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जयगढ़ दुर्ग : जयपुर की शान

जयगढ़ दुर्ग : जयपुर की शान (Jaigarh Fort : Pride Of Jaipur)

जयपुर पहाड़ी दुर्गों का शहर है। दुनिया के सबसे खूबसूरत ऐतिहासिक शहरों में शुमार किए जाने वाला यह शहर तीन ओर से पहाड़ियों से घिर है। उत्तर में नाहरगढ की पहाड़ियां और पूर्व से लेकर दक्षिण में आमागढ़ की पहाड़ियों का विस्तार है। जयपुर में पहाड़ की शिखा पर बना सबसे खूबसूरत किला नाहरगढ़ दुर्ग है। यह पूरे जयपुर शहर से दिखाई देता है। नाहरगढ से ही उत्तर में इसी पहाड़ के दूसरे छोर पर जयगढ़ किला स्थित है।

अवस्थिति

जयगढ़ किला जयपुर शहर के केंद्र से लगभग 11 किमी उत्तर में है। यह आमेर रोड पर स्थित है। आमेर रोड पर जलमहल के सामने से होते हुए आमेर घाटी में एक मार्ग नाहरगढ़ पहाड़ियों की ओर जाता है, यहीं से एक रास्ता नाहरगढ़ के लिए निकलता है तो दूसरा रास्ता जयगढ़ दुर्ग के लिए। पहाड़ियों के निचले पायदानों में विश्वप्रसिद्ध आमेर महल भी स्थित है। ये तीनों भव्य दुर्ग अपनी खूबसूरती और ऐतिहासिकता से विश्वभर के पर्वटकों को आकर्षित करते हैं।

जयगढ़ का इतिहास

आमेर के खास ऐतिहासिक स्थलों में से एक है जयगढ़ किला। अरावली की पहाडियों में चील का टीला पर स्थित यह दुर्ग आमेर शहर की सुरक्षा को पुख्ता करने के लिए 1726 में महाराजा जयसिंह द्वितीय ने बनवाया था। बाद में उन्हीं के नाम पर इस किले का नाम जयगढ़ पड़ा। मराठों पर विजय के कारण भी यह किला जय के प्रतीक के रूप में बनाया गया। यहां लक्ष्मीविलास, ललितमंदिर, विलास मंदिर और आराम मंदिर आदि सभी राजपरिवार के लोगों के लिए अवकाश का समय बिताने के बेहतरीन स्थल थे। इसके साथ ही महत्वपूर्ण बैठकों के लिए एक असेंबली हॉल सुभ्रत निवास भी था। जयगढ़ किला जयपुर की सबसे ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। जयगढ़ दुर्ग का रास्ता भी आमेर घाटी से होते हुए नाहरगढ़ जाने वाले रास्ते पर है। इतिहास और शोध के विद्यार्थियों के लिए यह दुर्ग अहम है।

जयबाण तोप

सुरक्षा के लिए किले पर तैनात जयबाण तोप दुनिया की सबसे बड़ी पहियों वाली तोप है। हालांकि इस तोप का इस्तेमाल कभी भी किसी युद्ध के लिए नहीं किया गया। लगभग पचास टन भारी और सवा छह मीटर लम्बाई की इस विशेष तोप को यहीं दुर्ग परिसर में ही निर्मित किया गया था। तोप 50 किमी तक की दूरी पर निशाना साध सकती थी।

जयगढ़ और आमेर महल के बीच सुरंग

हाल ही यूनेस्को की एक टीम ने आमेर महल का दौरा किया। आमेर महल को विश्व विरासत सूची में शामिल करने से पूर्व नियमों की कसौटी पर इसे परखा गया। इस विजिट से पूर्व आमेर महल के इतिहासिक पक्षों का नवीनीकरण किया गया। इसमें सबसे खास था आमेर महल से जयगढ़ जाने वाली सुरंग का तलाश कर फिर से गमन करने योग्य बनाना। जयगढ किले तक इस सुरंग की लंबाई लगभग 600 मीटर है। इस सुरंग से आमेर महल से जयगढ़ जाना बहुत आसान हो गया है। पहले आमेर महल से जयगढ़ तक जाने के लिए लगभग 11 किमी का रास्ता तय करना पड़ता था। इस सुरंग का भी ऐतिहासिक महत्व है। यह सुरंग एक गोपनीय रास्ता थी जिसका इस्तेमाल राजपरिवार के लोग एवं विश्वस्त कर्मचारी जयगढ़ तक पहुंचने में किया करते थे। ऐतिहासिक तथ्यों के मुताबिक आमेर रियासत को सबसे ज्यादा खतरा मराठों से था। इसीलिए आमेर की सुरक्षा के लिए तीन तीन दुर्गों का निर्माण किया गया। राजपरिवार को संभावित खतरे से बचाने के लिए जयगढ़ तक यह सुरंग बनाई गई।

जयपुर का सबसे ऊंचा दुर्ग

जयगढ़ किला जयपुर का सबसे ऊंचा दुर्ग है। यह नाहरगढ की सबसे ऊंची पहाड़ी चीलटिब्बा पर स्थित है। इस किले से जयपुर के चारों ओर नजर रखी जा सकती थी। यहां रखी दुनिया की सबसे विशाल तोप भी लगभग 50 किमी तक वार करने में सक्षम थी। जयगढ़ दुर्ग के उत्तर-पश्चिम में सागर झील व उत्तर पूर्व में आमेर महल और मावठा है। यह भी कहा जाता है कि महाराजा सवाई जयसिंह जब मुगल सेना के सेनापति थे तब उन्हें लूट का बड़ा हिस्सा मिलता था। उस धन को वे जयगढ़ में छुपाया करते थे। इस दुर्ग में धन गड़ा होने की संभावना के चलते कई बार इसे खोदा भी गया। विश्व की खूबसूरत इमारतों में जयगढ़ किले का नाम भी है।


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