जयपुर नगर निगम की स्थापना वर्ष 1904 में 74 वें नगर अधिनियम के तहत की गई थी। नगर निगम का मुख्य उद्देश्य शहर के सभी नागरिकों की जरूरतों के अनुसार कार्य करना है। पिंक सिटी के नाम से लोकप्रिय शहर जयपुर अपनी कला और वास्तुशिल्प के कारण दुनियाभर में जाना जाता है, यह खूबसूरत शहर अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के लिए भी प्रसिद्ध है। जयपुर भारत के प्रसिद्ध शहरों में से एक है, यह पर्यटन का एक महान केंद्र है। विश्व भर से यहां हर साल लाखों की संख्या में विदेशी पर्यटक आते हैं और शहर का स्थापत्य देखने के साथ साथ यहां की रंग बिरंगी संस्कृति में रंग जाते हैं।
पता-
जयपुर नगर निगम, यूनिवर्सिटी मोड़, लाल कोठी
टोंक रोड़ जयपुर, राजस्थान।
उक्त सभी बातों और विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए जयपुर नगर पालिका को नगर निगम में तब्दील किया गया था। तेजी से प्रसारित होते इस मेट्रो शहर के विकास और जनसुविधाओं के लिए एक मिशन की तरह काम करना जरूरी है। इनहीं मानकों को मद्देनजर रखते हुए नगर निगम अपनी स्थापना से लेकर आज तक इस खूबसूरत शहर में सुधार और नागरिक सेवाओं के कार्य में जुटा है।
अपने मकसद तक पहुंचने और लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जयपुर नगर निगम ऐसे नए कार्यक्रमों और योजनाओं को अमल में लाता है जो सभी के लिए फायदेमंद हों और तेज रफ्तार से बढ़ती जनसंख्या की तेजी से बढ़ती जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हो। जयपुर को एक वर्ल्डक्लास सिटी बनाने में नगर निगम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जयपुर नगर निगम शहर में जल, अपशिष्ट प्रबंधन, शिक्षा और स्वास्थ्य केन्द्रों के निर्माण के साथ साथ सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह शहर में सीवरेज के जाल और जल निकासी प्रणाली और शहर भर में स्वच्छता बनाए रखने के लिए लगातार कार्य कर रहा है।
नगर निगम जयपुर शहर में राजमार्गों, सड़कों, फ्लाईओवर्स, उद्यानों आदि के रखरखाव के लिए कार्य करता है। इसके अलावा विभिन्न विकास परियोजनओं के निर्माण और क्रियान्वन में भी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करता है। नगर निगम नए बनने वाले भवनों के निर्माण पर नजर रखता है और यह देखता है कि वे सभी नियमों के दायरे में बन रहे हैं, इसके अलावा जर्जर हो चुके मकानों की निगरानी रखता है ताकि बारिश या भूकंप के समय जनहानि से बचा जा सके, निगम शहर में मनोरंजन केन्द्रों, सामुदायिक हॉल, उद्यान, सार्वजनिक पार्क, प्रदर्शनी हॉल और सम्मेलन केंद्र, इमारतों और अपार्टमेंट्स आदि के निर्माण और रखरखाव के रखरखाव के लिए जवाबदेह है।
नगर निगम सभी मुद्दों पर और अधिक प्रभावी ढंग से कार्य करे, इसके लिए शहरो चार प्रमुख क्षेत्रों में विभाजित किया गया है। जयपुर नगर निगम शहर के लिए बहुत ही बेहतर तरीके से प्रभावी कार्य करता है। शहर के लिए समर्पित होकर नागरिकों के लिए विकास और सुधार के कार्य करने के कारण अनेकों बार इस संगठन को सम्मानित और पुरस्कृत किया जा चुका है। जयपुर का नगर निगम देशभर के अन्य राज्यों के निगमों और परिषदों से श्रेष्ठ माना जाता है। यह विभाग नागरिकों के जन्म एवं मृत्यु रिकॉर्ड को भी संरक्षित रखता है और प्रमाण पत्र प्रदान भी करता है।
