जयपुर 8 नवम्बर । भारतीय शिल्प संस्थान में दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी शिल्प में ‘रीसेन्ट टे्रण्ड एण्ड सस्टेनेबिलिटी इन क्राफ्ट एण्ड डिजाइन‘ पर संगोष्टी के दूसरे दिन डॉ अनामिका पाठक नेशनल म्यूजियम दिल्ली की क्यूरेटर ने सिन्धू घाटी सभ्यता से वर्तमान कला एवं शिल्प के प्रासंगिक स्वरूप पर प्रकाश डाला ।
डॉ नीना सबनानी प्रोफेसर भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान मुम्बई ने कावड शिल्प पर व्याख्यान प्रस्तुत किया साथ में एक स्वयं द्वारा निर्मित ज्ञानवर्धन डाक्युमेन्टीं भी सांझा की । उन्होंने राजस्थान की पारम्परिक कलाओं के सांस्कृतिक महत्व को नयी तकनीक से समझाया ।
आईआईटी हैदराबाद के श्री दीपक जॉन मैथ्यू ने ऑरल टेंडिशन को किस प्रकार से फिल्मों के माध्यम से सहजा सकता है इस पर प्रकाश डाला। नेपाल से आये श्री प्रतिष्ठित लाल श्रेष्ठ ने कला एवं इंजिनियरिंग के मिश्रण से नये तकनीक पर विस्तूत जानकारी दी ।
अम्बेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली के उपकुलपति प्रोफेसर जतीन भट्ट ने समकालीन हस्तशिल्प कलाओं की चुनौतियों एवं अवसर के बारे में व्याख्यान दिया तथा उन्हें समझाया की इन विषयों में प्रबन्धन शौध एवं नवकल्पना की कितनी आवश्यकता है।
नीफ्ट दिल्ली की निदेशक डॉ वन्दना नांरग ने महिलाओं की वस्त्र कल्पना की चरित्रधारा पर प्रकाश डाला ।
उन्होंने बताया की वस्त्रों के निर्माण में वस्त्रों के वेस्ट को कैसे कम किया जा सकता है संस्थान में महिला-शिल्पकार-पंचायत का आयोजन भी किया गया । पंचायत में देश के विभिन्न प्रांतों की महिला शिल्पकारों ने विचार-विमर्श किया । शिल्प महिलाओं ने अपने बारे में विस्तृत जानकारी दी। भारतीय शिल्प संस्थान के विद्यार्थियों ने उनके अनुभव सुनकर लाभान्वित हुए।
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