बी एम बिड़ला ऑडिटोरियम
B.M. Birla Auditorium
लाल पत्थर का ताजमहल
बिडला ऑडीटोरियम की भव्य इमारत की तुलना आगरा के ताजमहल से की जाती है। इसके मुख्य सभागार का बाहरी परिसर ताजमहलनुमा है। लोग कहते हैं कि इस इमारत के चारों ओर ऊंची मीनारें होती तो यह लाल पत्थर का ताजमहल नजर आता। लाल पत्थर पर की गई बारीक नक्काशी और जयपुर की पारंपरिक भित्तिचित्र शैली भी अवलोकनीय है। जयपुर की ऐतिहासिक इमारतों से प्रतिस्पर्धा करती यह आधुनिक इमारत नए जयपुर की खास पहचान है।
पता
बी एम बिडला ऑडीटोरियम, स्टेच्यू सर्किल,
जयपुर 302001, राजस्थान।
बड़े आयोजनों का मेजबान
बिडला ऑडीटोरियम जयपुर में सम्पन्न होने वाले राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों की मेजबानी करता है। जयपुर के आयोजक भी यहां कार्यक्रम सम्पन्न कराने में अपनी शान समझते हैं। जयपुर के टॉप क्लास स्कूलों के वार्षिकोत्सव से लेकर बिजनेस, शिक्षा, कला, ट्यूरिज्म और वाणिज्य से संबंधित कार्यक्रमों की मेजबानी करने में यह शानदार भवन पूरी तरह सक्षम है। यहां जयपुर स्टोन मार्ट, अंतर्राष्ट्रीय एनआरआई सम्मेलन, टूर एण्ड ट्रैवल मार्ट, बुक फेयर और विज्ञान प्रदर्शनियों के आयोजनों से इसकी ख्याति पूरे देश में फैली है। इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर के नाटकों का मंचन भी इस ऑडीटोरियम के रंगमंच पर किया जा चुका है।
अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस
बिडला ऑडीटोरियम देश के सबसे समृद्ध और अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस सभागारों में से एक है। यहां दो विशाल पार्किंग स्थल, दो गार्डन, एक रेस्टोरेंट, एक मुख्य विशाल सभागार, एक आर्ट गैलरी, कन्वेंशन सेंटर, एक विज्ञान हॉल, एक प्रदर्शनी भीतरी परिसर, एक प्लेनेटोरियम, पुस्तकालय और मीटिंग हॉल है। जितना खूबसूरत यह भवन बाहर से दिखाई देता है, अंदर से भी उतना ही सुविधापूर्ण और सुखद वातावरणयुक्त है। पूरा सभागार वातानुकूलित है।
भव्यता एवं परिसर विशेषताएं
जयपुर के दिल ’स्टेच्यू सर्किल’ स्थित यह परिसर लगभग 10 एकड़ में बसा हुआ है। इस परिसर में एक इंटरैक्टिव विज्ञान संग्रहालय, पुस्तकालय, कंप्यूटर सेंटर, एक सूचना संसाधन, एक प्रसंस्करण तारामंडल और एक सभागार शामिल है। इसके अलावा 1350 लोगों के बैठने की क्षमता के साथ मुख्य सभागार भारत में सबसे बड़े सभागारों में से एक है, जहां अंतरराष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन आदि सम्पन्न किए जा सकते हैं।
स्थापत्य
बी.एम. बिडला सभागार का डिजाइन पारंपरिक राजस्थानी कला पर प्रकाश डालता है। यहां के फ्रेस्को में एक साथ क्लासिक पुरानी और समकालीन भारतीय वास्तुकला का मिश्रण है। यह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय, वैज्ञानिक, औद्योगिक और सांस्कृतिक सम्मेलनों के आयोजन के लिए एक आदर्श वातावरण प्रदान करता है। मुख्य सभागार के अलावा कई सम्मेलन हॉल और संगोष्ठी कक्ष हैं जहां समानांतर सत्र और समूह चर्चाएं की जा सकती हैं। इसके अलावा छोटी बैठकों के लिए 40 से 400 व्यक्तियों के बैठने की क्षमता वाले कई हॉल हैं।
बिड़ला तारामंडल
एमपी बिड़ला तारामंडल शैक्षिक, वैज्ञानिक और अनुसंधान संस्थान के रूप में 29 सितंबर, 1962 से शुरू किया गया था और औपचारिक रूप से पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा 2 जुलाई, 1963 को इस भव्य भवन का उद्घाटन किया गया। कहा जाता है कि जयपुर का यह तारामंडल लंदन और कोलकाता के तारामंडल के बाद सबसे भव्य तारामंडल है। यह भारत में अपनी तरह का पहला और एशिया में सबसे बड़ा तारामंडल था। इस परियोजना के पीछे एमपी बिडला की प्रेरणा शक्ति थी। तारामंडल एक एकड़ में फैला हुआ है। अपने सभी परिसंपत्तियों के साथ तारामंडल “बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च सोसायटी’ द्वारा पंजीकृत किया गया है। एक साथ साढे तीन सौ लोगों को यह तारामंडल खगोलीय विज्ञान के कई पहलुओं, खगोल भौतिकी, खगोलीय यांत्रिकी, अंतरिक्ष विज्ञान, खगोल विज्ञान के इतिहास, प्रसिद्ध खगोलविदों के विचारों से अवगत कराने में सक्षम है। खास बात यह है कि छत पर गोलाकार पर्दे पर कथाओं के माध्यम से यहां तारों और ग्रहों के विषय की जानकारी दी जाती है। तारामंडल ST6 सीसीडी कैमरे के के साथ सेलेस्ट्रोन सी 14 टेलीस्कोप के माध्यम से खगोलीय वेधशाला में फिल्म के रूप में खगोलीय घटनाएं दिखाई जाती हैं।
अन्य सुविधाएं
- वातानुकूलित सभागार, 1300 लोगों के बैठने की व्यवस्था
- 40 से 400 लोगों के बैठने की व्यवस्था से सुसज्जित संगोष्ठी कक्ष
- अत्याधुनिक दृश्य-श्रव्य माध्यम
- इंडोर 3600 वर्ग मीटर, आउटडोर 4200 वर्ग मीटर प्रदर्शनी स्थल
- रेस्टोरेंट व कैफेटेरिया
- विशाल पार्किंग क्षेत्र
- निर्बाध विद्युत आपूर्ति