जयपुर – प्रमुख पर्यटन स्थल
पर्यटन, भ्रमण, घुमक्कड़ी ये सभी एक ही काम के अनेक नाम है। मनुष्य शुरू से ही पर्यटन प्रेमी रहा है। कभी भोजन की तलाश, कभी सुखद जलवायु की तलाश कभी जिज्ञासा शांति, कभी रोमांच की अनुभूति के लिए तो कभी मनोरंजन मात्र के लिए मानव पर्यटन करता रहा है। प्राचीन काल से पर्यटन पैदल ही होता था। उस समय घूमना जोखिम पूर्ण और चुनौतियों से भरा होता था। सिर्फ साहसी लोग ही इस तरफ कदम बढ़ाते थे। लेकिन आज विज्ञान की कृपा से पर्यटकों को अनेक साधन सुलभ हो गये है। जल, थल और आकाश मार्ग से नाना प्रकार वाहन पर्यटकों की सेवा के लिए उपस्थित है। दिर्शनीय स्थलों पर पर्यटकों के मनोरंजन के लिए व मार्ग दर्शन के लिए संस्थाएं है। विश्राम के लिए सुविधा सम्पन्न होटल है। दुर्गम स्थानों तक पहुँचने के लिए साधन उपलब्ध है। पर्यटन से जहाँ ज्ञान-वर्धन और मनोरंजन होता है। वहीं विभिन्न देशो के लोग एक दूसरे के सम्पर्क में आतें है। एक दूसरे के विचारों, संस्कृतियों और जीवनशैली का परिचय प्राप्त होता है। पर्यटकों के आवागमन से व्यवसायियों को लाभ होता है। विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है। रोजगार के अवसर बढ़ते है। जयपुर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में हवामहल, आमेर, जन्तर-मन्तर, बिड़ला मन्दिर, नाहरगढ़, जयगढ़, सिटी पैलेस आदि है।
हवामहल
हवामहल का निर्माण जयपुर नरेश सवाई प्रताप सिंह ने 1799 ई. में करवाया था। इस महल में छोटी-छोटी खिड़किया हवा के लिए बनी हुई है। ये पूर्व दिशा में खुलती है। हवा के लिए बनी खिड़कियों के कारण ही इसे ‘हवामहल’ कहा जाता है। महल में रंग, उत्सव व महफिलें आयोजित की जाती है। जिसमें स्त्रियां व जनानी ड्योढ़ी की स्त्रियां भाग लेती थी। राजा प्रताप सिंह और जगत सिंह के काल में यहाँ पोथी खाने का काम होने लगा और कुछ समय के लिए यह महाराजा का अतिथि गृह भी रहा। बाद में इस भवन का उपयोग राज्य की ओर से आयोजित किये जाने वाले ब्रह्माण भोजों के लिए किया जाने लगा।
1983 ई. से इसमें एक संग्रहालय स्थापित किया गया। इस संग्रहालय में कुल छ: दीघायें है, (1 ढूंगर देश युगों युगों में (2) मुद्रा कक्ष (3) अभिलेख कक्ष (4) मूर्ति कक्ष (5) जयपुर कला (6) हस्त शिल्प कक्ष।
जन्तर-मन्तर
चन्द्रमहल के पूर्व में जन्तर-मन्तर नामक वैद्यशाला है, इसका निर्माण सवाई राजा जयसिंह द्वितीय ने करवाया था। जन्तर-मन्तर वैद्यशाला उलूग बेग राजा द्वारा राजधानी समरकन्द ने बनवाई गई। वैद्यशाला का परिवेद्धित एवं परिष्कृत रूप है। जययिंह द्वारा पांच वैद्यशालाओं का निर्माण करवाया गया। पाँचों में जयपुर की वैद्यशाला सबसे बड़ी है। इसमें सबसे बड़ी सौर घड़ी है, जिससे समय का सही ज्ञान प्राप्त किया जाता है।
आमेर
जयपुर नगर से लगभग 11 किलोमीटर दूर तक एक पहाड़ी के शिखर पर यह दुर्ग स्थित है। इस पहाड़ी को भी चारो ओर से दूसरी पहाडियों घेर रखा है। इन पहाड़ी पंक्तियों पर सुदृढ़ बुर्ज और प्राचीर बनी हुई है। जो चारो ओर चक्राकार घुमकर किले की प्राचीर से मिलती है। किले के मुख्य द्वार तक जाने वाला मार्ग लगातार ऊँचा होता जाता है। आगे चलने पर दो रास्ते आते है, एक मार्ग ऊपर की ओर दाहिनी तरफ चला जाता है, तथा दूसरा मार्ग जयगढ़ की ओर जाता है। इस दुर्ग के भीतर प्राचीन महल व मन्दिर बने हुए है। जिसे आज भी देखा जा सकता है। आमेर किले में बहुत से पर्यटक प्रतिवर्ष आते है। उनमें विदेशी पर्यटक भारी संख्या में आते है। नवरात्री के अवसर पर यहाँ अधिक संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते है। यहां आकर लोग यहां की संस्कृति को देखते व समझते है। इससें उनमें धार्मिक आस्था का संचार होता है।
जयपुर पर्यटन का स्वर्ग
जयपुर में आमेर, जंतर मंतर, हवामहल, नाहरगढ आदि तो देखने लायक स्थान हैं ही। साथ ही आसपास के बहुत सारे ऐसे इलके हैं जहां आपको इतिहास का अनूठा शिल्प और रोचक जानकारी मिल सकती है। जयपुर से आगरा रोड पर कुछ ही किमी की दूरी पर सिकंदरा के पास आभानेरी एक नायाब पुरा महत्व का स्थल है जहां आपको छठी-सातवीं सदी की बावड़ी और हर्षत माता का मंदिर देखने को मिलेगा। आगरा रोड पर ही आप भानगढ का विजिट भी कर सकते हैं। यह एक भूतहा महल है। पूरा उजाड़ शहर अपने आप में पर्यटन का अनूठा आनंद देगा। इसके अलावा आप सीकर रोड पर सामोद भी जा सकते हैं। जहां अक्सर बॉलीवुड की फिल्मों की शूटिंग होती रहती है।
स्मारकों पर लगाए जाएंगे तड़ित चालक
जयपुर के आमेर में मावठे की छतरी पर आकाशीय बिजली गिरने के बाद पुरातत्व विभाग सभी स्मारकों पर तडित चालक लगवाएगा। पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग ने शुक्रवार को इस संबंध में फैसला लिया। राज्य में पुरामहत्व के 328 स्मारक, 18 म्यूजियम और दो कला दीर्घाएं हैं। कला एवं संस्कृति विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव अदिति मेहता ने पदभार ग्रहण करने के बाद शुक्रवार का राज्य के सभी अधिकारियों की बैठक ली। इसमें अधिकारियों से बातचीत के बाद निर्णय लिया गया कि स्मारकों की सुरक्षा सबसे अहम है। किसी भी प्रकार की आपदा से बचने के निपटने के लिए कड़े उपाय किए जाएं। स्मारकों पर तड़ित चालक लगने के बाद बिजली गिरने की दशा में न स्मारक को नुकसान पहुंचेगा और न ही वहां मौजूद पर्यटकों को।