पंचवटी सर्किल
राजापार्क स्थित पंचवटी सर्किल पाँच मुख्य चौरोहों के बीच बना हुआ है। सर्किल बना होने के कारण व सर्किल में बने विशाल वट वृक्ष के कारण ही इसे पंचवटी सर्किल के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि यह वृक्ष सबसे प्राचीन है। सर्किल में ही बना शनि मंदिर है। जहाँ शनिदेव की प्रतिमा के साथ ही भैरव प्रतिमा भी है। यहाँ प्रत्येक शनिवार व मंगलवार को विशेष रूप से भक्त भारी संख्या में शनि आराधना के लिए आते है। सामान्य दिनों में भी दर्शनार्थी दर्शन के लिए आते है। पहले सर्किल में मन्दिर के पीछे की तरह कुम्हार रहते थे जो मटके, सुराही का निर्माण करते थे धीरे-धीरे विकास होता गया और एक नव मंदिर के निर्माण का कार्य प्रारम्भ हो गया। आज वहाँ वैष्णव देवी मंदिर व हनुमान मंदिर का निर्माण किया गया है। मंदिर में माँ वैष्णव देवी की सिंह पर सवार मूर्ति है। मूर्ति देखने में बहुत ही सुन्दर व मुकुट से सुशोभित है। प्रतिदिन माँ का सुबह श्रंगार किया जाता है। माँ को नयी साड़ी पहनाई जाती है। प्रतिदिन सुबह व शाम आरती होती है। आरती में भारी संख्या में लोग सम्मिलित होते है। फिर हनुमान मंदिर में आरती होती है। तत्पश्चात् प्रसाद वितरण किया जाता है। शनिवार के दिन मंदिर में अलग-अलग भक्तों के द्वारा विशेष अवसरों पर प्रसाद की व्यवस्था की जाती है। जैसे: जन्मदिन, शादी की सालगिरह, नवरात्रि के अवसर पर माँ का विशेष ांृगार किया जाता है। माँ को नयी लाल चुनरी ओढ़ायी जाती है और आने वाली प्रत्येक कन्या को, सुहागिनों को माँ का प्रसाद वितरण किया जाता है। प्रतिवर्ष यहीं जयपुर स्थित पंचवटी सर्किल पर माँ का दरबार सजाया जाता है और जागरण का आयोजन किया जाता है। जिसमें विभिन्न झाँकियां भी सजाई जाती है। इसमें बाहर से मुख्य प्रसिद्ध कलाकारों को गायन प्रस्तुति के लिए बुलाया जाता है। इस वर्ष गायन प्रस्तुति के लिए लखबीर सिंह लक्खा को बुलाया गया था। जिन्होनें अपनी बहुत सी सुन्दर प्रस्तुति दी।
सर्किल का एक चौराहा मुख्य राजापार्क गली नं. 1 की तरफ जाता है। जहाँ कपड़ों के विभिन्न बड़े शोरूम है। जिनमें मुख्य कैटमौस, फैशन स्क्वॉयर, लिलीपुट, कुटोन्स, सुकन्या आदि है। इसी बीच खाने पीने की चीजों की भी मुख्य दुकानें है, जैसे – चावला स्वीट्स, यहां शाम के समय लोग भारी संख्या में आते है। यहां के गोल-गप्पे कॉफी प्रसिद्ध है। मुख्य चौराहें पर ही ‘लोहरी’ उत्सव भी धूमधाम से आयोजित किया जाता है और विभिन्न कार्यक्रम भी यही आयोजित किये जाते है और एक चौराहा भृगुमार्ग की तरफ जाता है। आगे वाल्मिकी मार्ग भी है। इसी के आगे ‘बीटल स्कूल’ बना हुआ है।
एक चौराहा जवाहर नगर की तरफ भी जाता है। जहां पुलिया नं. 1 का प्रारम्भ होता है। इसी चौरोहे के सामने राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय भी बना हुआ है। जहाँ विद्यार्थी अध्ययन के लिए आते है। राजापार्क का विकास धीरे-धीरे ओर बढ़ता गया। जहाँ पहले रामचन्द्र कैटर्स होटल था वहीं अब नया होटल ‘रमाडा’ बन गया गया है। इससे इसकी शान ओर भी बढ़ गयी है। इसी के सामने ‘हिदुस्तान पैट्रोलियम पम्प’ बना हुआ है। इससे आने जाने वाले यात्रियों को बहुत सुविधा मिलती है। इसी के आस-पास हरियाली के लिए उद्यान बना हुआ है, जो भगत सिंह पार्क के नाम से जाना जाता है। यहां भी सुबह-शाम लोग घुमने व योगा के लिए आते है। राजापार्क में विशेष अवसरों पर सजावट भी की जाती है जैसे – जन्माष्टमी, महाशिवरात्रि, दीपावली आदि। दीपावली पर सजावट के लिए प्रत्येक दुकानदारों से एक समान धनराशि इकट्ठी की जाती है। जिससें विद्युत व्यवस्था व सजावट की जाती है। राजापार्क के मुख्य अध्यक्ष रवि नैय्यर है। जो कि इसमें अपना पूर्ण योगदान देते है।
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