जयपुर नगर निगम
नगर निगम के कार्य निष्पादन को देखते हुए जयपुर शहर को आठ प्रमुख भागों में विभाजित किया गया है। ये आठ क्षेत्र इस प्रकार हैं-
- विद्याधर नगर- वार्ड संख्या 1, 8, 9,10,36,37 एवं 62 से 70
- मोती डुंगरी क्षेत्र के वार्ड 18 एवं 26 से 35
- सिविललाइंस क्षेत्र के वार्ड सं 2 से 7, 15, 16, 17, 19, 20 एवं 38
- हवामहल पूर्व क्षेत्र के वार्ड संख्या 44 से 51 एवं 55 से 57
- मानसरोवर क्षेत्र के वार्ड संख्या 11 से 14 एवं 21
- हवामहल पश्चिम क्षेत्र के वार्ड 39 से 43 एवं 58 से 61
- सांगानेर क्षेत्र के वार्ड 22 से 25
- आमेर क्षेत्र के वार्ड 52, 53 एवं 54 इनमें शामिल हैं।
जयपुर को एक हरा भरा और साफ सुथरा शहर बनाने के लिए जयपुर महापौर ज्योति खंडेलवाल ने साहसिक प्रयास किए हैं। इसके अलावा जनसमस्याओं के शीघ्र निस्तारण के लिए उन्होंने संचार तकनीक का भी बखूबी इस्तेमाल किया है। जयपुर में सफाई व्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए निगम की ओर से ए टू जेड सर्विस भी आरंभ की गई थी। लेकिन आशानुकूल परिणाम न देने के कारण सेवा हटा दी गई। वर्तमान में निगम जयपुर में बेहतर व्यवस्थाओं के लिए प्रतिबद्ध होकर कार्य कर रहा है।
महत्वपूर्ण दूरभाष तालिका
श्रीमती ज्योति खंडेलवाल – (मेयर) -0141-2741424, फैक्स- 2741424
श्री जगरूप सिंह यादव – (सीईओ) – 0141- 2742823, फैक्स 2742823
श्री वीरेन्द्र सिंह- (आरएएस)- 0141-5101455
कंट्रोल रूम नम्बर- 0141-2742900
सिटीजन हैल्पलाइन नम्बर- 0141- 5110111
चारदीवारी के बाजारों की समस्या सुनेगा नोडल अफसर
जयपुर मेयर ज्याति खंडेलवाल ने नगर निगम के अधिकारियों को नियमित रूप से चार दीवारी के बाजारों की निगरानी कर पार्किंग, अतिक्रमण व सफाई आदि समस्याओं के सुधार के निर्देश दिए। मेयर ने इस काम के लिए आयुक्त मुख्यालय को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है। निगम मुख्यालय में सोमवार को बैठक में व्यापारियों ने संजय बाजार में पर्किंग ठेके के बजाय दुकानें बनाने और जौहरी बाजार व त्रिपोलिया बाजार में ठेलों के अतिक्रमण हटाने की मांग की। त्रिपोलिया में पार्किंग ठीक न होने और ठेकेदार द्वारा अधिक शुल्क वसूलने की भी शिकायत की गई। व्यापारियों ने अजमेरी गेट के मुर्गीखाने को दूसरी जगह स्थानांतरित करने की मांग भी की। मेयर ने अधिशासी अभियंता प्रोजेक्ट डीके मीणा को तत्काल कार्रवाही कर प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
नगर निगम का अग्निशमन दल अब और शक्तिशाली होने वाला है। फिलहाल अग्निशमन समिति के सामने सबसे बड़ी समस्या जयपुर वॉल एरिया की तंग गलियों में लगी आग बुझाने की थी। अग्निशमन की गाड़ियां इन तंग गलियां में नहीं घुस सकती। निगम ने इसका विकल्प ढूंढ लिया है। अब निगम को मोटर साईकिल वाली अग्निशमन गाड़ियां उपलब्ध होंगी। ये गाड़ियां आसानी से चाहरदीवारी की तंग गलियां में घुस जाएंगी और आग पर काबू पाएंगी। जयपुर के अग्निशमन बेड़े को जल्द ही वाटर मीस्ट मोटरसाइकिलें मिल जाएंगे। ये मोटरसाइकिलें फिलहाल दिल्ली के तंग इलाकों में सेवाएं देती हैं। इसके अलावा बेडे में 6 फोम क्रेश टेंडर, 6 वॉटर ब्राउजर, 17 छोटी दमकलें और 18 बड़ी दमकलें शामिल की जाएंगी।
