पेयजल के लिए
जयपुर में पेयजल के लिए जल विनियामक प्राधिकरण का गठन किया जाना था। बीसलपुर व ईसरदा बांधों में क्लाउड सीडिंग से कृत्रिम बारिश की योजना थी। बाहरी कॉलोनियों में पेयजल के लिए 2 हजार किमी लंबी लाइन बिछाने का प्रस्ताव था। इसके अलावा पानी को रिसाइकल कर उपयोग में लेने के लिए तंत्र स्थापित करने की भी योजना थी। लेकिन पेयजल के लिए इनमें से किसी भी योजना पर कार्य आरंभ नहीं हो सका।
सड़क परिवहन के लिए
115 किमी लंबाई में बीआरटीएस कोरिडोर विकसित करना था। 18 हजार वाहनों के लिए पार्किंग स्थल विकसित करना था। भारी वाहन शहर के बाहर से निकालने के लिए रिंग रोड तैयार करना था। 5 इंटरस्टेट व एक इंटर सिटी बस टर्मिनल का विकास किया जाना था। साथ ही सीएनजी व इलैक्टि्रक बसों का संचालन किया जाना था। लेकिन इनमें से किसी भी योजना को पूरी तरह आरंभ नहीं किया गया।
चिकित्सा सुविधाओं के लिए
निजी जन सहभागिता से 15400 बिस्तरों की क्षमता वाले अस्पतालों का निर्माण कराना था, अत्याधुनिक इलाज उपलब्ध कराने के लिए मेडिसिटी विकसित करना था, हर वर्ष 20 नई डिस्पेंसरी खोलने का प्लान था ओर डिस्पेंसरियों में स्टाफ की कमी को दूर करने की भी योजना थी लेकिन यह भी नहीं हो सका।
पुलिस सुरक्षा के लिए
योजना के मुताबिक पुलिस स्टाफ की कमी को दूर करना, साइबर व आर्थिक अपराधों से निबटने के लिए विशेष सैल तैयार करने, अग्निशमन तंत्र को आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित करने की योजना भी अमल में नहीं लाई जा सकी।
ड्रेनेज व सफाई के लिए
जयपुर को वर्ल्ड क्लास शहर बनाने के लिए शहर के बाहरी इलाकों में 5500 किमी लंबाई में सीवर लाईन बिछाने की योजना थी, मास्टर ड्रेनेज प्लान को लागू किया जाना था और कचरे के वैज्ञानिक निस्तारण के स्थान विकसित करना था।
और भी थे प्लान-
इसके अलावा आगरा रोड पर फिल्म सिटी का विकास, शहर को वाई फाई बनाना, पर्यटन के लिहाज से ग्लोबल आर्ट स्क्वायर विकसित करना और बिजली की छीजत को 15 प्रतिशत तक कम करना इन योजनाओं में शामिल था। और यह लक्ष्य सरकार को 2010 से 2014 तक हासिल करना था। लेकिन सरकार इन योजनाओं को आरंभ करने में भी फेल साबित हुई है।
ये योजनाएं ही हुई आरंभ-
सरकार हालांकि जयपुर को वर्ल्ड क्लास बनाने में कई मोर्चों पर नाकाम रही है लेकिन कुछ योजनाओं को अमलीजामा पहनाने में कामयाब भी रही। इनमें मेट्रो रेल परियोजना, बावड़ियों का जीर्णोद्धार, अमानीशाह नाले से अतिक्रमण हटाना, बिजली के प्रसारण तंत्र को मजबूत बनाना, चौराहों और तिराहों में सुधार करना और हैरिटेज इमारतों का संरक्षण करना इनमें शामिल है।