जयपुर भ्रमण के आकर्षण (Attractions to Visit in Jaipur)
अगर हम भ्रमण और पर्यटन की बात करें तो एक बात साफ है कि हमें उस जगह की आधारभूत जानकारियां होनी जरूरी हैं। किसी स्थान की अवस्थिति, विशेषताएं, पर्यटन स्थल और बाजार की स्थिति पता होती है तो भ्रमण का आनंद दोगुना हो जाता है। यह हमारी यात्रा को सुविधाजनक भी बना देता है। जयपुर एक ऐसा शहर है जिसने अपनी आभा, खूबसूरती और चमक-दमक से दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित किया है। यहां आकर आप राजस्थान की संस्कृति, रहन-सहन और लोकव्यवहार के बारे में करीब से जान सकते हैं। चलिए जयपुर के दस ऐसे प्रमुख स्थलों से आपको वाकिफ कराते हैं जो विश्वभर के पर्यटकों को अपनी ओर खींचने में सक्षम हैं-
सिटी पैलेस
सिटी पैलेस जयपुर के राजघराने का मुख्य आवास स्थल है। वर्तमान में इसके एक बड़े हिस्से को म्यूजियम में तब्दील कर दिया गया है। सिटी पैलेस की शानदार इमारत मुगल, राजपूत और यूरोपियन स्थापत्य का बेजोड़ नमूना है। सिटी पैलेस के एक भाग चंद्रमहल में आज भी राजपरिवार का निवास है। शेष हिस्सों में वस्त्रागार, शस्त्रागार, बग्गीखाने, दीवाने आम, दीवाने खास आदि संग्रहालय के रूप में जाने जाते हैं। जयपुर की स्थापना के समय इस शहर के बीचों बीच यह भव्य महल महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने राजप्रासाद के रूप में बनवाया था। यहां की कला गैलरियां, नक्काशीयुक्त संगमरमर स्तंभ और पुरावस्तुओं का संग्रह जितना यहां मिलता है, कहीं और मिलना मुश्किल है।
जंतर मंतर
जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय वास्तु और ज्योतिष के महान ज्ञाता थे। उन्होंने दुनिया भर के ज्योतिष ग्रंथों का अध्ययन किया और खगोलशास्त्र के आधार पर वेधशालाओं का निर्माण कराया। उन्होंने जयपुर सहित देश के पांच शहरों में वेधशालाएं बनवाई जिन्हें जंतर मंतर कहा जाता है। जयपुर का जंतर मंतर अन्य सभी वेधशालाओं में सबसे खूबसूरत है और अपनी मौलिक स्थिति में है। इसे 2010 में विश्व विरासत की सूची में शामिल किया गया है। जंतर मंतर सिटी पैलेस के दक्षिण पूर्व में स्थित है।
नाहरगढ़ किला
नाहरगढ़ जयपुर की उत्तरी पहाड़ी पर बना खूबसूरत किला है। इस पीली इमारत को जयपुर में किसी भी स्थान से देखा जा सकता है। नाहरगढ दुर्ग में महाराधा माधोसिंह ने अपनी नौ रानियों के लिए खूबसूरत माधवेंद्र महल बनवाया था। इस महल की खूबसूरती पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। इस दुर्ग का निर्माण सवाई मानसिंह के शासनकाल में कराया गया। नाहरगढ़ से जयपुर का खूबसूरत नजारा दिखाई देता है। इस दुर्ग में कई बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है।
जयगढ़ दुर्ग : जयबाण तोप
जयपुर में आमेर के प्रसिद्ध महल के ऊपर चील टीला पर बना जयगढ़ दुर्ग जयपुर का सबसे ऊंचा दुर्ग है। चारों ओर हरी भरी अरावली पहाड़ियों से घिरा यह दुर्ग आकर्षण का बड़ा केंद्र है। इस दुर्ग का निर्माण आमेर की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने के लिए किया गया था। जयगढ़ दुर्ग का सबसे खास आकर्षण यहां रखी एशिया की सबसे बड़ी तोप है। इस तोप को जयबाण तोप कहा जाता है। कहा जाता है कि इस तोप की मारक क्षमता पचास किमी तक थी।
आमेर महल
जयपुर शहर से 11 किमी उत्तर में जयपुर का उपनगर आमेर पूर्व रियासत थी। यह कछवाहा शासकों की राजधानी थी। बाद में इसे नया शहर जयपुर बनाकर स्थानांतरित किया गया था। आमेर का महल आज भी अपनी खूबसूरती और विशालता के कारण दुनियाभर के आकर्षण का केंद्र है। मावठा झील के ऊपर बना इस खूबसूरत महल में स्थित शीश महल दुनिया की सबसे सुंदर इमारतों में से एक है। आमेर महल में हाथी की सवारी भी की जा सकती है।
