जयपुर शहर Hindi

जयपुर : द पिंकसिटी

जयपुर : द पिंकसिटी (Jaipur : The Pinkcity)

jpr-brdपिंकसिटी जयपुर को दो लाख लोगों की बसावट को ध्यान में रखकर बसाया गया था। आज जयपुर शहर की आबादी 50 लाख से ज्यादा है। सवाई जयसिंह ने नए नगर जयपुर को आमेर से तीन मील की दूरी पर मैदान में बसाया । महाराजा सवाई जयसिंह ने सोचा भी नहीं होगा कि जिस नगर को वे दो लाख लोगों के लिए बसाने जा रहे थे वह एक दिन पचास लाख की आबादी के जीवन यापन का आधार बन जाएगा।

जयपुर की स्थापना

jpr-mahalजयपुर की स्थापना 1727 में हुई। राष्ट्रीय स्तर पर देखा जाए तो यह उथल-पुथल का दौर था। जयपुर की विशेषता यह थी कि इस शहर ने मुगलों से मित्रता की और अंग्रेजों से भी। इस तरह यह दोनो ताकतों के बीच अपने आपको सुरक्षित महसूस किया करता था। लेकिन चूंकि मुगलों की ताकत कमजोर हो रही थी और अंग्रेज देश में उठ रहे विद्रोहों से जूझ रहे थे, इसलिए कछवाहा शासकों को अपनी रियासत की सुरक्षा का जिम्मा अब खुद उठाना था। यह वह दौर था जब धीरे धीरे मुगल साम्राज्य का लगातार पतन हो रहा था और पूरा मुल्क एकजुट होकर अंग्रेजों से विद्रोह में उलझा हुआ था। इसी दौरान हिन्दुस्तान की सरजमीं पर तब थार से लगती आमेर रियासत में एक भव्य शहर की उत्पत्ति हुई जिसने दुनियाभर में अपनी खूबसूरती का लोहा मनवा लिया।

स्थापना के कारक

राजनीतिक कारक
jpr-bazarजयपुर की स्थापना के पीछे कई कारण थे जिसमें दो कारण महत्वपूर्ण हैं। पहला, 1707 में औरंगजेब की मौत के बाद दिल्ली के बाहर के सामंतों की स्थित दिल्ली में कमजोर हुई। साथ ही मुगलों का प्रभाव भी घटता जा रहा था। ऐसे में सवाई राजा जयसिंह द्वितीय ने अपने राज्य को अधिक सुरक्षित करने की परिकल्पना की। वे एक भव्य शहर का निर्माण चाहते थे जो मराठा और राजपूत शत्रुओं से अपनी रक्षा करने में सक्षम और जिसमें बड़ी जनसंख्या लंबे समय तक बनी रह सके। सैन्य शक्ति बढाने के लिए भी एक खुले शहर की जरूरत थी। तीन ओर से पहाड़ियों से घिरा होने को फायदा इस शहर को दो तरह से मिला। एक शहर की सुरक्षा मजबूत हुई और दूसरी इतने बड़े शहर के निर्माण के लिए पत्थर की व्यवस्था नजदीक से ही हो गई। जयसिंह सिर्फ बनावट और बसावट तक ही अपने आप को सीमित नहीं रखने वाले थे। उन्हें पता था कि सदियों तक किसी शहर को सुरक्षित रखने के लिए आर्थिक समृद्धि भी पर्याप्त जरूरती होती है। इसलिए विभिन्न व्यवसायों को अलग अलग चौकडिया में व्यवस्थित रूप से बसाया गया। उन्होंने व्यापार और उत्पादन को शहर की ताकत बना दिया।

भौगोलिक कारक
जयपुर की स्थापना के पीछे कुछ भौगोलिक कारक भी थे, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। आमेर का प्राचीन दुर्ग एक पहाडी की चोटी पर 350 फुट की ऊंचाई पर स्थित था।। इस कारण इस नगर के विस्तार के लिए पर्याप्त स्थान नहीं था। लेकिन विस्तार की जरूरत लगातार महसूस की जा रही थी। आमेर के दक्षिणी मैदान में पानी की कोई कमी नहीं थी। क्योंकि यहां से दर्भावती नदी बहती थी। इन सब कारकों ने मिलकर जयपुर की स्थापना में योगदान दिया।

