जयपुर : काउंटर मैग्नेट क्षेत्र (Jaipur – Counter Magnet Area)
जयपुर की सूरत और सीरत दिन-ब-दिन बदल रही है। साढ़े तीन किलोमीटर के दायरे से सिमटा पिंकसिटी अपनी हदों से बाहर निकल कर चाकसू, बस्सी, कूकस, सामोद और बगरू तक फैल गया। अंतर्राष्ट्रीय स्तर की इमारतें, सैंकड़ों अस्पताल, हजारों शिक्षण संस्थाएं, तेजी से विकसित होता सिटी ट्रांसपोर्टेशन, विशाल कॉलोनियां और जल्द ही शहर के एक छोर से दूसरे छोर तक मेट्रो दौड़ती दिखाई देंगी…यह है नया जयपुर।
भारत के पहले सुनियोजित तरीके और वास्तु के आधार पर बसे खूबसूरत गुलाबी शहर की सीमाएं और ईसरलाट से भी दिखाई नहीं देती। हाल ही जयपुर को काउंटर मैग्नेट क्षेत्र का दर्जा देने की भी बात चल रही है। इसके बाद जयपुर की तुलना दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे महानगरों से होगी। आईये, जानते हैं काउंटर मैग्नेट क्षेत्र के बारे में-
काउंटर मैग्नेट क्षेत्र
दिल्ली जैसे लगातार फैलते बड़े शहरों के सामने एक समस्या प्राय: सामने आती है। वह है भारी संख्या में नौकरी के लिए यहां आने वाले लोगों की भीड़। आसपास के गरीब गांवों, कस्बों और छोटे शहरों के लोग काम धंधे की तलाश में इन महानगरों का रुख करते हैं। वे यहां झोंपड़ पट्टी में रहते हैं और मेहनत मजदूरी करके पैसा कमाते हैं। रोजगार नहीं मिलने की दशा में इन्हीं झोंपड़ पटि्टयों से अपराध भी पनपता है। या सरकार के सामने इन्हें जनसुविधाएं मुहैया कराने का संकट खड़ा हो जाता है। ऐसे में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एनसीआर लगातार कुछ शहरों को विकसित करने पर विचार करता है और उन्हें महानगर जैसी सभी सुविधाएं मुहैया कराने के प्रयास करता है ताकि महानगरों की ओर होने वाला भारी पलायन रोका जा सके।
काउंटर मैग्नेट क्षेत्र का मकसद बड़े शहरों में रोजगार के लिए होने वाला पलायन और जनसंख्या के दबाव को रोकना है। इसमें नौकरी के अवसरों के साथ ही पेयजल, स्वच्छता, सड़क, सीवर पर ध्यान, ज्यादा शैक्षणिक संस्थान, सभी वर्गों के लिए घर, नए अस्पताल और यातायात सुविधाओं को उन्नत बनाना शामिल है। विकास योजनाओं को अमलीजामा पहनाने के लिए एशियन विकास बैंक व केएफडब्लू जर्मनी आदि अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से कम ब्याज दर पर ऋण मिल सकता है।
एनसीआर की बैठक
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एनसीआर की बैठक 1 जुलाई को हुई। इसमें जयपुर जेडीए रीजन को काउंटर मैग्नेट क्षेत्र का दर्जा देने की मंजूरी मिल गई। इससे जयपुर को भी केंद्र सरकार से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली जैसी सुविधाएं मिलने लगेंगी। अब राज्य सरकार इसकी विस्तृत परियोजना बनाकर एनसीआर प्लानिंग बोर्ड को देगी। उसके बाद परियोजना के अनुसार राज्य सरकार को फंड मिलेगा। देश में जयपुर से पहले आठ शहरों को काउंटर मैग्नेट क्षेत्र घोषित किया गया है। एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की बैठक में राजस्थ्ज्ञान के भरतपुर और हरियाणा के भिवानी, महेंद्रगढ जिले कोभी एनसीआर में शामिल करने पर मुहर लग गई है।
काउंटर मैग्नेट क्षेत्र बनने का फायदा