सिसोदिया रानी का बाग
जयपुर शहर से आगरा रोड पर लगभग 8 किमी की दूरी पर सिसोदिया रानी का बाग स्थित है। यहां ट्रांसपोर्ट नगर से घाट की गूणी होते हुए पहुंचा जा सकता है। यह खूबसूरत महल युक्त गार्डन जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने अपनी प्रिय रानी सिसोदिया रानी के लिए सन 1728 में निर्मित कराया था। सिसोदिया रानी उदयपुर के राजघराने की बेटी थी जिनका विवाह जयपुर के महाराजा जयसिंह से हुआ था। प्राकृतिक वातावरण में पली बढ़ी रानी को शहर की भीड़भाड़ से दूर सुरम्य प्राकृतिक वातावरण देने के लिए यह सुंदर गार्डन बनवाया। सिसोदिया रानी बाग तक पहुंचने के लिए शहर से सिटी बसों की व्यवस्था है लेकिन निजी वाहन या टैक्सी से ही पहुंचना ज्यादा बेहतर होता है।
हवामहल
हवा महल का निर्माण महाराजा सवाई प्रतापसिंह ने करवाया था। हवामहल राजप्रासाद में स्थित रनिवास का मुख्य महल था। इसे जनाना महल भी कहा जाता था। इस पांच मंजिला खूबसूरत इमारत में हवा के निर्बाध प्रवेश के कारण इसे हवामहल कहा गया। आमतौर पर इस महल की पृष्ठ दीवार को ही हवामहल के रूप में जाना जाता है। शहर के परकोटा इलाके में बड़ी चौपड़ के पास स्थित हवामहल जयपुर के सिंबल के तौर पर जाना जाता है। यह बड़ी चौपड़ से उत्तर की ओर चांदी की टकसाल के रास्ते पर दीवार की तरह बनी मुकुट के आकार की भव्य इमारत है जिसमें अनेक झरोखों में बनी सैकड़ों खिड़कियां आकर्षण का प्रमुख केंद्र हैं। अपनी भव्य बनावट के कारण हवामहल दर्शकों को मुग्ध कर देता है। दरअसल यह महल की पृष्ठ दीवार है जिसे शाही महिलाओं की सुविधा के लिए बनवाया गया था ताकि वे महल से बाजार की रौनक और तीज गणगौर आदि पर्वों पर निकलने वाली सवारियां देख सकें।
जलमहल
इसका निर्माण आमेर में लगातार पानी की कमी के चलते कराया गया था। जलाशय के साथ साथ सौन्दर्य को बढावा देने के लिए पानी के बीच खूबसूरत महल बनाया गया। जयपुर के राजा महाराजा यहां अवकाश मनाने और गोपनीय मंत्रणाएं करने के लिए आते थे। वर्तमान में यह पर्यटन का प्रमुख केंद्र है। जयपुर शहर से लगभग 8 किमी उत्तर में आमेर रोड पर जलमहल स्थित है। मानसागर झील के बीच स्थित इस महल की खूबसूरती बेमिसाल है।
बिरला मंदिर
जयपुर के जेएलएन मार्ग मोती डूंगरी की तराई में बने इस शानदार संगमरमर मंदिर का निर्माण बिरला फाउंडेशन की ओर से कराया गया। देश भर में बिरला फाउंडेशन ने लक्ष्मीनारायण मंदिरों का निर्माण कराया है। जयपुर का यह मंदिर दिल्ली के बिरला मंदिर के बाद सबसे खूबसूरत माना जाता है। मंदिर के मण्डप परिसर में वीडियो या फोटाग्राफी की अनुमति नहीं है लेकिन बाहरी परिसर में फोटोग्राफी की जा सकती है। मंदिर के उत्तरी भाग को खूबसूरत उद्यानिका से सजाया गया है। हर शाम यहां पर्यटकों की बड़ी संख्या देखी जा सकती है।
अल्बर्ट हॉल म्यूजियम
अल्बर्ट हॉल तक शहर में कहीं से भी निजी वाहन या टैक्सी द्वारा पहुंचा जा सकता है। संपूर्ण शहर के हिसाब से यह जयपुर के केंद्र में बनी भव्य इमारत है। हॉल परिसर में ही पार्किंग की व्यवस्था भी है। जयपुर शहर के परकोटा से बाहर यह प्रमुख ऐतिहासिक इमारत है। यह न्यू गेट के सामने रामनिवास बाग के बीच सर्किल में स्थित है। वर्तमान में यह म्यूजियम है और इसमें विभिन्न ऐतिहासिक वस्तुओं के साथ साथ इजिप्टियन ममी तूतू का संग्रह विशेष आकर्षण है। कब क्यों कैसे- इसका निर्माण महाराजा सवाई रामसिंह व सवाई माधोसिंह ने कराया था। अल्बर्ट हॉल राजपूत, मुगल और यूरोपियन शैली में बनी शानदार इमारत है। अल्बर्ट हॉल प्रिंस ऑफ वेल्स अल्बर्ट एडवर्ड को समर्पित इमारत है। इसकी डिजाईन अंग्रेज वास्तुविज्ञ जैकब ने तैयार की थी।