विद्याधर को जिम्मेदारी

jpr-hawaशहर के निर्माण से पहले इसका कच्चा ड्राफ्ट तैयार किया गया। यह कार्य वास्तुविशेषज्ञ बंगाली ब्राह्मण विद्याधर भट्टाचार्य ने किया। विद्याधर को जयपुर शहर बनाने के लिए मुख्य नियोजक की जिम्मेदारी सौंपी गई। महाराजा जयसिंह ने प्रख्यात महाराष्ट्रीयन ज्योतिषी जगन्नाथ से विनायक शांति, वास्तु शांति और नवग्रह शांति कराकर शस्त्र समम्त विधिविधान से नगर का शिलान्यास किया।

सुरक्षा और नियोजन

प्रजा को सुरक्षित जीवन देने के लिए नगर के चारों ओर बने पक्के परकोटे का निर्माण किया गया। यह परकोटा लगभग 27 फुट ऊंचा और 9 फुट चौड़ा था। चौपड के नक्शे के अनुसार सड़कें बनवाई गई और सडकों के किनारों के सारे मकान लाल बलुवा पत्थर के बनवाए गए थे।

नौ चौकड़ियां सात दरवाजे

jpr-polविद्याधर के अनूठे नगर नियोजन में इस चतुर्भुजाकार शरह को नौ चौकड़ियों में विभाजित किया गया। नगर के चारों ओर सात प्रवेश द्वार बनाए गए। जिनका ग्रहों की स्थिति के अनुसार नामकरण और निर्माण किया गया। पूर्व दिशा में सूरजपोल और पश्चिम दिशा में चांदपोल नामक दरवाजे निर्मित किए गए। उत्तर-दक्षिण में शिवपोल जिसे आज सांगानेरी गेट के नाम से जानते हैं, स्थापित किया गया। साथ ही दक्षिण दिशा में दो और द्वार बनाए गए जिन्हें अब किशनपोल या अजमेरी गेट और रामपोल या घाट गेट के नाम से जाना जाता है। उत्तर दिशा में ध्रुवपोल स्थापित किया गया जिसे आज जोरावर सिंह गेट के नाम से पुकारते हैं। उत्तर पूर्व में गंगापोल का निर्माण किया गया।

मॉस्को से तुलना

जयपुर को पूर्व का पेरिस कहा जाता है। लेकिन सदियों पूर्व एक शाही यात्री हीबर इस शहर की तुलना मॉस्को से कर चुका था। 1824 में हीबर जयपुर होकर गुजरा तो उसे नगर के परकोटे को देखकर लगा कि वह मास्को में आ गया है। हीबर ने लिखा ’नगर की प्राचीरें क्रेमलिन से ऐसी मिलती जुलती हैं कि मैं कल्पना करने लगा कि मास्को में हूं।’

जयपुर वाकई एक लाजवाब शहर है। अपनी स्थापना के समय रथ, बग्घियों और तांगों से सफर करते हुए यह शहर मेट्रो के सफर तक पहुंच गया है। चांदपोल और सूरजपोल से निकल कई मीलों तक विस्तारित हो चुका है। इस शहर में दो विश्व विरासतें दुनियाभर के पर्यटकों को अपनी खूबसूरती का अहसास कराती हैं। विकास के नित नए कीर्तिमान गढ़ता हुआ यह शहर हर दिन किसी न किसी बुलंदी को छू रहा है। महाराजा जयसिंह का सपना अब पचास लाख लोगों का सपना बन चुका है।

Tags

About the author

Pinkcity.com

Our company deals with "Managing Reputations." We develop and research on Online Communication systems to understand and support clients, as well as try to influence their opinion and behavior. We own, several websites, which includes:
Travel Portals: Jaipur.org, Pinkcity.com, RajasthanPlus.com and much more
Oline Visitor's Tracking and Communication System: Chatwoo.com
Hosting Review and Recommender Systems: SiteGeek.com
Technology Magazines: Ananova.com
Hosting Services: Cpwebhosting.com
We offer our services, to businesses and voluntary organizations.
Our core skills are in developing and maintaining goodwill and understanding between an organization and its public. We also conduct research to find out the concerns and expectations of an organization's stakeholders.

Add Comment

Click here to post a comment

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

%d bloggers like this: