जयपुर शहर Hindi

जयपुर के सिनेमाघर

Polo-Victory

विगत कुछ वर्षों में जयपुर में मल्टीप्लेक्स और मॉल संस्कृति का जोर हुआ है। तकनीक के क्षेत्र में यह एक अच्छा मुकाम है। लेकिन जैसे जैसे नवीन सृजन होता है वैसे वैसे पुरातन अपना अस्तित्व खोने लगता है। यही कारण है जयपुर के सिंगल स्क्रीन सिनेमा अपना वजूद खोते जा रहे हैं। जयपुर में अब जो सिंगल स्क्रीन सिनेमा बचे हैं उनमें या तो निवेशक धन निवेश नहीं कर रहे हैं या वे पुरानी फिल्में प्रदर्शित करने के लिए मजबूर हैं। एक के बाद एक ये सिंगल स्क्रीन सिनेमा बंद हो रहे हैं। कभी जयपुर के शान रहे से सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर नए युग के सूत्रपात के आधारस्थल थे।

सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों के बंद होने के कई और भी कारण हैं। आईये, उन कारणों पर विचार करें-

1 रखरखाव और मेंटीनेंस के लिए धन की कमी
2 साउंड और प्रस्तुतिकरण की पुरानी तकनीक
3 सुधारों और नवीनीकरण की कमी, सुविधाओं का अभाव
4 सिने प्रेमियों में गुणवत्तापूर्ण सिनेमा देखने की बढती भूख
5 मल्टीप्लेक्स का विकल्प मिलने के बाद एक ही छत के नीचे सिनेमा देखने और खरीदारी करने की सुविधा
6 मल्टीप्लेक्स में बैठने की सुविधाजन्य व्यवस्था
7 मल्टीप्लेक्स में दो या तीन सिनेमा स्क्रीन होने से मौके पर ही फिल्म का चयन करने की सुविधा
8 मल्टीप्लेक्स ने एक दिन में चार शो की अवधारणा को बदला है
9 मल्टीप्लेक्स में विंडो हमेशा खुला होता है और टिकट के लिए कतार में नहीं लगना पड़ता
10 आमतौर पर सभी मल्टीप्लेक्स में ऑनलाइन टिकिटिंग की सुविधा मिलती है।
11 सिंगल स्क्रीन सस्ते होने से वहां क्वालिटी पीपल का रूझान कम रहता है। इसलिए पारिवारिक और उच्च मध्यम वर्ग मल्टीप्लेक्स जाना पसंद करता है।

अब आपको अंदाजा हो गया होगा कि जयपुर के सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों को क्या होता जा रहा है। सिंगल स्क्रीन सिनेमा पूरी तरह बंद नहीं हुए हैं। जयपुर में अब भी कई सिंगल स्क्रीन सिनेमा हैं जो अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। जिनमें राज मंदिर का भी ना लिया जा सकता है जो अपनी शाही मौजूदगी से सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों की लाज बचाए हुए है। लेकिन इस तथ्य से बचा नहीं जा सकता कि मल्टीप्लेक्स से होड में सिंगल स्क्रीन सिनेमा का नुकसान हो रहा है और तेजी से अब इनका अस्तित्व खत्म हो रहा है।

आईये जयपुर के कुछ सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों की जानकारी लें-

रामप्रकाश

रामप्रकाश सिनेमाघर जयपुर में चांदी की टकसाल पर स्थित है। जयपुर के इस पहले सिनेमाघर के अब सिर्फ अवशेष बचे हैं। जयपुर में निर्मित होने वाला यह पहला सिनेमाघर था। इसका निर्माण जयपुर के महाराजा सवाई रामसिंह द्वितीय ने 1879 में करवाया था। मूल रूप से रामप्रकाश थिएटर सिनेमा हॉल नहीं था। यहां देशभर के नाटकों का मंचन किया जाता था। वास्तविक रूप से यह एक प्रेक्षागृह था। कई वर्षों बाद इसे एक निजी मालिक को बेच दिया गया। तब जयपुर के प्रधानमंत्री मिर्जा इस्माइल की पहल पर इसे सिनेमाघर में तब्दील कर दिया गया। बाद में स्वामित्व के विवाद पर यह हॉल बंद कर दिया गया। आज तक यह विवाद नहीं सुलझ पाया और  अब यह हॉल बंद पड़ा है।