अतिक्रमियों की खैर नहीं
जयपुर में अवैध निर्माण और अतिक्रमण करने वालों की अब खैर नहीं। सुप्रीम कोर्ट की एम्पावर्ड कमेटी ने जब अवैध निर्माण और अतिक्रमण पर सख्त रुख अपनाया तो राज्य सरकार भी हरकत में आ गई है। सरकार ने जेडीए और नगर निगम सहित प्रदेश के सभी नगर निकायों को अवैध निर्माण और धार्मिक स्थलों की आड में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण के प्रकरणों का सर्वे कराकर कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। साथ ही एम्पावर्ड केमेटी की ओर से उल्लेख किए गए सरकारी जमीन पर धार्मिक स्थल का निर्माण कराने के तीन प्रकरणों की जांच पूर्व आईएएस को सौंपी है। अवैध निर्माण व अतिक्रमण को लेकर नाराज कमेटी ने शीर्ष अधिकारियों को कड़ा पत्र लिखा था। अतिरिक्त मुख्य सचिव जीएस संधु ने एम्पावर्ड कमेटीके पत्र का उल्लेख करते हुए सभी नगरीय निकायों व जेडीए को सरकारी जमीन पर धार्मिक स्थल के नाम पर अतिक्रमण करने वालों का सर्वे कर अतिक्रमण शीघ्र हटाने के निर्देश दिए। नगरीय निकायों व जेडीए को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
निगम को ठेंगा दिखा, उठाई झाडू
जयपुर में मुरलीपुरा के आर्यनगर में लोगों ने एक मिसाल कायम की है। काफी समय से इस इलाके में नगर निगम साफ सफाई पर ध्यान नहीं दे रहा था। बार बार शिकायत भी की गई लेकिन सब बेकार। आखिर लोगों ने खुद ही सफाई करने की ठान ली और रविवार 21 अप्रैल को झाडू लेकर सड़कों पर निकल गए। उन्होंने जहां कचरा देखा वहीं सफाई कर डाली। एक तरफ ये लोग ’निगम हाय हाय’ के नारे लगा रहे थे तो दूसरी ओर रामधुनी गाकर झाडू लगा रहे थे। वास्तव में इन लोगों ने निगम की पोल खोल दी और शहर की आंखें।
विवाह स्थलों के लिए न कोई नियम, न प्रस्ताव
जयपुर में विवाह स्थलों के किराया नियंत्रण के हक को नगर निगम के संबंधित अधिकारी एकराय नहीं हैं। विवाह स्थल उपविधियां बनाने वाली समिति के अध्यक्ष इसे सरकार का अधिकार क्षेत्र बताते हैं तो विधि निदेशक के अनुसार निगम जनहित में यह नियम बना सकता है। विवाह स्थल उपविधियां बनाते और स्वीकृत करते समय अफसरों के सामने विवाहस्थलों के बेहिसाब किराए का मुद्दा आया था। फिर भी निगम ने न तो अपने स्तर पर कोई कदम उठाया और न ही सरकार को इस बारे में प्रस्ताव भेजा।
अमानीशाह के लिए निगम की दो टीमें
जयपुर में हाईकोर्ट के डर से आखिरकार अब नगर निगम ने अमानीशाह नाले के बहाव क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने की तैयारी शुरू कर दी है। निगम अगले सप्ताह नाले के बहाव क्षेत्र से अतिक्रमण हटाना शुरू करेगा। इसके लिए दो अलग अलग टीमें बनाई गई हैं। नाले के दो किमी से अधिक का क्षेत्र निगम के सिविल लाइंस जोन की सीमा में आ रहा है। जहां अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी निगम की है। इस क्षेत्र में घनी आबादी होने के कारण निगम को जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ रहा है। पिछले दिनों हाइकोर्ट की फटकार के बाद अब निगम ने कार्रवाई करने की कवायद शुरू कर दी है।
