जीप सफारी के जरिए राजस्थान के लोगों, उनके खान-पान, रहन-सहन, वेशभूषा और लोकाचार को करीब से देखने का मौका मिलता है। जयपुर में विभिन्न अवसरों पर राजस्थानी संस्कृति का जो दर्शन कराया जाता है वह कहीं न कहीं छद्म होता है और उससे कहीं बेहतर ग्रामीण इलाकों में जाकर वहां की संस्कृति को महसूस करना है।
राजस्थान की लगभग 65 प्रतिशत जनसंख्या गांवों में निवास करती है। निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि दुनिया के कोने कोने से पर्यटक राजस्थानी संस्कृति से रीझकर ही यहां आते हैं। जयपुर और आमेर का स्थापत्य अपने स्थान पर है किंतु सच यह है कि अगर आपको राजस्थान की संस्कृति को महसूस करना है तो आपको राजस्थान के ग्रामीण इलाकों का दौरा जरूर करना चाहिए। जयपुर से पर्यटकों के लिए ग्रामीण इलाकों में पर्यटन के लिए जीप सफारी का भी इंतजाम किया गया है। जीप सफारी अपने आप में एक अनूठा तरीका है पर्यटन का। जयपुर में जीप सफारी आमेर से सामोद तक के लिए कराई जाती है।
जीप सफारी से जयपुर के आस-पास के ग्रामीण इलाकों के प्रसिद्ध स्थलों के साथ साथ ग्रामीण इलाकों की भी सैर कराई जाती है। इस खास सफारी में ग्रामीण इलाकों की सड़कों पर जीप ड्राइविंग करने और ग्रामीणों से मिलने और बात करने का भरपूर मौका मिलता है। जीप सफारी सर्दियों के मौसम में करना ज्यादा बेहतर है। सर्दियों की धूप में खुली जीप की सफारी करना कितना रोमांचक होता है, यह जीप सफारी का आनंद लेने के बाद ही अनुभव किया जा सकाता है। अक्टूबर से फरवरी-मार्च के बीच की अवधि का मौसम जीप सफारी के लिए बेहद अनुकूल होता है।
जयपुर जीप सफारी के दौरान आमेर से सामोद के बीच अनेक पुराने किलों, खंडहरों, मंदिर परिसरों और छोटे-छोटे गांवों का भ्रमण कराया जाता है। इसके अलावा हरे भरे खेतों के बीच पतली सड़क से जयपरु के गांवों का भ्रमण करना बेहद सुखद होता है। मेहमानों को गांव वालों के घरों में भी ले जाया जाता है। जहां पर्यटक उनसे बात कर सकते हैं और उनकी परंपराओं और संस्कृति को करीब से महसूस कर सकते हैं। ग्रामीण भी अपने इन मेहमानों का गर्मजोशी से स्वागत करते हैं।
जीप सफारी जयपुर के आमेर उपनगर से आरंभ होती है। यहां से नाहरगढ रेस्क्यू सेंटर, काली मंदिर होती हुई डेरा आमेर तक जाती है। नाहरगढ़ रेस्क्यू सेंटर एक पहाड़ी और वन क्षेत्र है। यहां जीप की सफारी कर प्रकृति के अप्रतिम नजारों का आनंद लिया जा सकता है। जीप सफारी बावड़ी, ओदी रामसागर, काली मंदिर, ढाणी डेरा आमेर तक का सफर कराती है।
यह जीप सफारी आमेर से सामोद गांव तक के लिए है। इस सफारी में आमेर से आरंभ होकर यात्रा नाहरगढ रेस्क्यू सेंटर, कूकस का काली मंदिर से कुछेरवाला होते हुए सामोद गांव पहुंचती है। इसके अलावा एक रूट आमेर से पुराना दिल्ली दरवाजा, माजी की बावड़ी, नाहरगढ रेस्क्यू, ओदी रामसागर बावड़ी, पुराना काली मंदिर, ढाणी का प्राथमिक विद्यालय, डेरा आमेर और कूकस मंदिर होती हुई कछेरवाला पहाड़ी क्षेत्र से होकर यात्रा सामोद गांव पहुंचती है।
जयपुर जीप सफारी जयपुर के आसपास के आदिवासी व ग्रामीण क्षेत्रों को जोड़ती है। इसके अलावा पुराने मंदिरों, खंडहरों और गांवों की यत्रा कराते हुए आगे बढ़ती है। सफारी में एक छोटा पहाड़ी क्षेत्र भी आता है, जहां चारों ओर हरियाली, पहाड़ियां और तीन मंदिरों का समूह दिखाई देता है। भगवान राम और शिव के प्राचीन मंदिरों के अलावा यहां एक आश्रम भी है। इस विशाल आश्रम में तीन सौ के करीब साधु रहते हैं और लगभग 24 घंटे सेवा पूजा और हवन के कार्य होते हैं। सफारी इस आश्रम से भी गुजरती है। साधु सभी यात्रियों और पर्यटकों के लिए भोजन का प्रबंध करते हैं। आश्रम द्वारा अस्पताल भी चलाया जाता है जहां निशुल्क उपचार किया जाता है। आश्रम में तीन सौ गायों की गौशाला है और कृषि फार्म भी। यहां का भ्रमण करना वाकई लाजवाब अनुभव है।
यात्रा के दौरान मेहमानों को ग्रामीण अपने घरों में भी ठहरने का अवसर देते हैं और मेहमाननवाजी करते हैं। ग्रामीणों द्वारा इतनी गर्मजोशी से मेहमानों का स्वागत किया जाना ही राजस्थान की गौरवमयी संस्कृति है। ग्रामीण पर्यटकों से अपने अनुभव साझा करते हैं और अपनी परंपराओं के बारे में बताते हैं। ये लोग ऊंट, भेड़, बकरियां और गाय भैंस आदि पालते हैं। पर्यटक इनके जनजीवन से बहुत प्रभावित होते हैं।
सफारी के दौरान ग्रमीणों की हस्तकलाएं, बुनकरी, खेतीबाड़ी, पशुपालन, तीज-त्योंहार, विवाहोत्सव, परंपराएं, लकड़ी चमड़े और मिट्टी के शिल्पउद्योग आदि के बारे में करीब से जानने का मौका मिलता है। वास्तव में जीप सफारी पर्यटकों को राजस्थान की सच्ची संस्कृति से रूबरू कराती है।
Add Comment