जयपुर को काउंटर मैग्नेट क्षेत्र बनने के बाद कई तरह के फायदे होंगे। इससे आधारभूत विकास की परियोजनाओं की डीपीआर बनाने का खर्च एनसीआर प्लानिंग बोर्ड से मिलेगा। सस्ते ब्याज पर इन परियोजनाओं के लिए ऋण भी मिलेगा। साथ ही इनके क्रियान्वन में तकनीकि सहायता भी बोर्ड से मिल पाएगी। शहर के लिए पेयजल, स्वच्छता, सड़क और सीवरेज सहित अन्य आधारभूत विकास के लिए भी आसानी से पैसा उपलब्ध हो जाएगा। इससे जयपुरवासियों का जीवन ज्यादा सुखद और आरामदायक हो जाएगा। बशर्ते स्थानीय सरकार लगातार परियोजनाएं बनाए और एनसीआर से मिले इस मौके का फायदा उठाए।
नए प्रोजेक्ट आएंगे
जयपुर को मैग्नेट क्षेत्र बनाने का फैसला दिल्ली में ग्रोथ को कम करने के लिए किया गया है। जयपुर में अब संतुलित विकास की संभावनाएं बढ गई हैं। अब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के कई प्रोजेक्ट जयपुर में आ सकते हैं। एक्सप्रेस हाइवे को भी अब और ज्यादा विकसित किया जाएगा, इससे जयपुर और दिल्ली के बीच दूरी कम होगी।उद्योग-धंधे फलेंगे फूलेंगे
दिल्ली के आसपास नोएडा, गुडगांव जिस तरह से विकसित हुए हैं। उसी तरह से जयपुर भी विकसित शहर बनकर तैयार होगा। कांउटर मैग्नेट एरिया बनने के बाद रोजगार और व्यवसाय के अवसर लगातार बढेंगे। शहर में बाहर से भी निवेश के रास्ते खुल जाएंगे। आईटी सेक्टरों के आने के बाद विद्यार्थियों को भी लाभ पहुंचेगा। नौकरियों के बम्पर अवसर होने से शहर की तरफ लोगों का माइग्रेशन होगा।बढेंगे रोजगार के अवसर
दिल्ली के बढते कंजप्शन को कम करने के लिए यह निर्णय लिया गया है। जयपुर को यह दर्जा मिलने के बाद ने सिर्फ रोजगार के अवसर बढेंगे, बल्कि एज्युकेशन इंडस्ट्रीज और इंडस्ट्रियल डवलपमेंट को भी बढावा मिलेगा। इससे शहर का सर्वांगीण विकास होगा जिसका फायदा आम शहरवासी को मिलेगा।नीतियां बनाने की जरूरत
काउंटर मैग्नेट सिटी के लिए योजनाएं और नीतियां भी बनाने की जरूरत है। इसके लिए तीन चीजें जरूरी हैं। तेज शहरी परिवहन, शिक्षा और स्वास्थ्य की सेवाएं बेहतर बनाना और निवेश के अवसर बढाए जाएं। यह सब होगा तो जयपुर तेजी से विकास करेगा।
कोटा को 25 साल पहले मिला यह अवसर
कोटा शहर को 1988 में ही काउंटर मैग्नेट क्षेत्र घोषित कर दिया गया था। एनसीआर प्लानिंग बोर्ड से 180 करोड रूपए की लागत से दो साल पहले पेयजल परियोजनाएं स्वीकृत हुई थी। इसका काम पूरा होने वाला है। करीब दस साल पहले शहर के श्रीनाथपुरम में मध्यम श्रेणी के लोगों को मकान उपलब्ध कराने के लिए दो करोड रूपए मिले थे। कोटा के स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार ने पच्चीस साल में मैग्नेट क्षेत्र होने के बावजूद कोई विशेष लाभ नहीं उठाया। इसलिए जयपुर को आगाह रहना चाहिए कि सरकारें लगातार परियोजनाएं बनाएं और एनसीआर पर मदद करने का दबाव बनाकर रखें।
साफ है कि जयपुर के मैग्नेट एरिया बनने के बाद यहां बाहर से निवेश होगा, उद्योग धंधे बढ़ेंगे, रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। लेकिन जैसा कि हमने देखा कि कोटा को यह दर्जा बहुत पहले मिल गया लेकिन उसने इसका फायदा नहीं उठाया। जयपुर को इस स्थिति से बचना होगा और विकास के आयाम स्थापित करने होंगे।
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