जयपुर – प्रमुख पर्यटन स्थल
पर्यटन, भ्रमण, घुमक्कड़ी ये सभी एक ही काम के अनेक नाम है। मनुष्य शुरू से ही पर्यटन प्रेमी रहा है। कभी भोजन की तलाश, कभी सुखद जलवायु की तलाश कभी जिज्ञासा शांति, कभी रोमांच की अनुभूति के लिए तो कभी मनोरंजन मात्र के लिए मानव पर्यटन करता रहा है। प्राचीन काल से पर्यटन पैदल ही होता था। उस समय घूमना जोखिम पूर्ण और चुनौतियों से भरा होता था। सिर्फ साहसी लोग ही इस तरफ कदम बढ़ाते थे। लेकिन आज विज्ञान की कृपा से पर्यटकों को अनेक साधन सुलभ हो गये है। जल, थल और आकाश मार्ग से नाना प्रकार वाहन पर्यटकों की सेवा के लिए उपस्थित है। दिर्शनीय स्थलों पर पर्यटकों के मनोरंजन के लिए व मार्ग दर्शन के लिए संस्थाएं है। विश्राम के लिए सुविधा सम्पन्न होटल है। दुर्गम स्थानों तक पहुँचने के लिए साधन उपलब्ध है। पर्यटन से जहाँ ज्ञान-वर्धन और मनोरंजन होता है। वहीं विभिन्न देशो के लोग एक दूसरे के सम्पर्क में आतें है। एक दूसरे के विचारों, संस्कृतियों और जीवनशैली का परिचय प्राप्त होता है। पर्यटकों के आवागमन से व्यवसायियों को लाभ होता है। विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है। रोजगार के अवसर बढ़ते है। जयपुर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में हवामहल, आमेर, जन्तर-मन्तर, बिड़ला मन्दिर, नाहरगढ़, जयगढ़, सिटी पैलेस आदि है।
हवामहल
1983 ई. से इसमें एक संग्रहालय स्थापित किया गया। इस संग्रहालय में कुल छ: दीघायें है, (1 ढूंगर देश युगों युगों में (2) मुद्रा कक्ष (3) अभिलेख कक्ष (4) मूर्ति कक्ष (5) जयपुर कला (6) हस्त शिल्प कक्ष।
जन्तर-मन्तर
चन्द्रमहल के पूर्व में जन्तर-मन्तर नामक वैद्यशाला है, इसका निर्माण सवाई राजा जयसिंह द्वितीय ने करवाया था। जन्तर-मन्तर वैद्यशाला उलूग बेग राजा द्वारा राजधानी समरकन्द ने बनवाई गई। वैद्यशाला का परिवेद्धित एवं परिष्कृत रूप है। जययिंह द्वारा पांच वैद्यशालाओं का निर्माण करवाया गया। पाँचों में जयपुर की वैद्यशाला सबसे बड़ी है। इसमें सबसे बड़ी सौर घड़ी है, जिससे समय का सही ज्ञान प्राप्त किया जाता है।
आमेर