अल्बर्ट हॉल ( Albert Hall )
कहां-जयपुर शहर के परकोटा से बाहर यह प्रमुख ऐतिहासिक इमारत है। यह न्यू गेट के सामने रामनिवास बाग के बीच सर्किल में स्थित है। वर्तमान में यह म्यूजियम है और इसमें विभिन्न ऐतिहासिक वस्तुओं के साथ साथ इजिप्टियन ममी तूतू का संग्रह विशेष आकर्षण है। कब क्यों कैसे- इसका निर्माण महाराजा सवाई रामसिंह व सवाई माधोसिंह ने कराया था। अल्बर्ट हॉल राजपूत, मुगल और यूरोपियन शैली में बनी शानदार इमारत है। अल्बर्ट हॉल प्रिंस ऑफ वेल्स अल्बर्ट एडवर्ड को समर्पित इमारत है। इसकी डिजाईन अंग्रेज वास्तुविज्ञ जैकब ने तैयार की थी।
कैसे पहुंचें-अल्बर्ट हॉल तक शहर में कहीं से भी निजी वाहन या टैक्सी द्वारा पहुंचा जा सकता है। संपूर्ण शहर के हिसाब से यह जयपुर के केंद्र में बनी भव्य इमारत है। हॉल परिसर में ही पार्किंग की व्यवस्था भी है।
Albert Hall Museum
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p style=”text-align:justify;”>क्या देखें-अल्बर्ट हॉल एक इमारत के तौर पर देखने योग्य स्थल है। इसके अलावा जयपुर और इसके इतिहास को करीब से जानने के लिए हॉल में स्थित म्यूजियम को अवलोकन भी जरूर करें। सिर्फ जयपुर ही नहीं दुनियाभर के खास संग्रह यहां जुटाए गए हैं। यहां स्थित तीन प्रमुख हॉल, तीन झरोखों और बरामदों और गलियारों में दुनियाभर के खास संग्रहों की प्रदर्शनी की गई है।
उपलबध-हॉल परिसर में ऑडियो गाईड उपलब्ध है, इसके साथ ही यहां कार्यालय परिसर में पुस्तकालय में अध्ययन भी किया जा सकता है साथ ही पुस्तकें खरीदी भी जा सकती हैं।
आस-पास-अल्बर्ट हॉल जयपुर के प्राचीन रामनिवास बाग के बीच स्थित है। यहां इस बाग के अलावा चिडियाघर, पक्षीघर एवं रवीन्द्र मंच का भी लुत्फ लिया जा सकता है। इसके अलावा एमआई रोड, राजमंदिर, गोलछा सिनेमा भी यहां से कुछ दूरी पर स्थित हैं। इसके अलावा आप अल्बर्ट हॉल के चारों ओर चौपाटी पर लजीज व्यंजनों का स्वाद ले सकते हैं और घुड़सवारी भी कर सकते हैं।
टिकट-अल्बर्ट हॉल विजिट करने के लिए बाहर स्थित विंडो से टिकट लेना आवश्यक है। हॉल के अंदर फोटोग्राफी एवं कैमरा वीडियोग्राफी की अनुमति है। बड़े कैमरे से शूटिंग वर्जित है।
समय-अल्बर्ट हॉल प्रतिदिन सुबह साढे 9 से शाम साढे 5 बजे तक विजिट किया जा सकता है।
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हेरिटेज वस्तुओं की नीलामी
जोधपुर के उम्मेद भवन में ऐतिहासिक वस्तुओं की नीलामी की जाएगी। टीपू सुल्तान के दौर में श्रीरंगपट्टनम के वैभव को उकेरती अंग्रेज कलाकार जेएमडब्ल्यू टर्नन के हाथों बनी वॉटर कलर की दुर्लभ पेंटिंग, एटिएन ड्राइयान के हाथों बनी एक सदी पुरानी ग्लास पेंटेड जॉज बैंड की पेंटिंग, कच्छ व बड़ौदा के सदियों पुराने चांदी व चमकीली धातुओं के जेवर, दुर्लभ बर्तन, मर्तबान, टैक्सटाइल व लेदर आइटम के साथ ही रियासत काल में जोधपुर दरबार का दुर्लभ डिनर सेट जैसे हेरिटेज का खजाना 8 मार्च को जोधपुर के उम्मेद भवन पैलेस के राठौड दरबार में सजेगा। इस खजाने की बिड एंड हैमर कंपनी की ओर से ’वन वर्ल्ड एक्शन’ के तहत आयोजित नीलामी से होने वाली आय मानव मात्र के लिए समर्पित इंडियन हेड इंजिरी फाउंडेशन को दी जाएगी।
म्यूजियम की संभाल करें दक्ष लोग