जैम

जैम सिनेमाघर सांगानेरी गेट के बाहर स्थित है। कुछ साल पहले तक यहां फिल्मों का प्रदर्शन किया जाता था। फिलहाल यह हॉल भी बंद है। इसकी पूरी इमारत हालांकि ज्यों की त्यों बरकरार है और अभी तक इसे किसी और उद्देश्य के लिए तोड़ा नहीं गया है। आशंका जताई जा रही है कि यहां से इस हॉल को तोड़कर कोई मॉल बनाया जाएगा। लेकिन जिन लोगों ने इस हॉल में फिल्में देखी हैं उनकी नजर में यह हॉल जयपुर के बेहतरीन सिनेमाघरों में से एक था।

मानप्रकाश

मानप्रकाश सिनेमाघर अजमेरी  गेट के बाहर पुलिस कंट्रोल रूम यादगार के  पास स्थित था। यह हॉल पूरी तरह गोलेछा समूह के स्वामित्व में था जिसे कुछ साल पहले जीटीसी मॉल में तब्दील कर दिया गया। मानप्रकाश जो कभी जयपुर की शान था, उसकी जगह खड़े इस भव्य ताजमहलनुमा मॉल में कहीं से भी मानप्रकाश का अंश नजर नहीं आता।

अंबर

अंबर सिनेमाघर संसारचंद्र रोड पर स्थित था। इसका भी वही हश्र हुआ है जो मानप्रकाश का हुआ। इस हॉल को तोड़कर यहां एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बना दिया गया है।

मयूर

परकोटा के नेहरू बाजार में स्थित इस सिनेमाघर को भी अब शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में तब्दील किया जा चुका है।

मयंक

मयंक सिनेमाघर चांदपोल के बाहर स्थित है जो चांदपोल सर्किल को स्टेशन रोड से जोड़ता है। हालांकि इसे अभी तोड़ा नहीं गया है। लेकिन खंडहर हो चुका यह हॉल काफी अरसे से बंद है और किसी भी उद्देश्य  के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। यहां आखिरी बार जेम्स बांड सिरीज की फिल्म ’गोल्डन आई’ देखी गई थी। इसके बाद इसकी सिल्वर आई हमेशा के लिए बंद हो गई।

प्रेमप्रकाश

प्रेम प्रकाश न्यू गेट के पास चौड़ा रास्ता में स्थित है। आप अगर इसे प्रेमप्रकाश के नाम से ढूंढेंगे तो शायद भटक जाएं क्योंकि सिनेमाघर के नवीनीकरण के बाद इसे गोलेछा सिनेमा के नाम से जाना जाता है। गोलेछा समूह की संपत्ति इस सिनेमाघर को सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर से तीन स्क्रीन वाला सिनेमाघर बना दिया गया। जयपुर का यह पहला तीन स्क्रीन वाला सिनेमाघर है जो किसी मॉल में स्थित नहीं है। आज भी गोलेछा फिल्मों का सफल प्रदर्शन कर रहा है और डिजिटल पिक्चर और साउंड पेश करने में सक्षम है।

पोलोविक्ट्री

जयपुर रेल्वेस्टेशन और सिंधी कैंप बस स्टैंड के पास  स्थित इस सिनेमाघर का नामकरण पोलो की चैंपियंस लीग में जयपुर के जीतने की याद में किया गया था। स्थापना के बाद पोलोविक्ट्री बी और सी ग्रेड की फिल्मों के प्रदर्शन के लिए लोकप्रिय हुआ। कुछ साल पहले इस सिनेमाघर को पूरी तरह नवीनीकृत कर दिया गया है। इसके बाद हॉल की छवि में सुधार हुआ है। वर्तमान में डिजिटल साउंड और पिक्चर के साथ यह हॉल मल्टीप्लेक्स की सभी सुविधाओं से सम्पन्न है।

शालीमार

अजमेर रोड पर हथरोई फोर्ट के पास स्थित इस सिनेमाघर में कुछ वर्ष पहले फिल्मों का प्रदर्शन रोक दिया गया है। वर्तमान में इसे शालीमार कांप्लेक्स के नाम से जाना जाता है। इस परिसर मिें कई वित्तीय संस्थान और बैंक आदि संचालित किए जा रहे हैं।

मोती महल

जब आप कलक्ट्रेट से एमआई रोड की तरफ जाते हैं तो आप इस खूबसूरत सिनेमाघर की चॉकलेटी छवि पाएंगे। जयपुर के सबसे सुंदर आर्किटेक्चर से युक्त यह हॉल फिलहाल बंद कर दिया गया है।

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