हैं और स्वस्थ रहते हैं।

आमरस

गर्मियों में यूं तो बील, पपीता, चीकू और केले का जूस खूब पिया जाता है। लेकिन आम की बात ही कुछ और है। फलों के राजा आम को यहां बहुत पसंद किया जाता है। जयपुर में कई जूस वाले ऐसे हैं जो सिर्फ आमरस के कारण ही प्रसिद्ध हैं। जयपुर के लोगों को आमरस बहुत पसंद है और यह घर घर में पिया जाता है। आम को गर्मी में धूप और लू के दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। आम स्वाद में ही नहीं बल्कि गुणों में भी अन्य फलों को पछाड़ता है। जयपुर के लगभग हर इलाके में जूस की दुकानों पर आमरस प्राप्त किया जा सकता है।

जयपुर के युवा भी अपने पहनावे और मूल्यों से आधुनिक हो गए हैं। वे फैशन और रहन सहन के मामले में किसी भी महानगर के युवाओं से कम नहीं हैं। लेकिन जहां बात पेय पदार्थों की आती है तो वे नुकसानदायक बोतलबंद विदेशी पेय पदार्थों के स्थान पर स्थानीय और पारंपरिक पेय पदार्थों को प्राथमिकता देते हैं। गर्मियां अपने चरम पर हैं, तो लस्सी लेंगे या आमरस?


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