अमानीशाह में छह घंटे चला बुलडोजर
जयपुर नगर निगम ने हाईकोर्ट के आदेशों की पालना करते हुए मंगलवार 21 मई को अमानीशाह नाला बहाव क्षेत्र से अतिक्रमण हटाया। सुशीलपुरा में सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक छह घंटे चली कार्रवाई में दस्ते ने विरोध के बावजूद 26 निर्माण ध्वस्त कर दिए। हालांकि आबादी क्षेत्र एवं विरोध को देखते हुए निगम दस्ता 150 चौडाई में र्कावाई की हिम्मत नहीं जुटा सका और नाले की 106 फीट चौडाई मानते हुए एक किमी दूरी तक अतिक्रमण हटाए। निगम ने बुधवार को लोगिों को अपने घरों का सामान हटाने की मोहलत दी है। इस दौरान निगम पुनर्वास फार्म भरवाएगा और अतिक्रमण चिन्हित करेगा। गुरूवार को फिर कार्रवाई की जाएगी। नगर निगम आयुक्त मुकेश मीणा का कहना है कि राज्य सरकार की ओर से गठित एमएनआईटी कमेटी की रिपोर्ट एवं क्षेत्रीय विधायक से बातचीत के बाद 106 फीट चौडाई में कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया है। अमानीशाह नाले की चौडाई 106 फीट मानते हुए हसनपुरा तक कार्रवाई की जाएगी। लोगों को पुनर्वास के लिए विकल्प पत्र बांटे जा रहे हैं।
निगम की बरकतनगर में कार्रवाई
जयपुर नगर निगम का दस्ते ने शुक्रवार 24 मई को बरकतनगर में अतिक्रमण हटाने की हल्क कार्रवाई की। दस्ते को बरकतनगर में करीब 900 मीटर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाना था। लेकिन दस्ता सिर्फ चार दुकानें तोड़कर लौट आया।
लॉटरी से सफाईकर्मियों की भर्ती
जयपुर नगर निगम अब सफाईकर्मियों की भर्ती लॉटरी से कराने के लिए राज्य सरकार को पत्र लिखेगा। निगम मुख्यालय में गुरूवार को हुई बैठक में यह निर्णय किया गया। महापौर ज्योति खंडेलवाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में सफाई समिति के अध्यक्ष रोशन सैनी एवं अन्य सदस्यों ने मापदंड पूरे करने वाले अभ्यर्थियों की अधिक संख्या होने पर साक्षात्कार प्रणाली पर शंका जाहिर की। सैनी का कहना है कि इससे भर्ती में पारदर्शिता नहीं रहेगी। अन्य सदस्यों ने भी इसका समर्थन किया। इस पर निर्णय किया गया कि समिति 1100 पदों के लिए प्राप्त 42000 आवेदनों को छांटकर निर्धारित मापदंड पूरे करने वालों की सूची तैयार करेगी। इसके बाद राज्य सरकार को पत्र लिख कर लॉटरी के माध्यम से भर्ती करने का आग्रह करेगी।
भंग की जाए समिति
अफसरों के रवैये से नगर निगम की वर्षा जल संरक्षण पुनर्भरण समिति इतनी खफा है कि उसने यह समिति ही भंग किए जाने का प्रस्ताव पारित कर दिया है। यह समिति दिसम्बर में ही बनाई गई थी। गुरूवार को समिति की बैठक में इसके सदस्यों ने प्रस्ताव पारित कर कहा कि या तो इसे शक्ति संपन्न बनाने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा या फिर भंग कर दें। समिति अध्यक्ष संयज वर्मा ने बताया कि बैठकों में सभी जोन आयुक्तों और वरिष्ठ नगर नियोजक को बैठक में बुलाया तो वे न खुद आए और न कोई प्रतिनिधि भेजा। जानकारी मांगी तो वह भी नहीं दी गई।
निगम रात दिन उठाएगा बरकतनगर से मलबा
जयपुर के बरकतनगर के मुख्य बाजार की दशा सुधारने के लिए नगर निगम आखिरकार हरकत में आ गया है। निगम की मशीनरी अब बाजार से मलबा उठाने और सडक को यातायात संचालन लायक बनाने में जुट गई है। जोन आयुक्त ने अधिशासी अभियंता को दिन के अलावा रात में भी मलबा उठाने के निर्देश दिए हैं। गौरतलब है कि बरकतनगर में अतिक्रमण की कार्रवाई के बाद काफी समय तक निगम ने मलबा नहीं उठाया था। बाद में मीडिया में लगातार खबरें प्रकाशित होने के बाद निगम पर दबाव पड़ा और आखिर निगम को यहां दिन रात काम कर मलबा उठाने के निर्देश जारी करने पड़े। चुनावी वर्ष होने के कारण प्रशासनिक संस्थाएं राजनीतिक दबाव में कार्य कर रही हैं।
राजनीतिक दल का होकर रह गया नगर निगम
नगर निगम इन दिनों सत्तासीन पार्टी का निजी उपकरण बनकर रह गया है और जनता के काम अटके पड़े हैं। चुनावी साल होने के कारण सरकार नगर निगम के अधिकारियों कर्मचारियों को अपने लिए इस्तेमाल कर रही है। पहले ही नगर निगम कर्मचारियों की कमी झेल रहा है। ऊपर से कर्मचारियों को सरकारी अभियानों और योजनाओं में लगाया हुआ है। रही सही कसर बीएलओ ड्यूटी ने पूरी कर दी है। जहां निगम के साठ कनिष्ठ लिपिक लगा दिए गए हैं। ऐसे में निगम के दैनिक कार्य प्रभावित हो रहे हैं। स्थिति ये है कि मुख्यालय सहित सभी आठ जोन कार्यालयों में काम करने के लिए बाबू तक नहीं है। सफाई का काम संभालने वाले अधिकारी पेंशन और बीपीएल, आवास योजना का काम कर रहे हैं। दरअसल राज्य सरकार का प्रशासन शहरों के संग अभियान, पेंशन महाअभियान और मुख्यमंत्री बीपीएल आवास योजना का काम निगम के जिम्मे ही है। इस माह आर्थिक जनगणना भी होनी है। जिसका काम भी शुरू हो गया है। इसके अलावा निगम के दैनिक कार्य भी निगम अधिकारियों कर्मचारियों को करने पड रहे हैं। हालात ये है कि एक ही लिपिक अभियान, योजना, जनगणना, आरटीआई एवं अन्य काम देख रहा है।
हसनपुरा में निगम दस्ते का विरोध
जयपुर के हसनपुरा क्षेत्र में अमानीशाह नाला बहाव क्षेत्र में आ रहे अतिक्रमणों को चिन् हित करने गए नगर निगम के दस्ते के अधिकारियों को लोगों के तीखे विरोध के कारण उल्टे पांव लौट आना पड़ा। बुधवार को नाले की चौडाई कम करने और जेडीए पट्टे वाले निर्माणों को नहीं तोड़ने की मांग को लेकर लोगों ने खातीपुरा रोड जाम कर दिया। पुलिस और निगम के अधिकारियों ने लोगों को समझाकर शांत किया। लोगों को आशंका है कि अगर वे विकल्प पत्र भर देंगे तो निगम मकान तोड देगा। यही कारण है कि निगम सीमा में नाले की 106 फीट चौडाई में आ रहे करीब 400 प्रभावितों में मात्र 60 ने ही विकल्प पत्र भरा है। निगम अब तक 500-600 विकल्प पत्र बांट चुका है।
जयपुर में नहीं बनेंगी साठ मीटर ऊंची इमारतें
जयपुर में सघन आबादी वाले इलाकों में अब साठट मीटर से ज्यादा ऊंची इमारतें नहीं बनाई सकेंगी। यह नगरीय विकास विभाग की गठित विशेषज्ञ समिति तय करेगी। जो जल्दी ही बनाई जाएगी। नगरीय विकास मंत्री शांति धारवाल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडलीय एम्पावर्ड कमेटी की बुधवार को हुई बैठक में यह फैसला हुआ। इमारतों की ऊंचाई की अधिकतम सीमा के दयारे में टोंक रोड, अजमेर रोड, सरदार पटेल मार्ग, न्यू सांगानेर रोड, गोपालपुरा बायपास व जगतपुरा आदि इलाके आएंगे।
750 वर्ग मीटर पर मैकेनाइज्ड पार्किंग
नगर निगम रीजन में अब 750 वर्ग मीटर के भूखंड पर मैकेनाइज्ड पार्किंग बनाई जा सकेगी। बिल्डर पाक्रिंग बनाने के लिए बाध्य रहे इसके लिए उसे नगर निगम को बैंक गारंटी देनी होगी। बिल्डर पार्किंग के लिए बाध्य रहें इसके लिए उसे नगर निगम को बैंक गारंटी देनी होर्गी। बिल्डर्स के साथ नगर निगम में बुधवार को हुई बैठक में यह निर्णय किया गया। प्रशासन शहरों के संग अभियान के लिए गठित एम्पावर्ड कमेटी ने पहले एक हजार वर्गमीटर पर ही मैकेनाइज्ड पार्किंग का प्रस्ताव मंजूर किया था। इस पर बिल्डर्स ने इसे 750 वर्गमीटर करने की मांग की थी। जिसे बुधवार को कमेटी ने स्वीकार कर लिया।
अमानीशाह नाले में फिर कार्रवाई
एक महीने की शांति के बाद बुधवार को एक बार फिर सुशीलपुरा स्थित अमानीशाह नाला बहाव क्षेत्र में 25 अतिक्रमणों को नगर निगम ने हटा दिया। निगम दस्ते ने करीब सात सौ मीटर की दूरी में नाले के दानो ओर के बहाव क्षेत्र को खाली कराया। इस दौरान आंखों के आगे आशियाना टूटते देख प्रभावित परिवारों ने विरोध भी किया। लेकिन निगम ने हाईकोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए कार्रवाई जारी रखी। नगर निगम ने चार और पांच जून को सुशीलपुरा क्षेत्र से अतिक्रमण हटाए थे। इसके बाद हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश करने के लिए सुनवाई की तारीख से एक दिन पहले निगम का भरी भ्रकम दस्ता सुबह नौ बजे सुशीलपुरा पहुंचा। यहां मच्छी मार्केट से नाले की 105 मीटर चौडाई में आ रहे निर्माणों को हटाना शुरू किया। निगम की टीम को दो हिस्सों में बांट कर अतिक्रमण हटाए गए।
हैरिटेज व ड्रेनेज पर खर्च होंगे 2500 करोड
राज्य सरकार की राज्य स्तरीय स्टेयरिंग कमेटी ने जयपुर के लिए 2505 करोड रूपए और अजमेर के लिए 208 करोड रूपय के कई प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है। अब इनकी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर केंद्र सरकार को भेजी जाएगी। इसमें हैरिटेज सिटी के कंजरवेशन के साथ साथ सीजरेज व ड्रेनेज प्रोजेक्ट भी शामिल हैं। नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने बैठक के बाद बताया कि जयपुर में 190 किमी लंबी सीवरेज लाइन के पुनर्निमाण और मरम्मत के काम के लिए 544 करोड रूपए मंजूर किए गए है। अब इसकी डीपीआर बनाकर केंद्र सरकार को भेजी जाएगी। त्रिपोलिया बाजार, किशनपोल बाजार, चांदपोल बाजार, रामगंज बाजार, घाटगेट बाजार, सुभाष चौक, जोरावरसिंह गेट और हनुमान मंदिर को हेरिटेज की दृष्टि से संरक्षित करने पर 20 करोड रूपए खर्च होंगे। कमेटी ने ड्रेनेज सिस्टम के लिए 1300 करोड रूपए के प्रोजेक्ट मंजूर किए हैं। इसकी डीपीटार केंद्र सरकार की संस्था ईपीआईसी बनाएगी।