जयपुर के सिटी पैलेस में हेरिटेज कंजर्वेशन प्रोग्राम में आए ऑस हेरिटेज के चेयरमैन विनोद डेनियल ने म्यूजियम के रखरखाव संबंधी सेमिनार में अपने विचार प्रकट किए। उन्होंने कहा कि इतिहास कभी नहीं बदलता लेकिन समय के साथ इतिहास को देखने का नजरिया बदल जाता है। आज की मांग यह है कि म्यूजियम को ऑनलाइन होना चाहिए। ऑनलाइन होने से लोगों और रिसर्च स्कॉलर्स को काफी आसानी होती है और पर्यटक भी आने से पहले देख पाता है कि म्यूजियम में क्या खास है। उन्होंने आगे कहा कि भारत में विरासतों की कमी नहीं है लेकिन उन्हें सहेजने के लिए दक्ष मानवीय संसाधन की बहुत जरूरत है। म्यूजियम का स्टाफ टॉप से बॉटम तक धरोहरों को संभालने में दक्ष होना चाहिए।
अल्बर्ट हॉल-विश्व हैरिटेज दिवस पर
विश्व हैरिटेज दिवस के अवसर पर गुरूवार 18 अप्रैल को जयपुर के पुरा स्मारकों पर देशी विदेशी सैलानियों को न सिर्फ निशुल्क प्रवेश दिया गया, बल्कि उनका तिलग लगाकर स्वागत भी किया गया। इन स्मारकों पर अन्य दिनों की बजाय दोगुने पर्यटक पहुंचे। अल्बर्ट हॉल संग्रहालय में करीब 4200 पर्यटकों ने संग्रहालय का भ्रमण किया।
अल्बर्ट हॉल : गाइडों की उपेक्षा का शिकार
अल्बर्ट हॉल से जुड़ी सारी जानकारियां अब एक क्लिक पर पर्यटकों को मिल जाएंगी। पुरातत्व विभाग की ओर से अल्बर्ट हॉल की वेबसाइट शुरू की गई है। इसका उद्घाटन पर्यटन मंत्री बीना काक ने शुक्रवार 17 मई को अल्बर्ट हॉल में किया।
अल्बर्ट हॉल- विदेशी पर्यटकों से दूर
पुरातत्व विभाग और संग्रहालय विभाग ने अल्बर्ट हॉल को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का म्यूजियम भले बना दिया है लेकिन अब भी यह विदेशी पर्यटकों की पहुंच से दूर है। विदेशी पर्यटकों की पहली प्राथमिकता आमेर महल को विजिट करने की होती है। आमेर महल को देखने के लिए जहां 400 पर्यटक प्रतिदिन आते हैं वहीं अल्बर्ट हॉल को देखने के वालों की संख्या 100 के आसपास ही रह जाती है।
अल्बर्ट हॉल की अंतर्राष्ट्रीय पहचान-
म्यूजियम में इजिप्ट की ममी, स्कल्पचर, मैटल आब्जेक्ट, अस्त्र शस्त्र, सिक्के, वाद्ययंत्र आदि खास आकर्षण हैं। इन सभी आकर्षणों के बावजूद भी म्यूजियम विदेशी सैलानियों को लुभा नहीं पा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि गाइड सैलानियों को अल्बर्ट हॉल दिखाने में रूचि नहीं रखते।
सरकारी होने का खामियाजा-
अल्बर्ट हॉल म्यूजियम पर्यटन विभाग के अंतर्गत आता है। यहां कोई प्राइवेट शॉपिंग शॉप भी नहीं है। इस वजह से गाइड यहां टूरिस्टको लाना पसंद नहीं करते। सिटी गाइड अपनी आइटनरी से लगभग इस संग्रहालय को हटा चुके हैं। पर्यटन विभाग के गाइडों की अनदेखी से विदेशी सैलानी यहां तक नहीं पहुंच पाते। यहां तक कि कंपोजिट टिकट के बावजूद विदेशी सैलानियों की संख्या में कोई खास फर्क नहीं आया है।
आमेर का आकर्षण ज्यादा
टूरिस्ट गाइडों का कहना है कि विदेशी सैलानी जयपुर में दो रातों के लिए आते हैं। एक दिन वे होटल में आराम करने में बिता देते हैं और अगले दिन सुबह उन्हें हवामहल दिखाया जाता है और इसके बाद आमेर महल। आमेर महल देखने में दो घंटे लग जाते हैं। इसके बाद शॉपिंग और सिटी पैलेस देखने में भी समय लग जाता है। इसलिए हवामहल और जंतर मंतर देखने वाले पर्यटकों की संख्या भी कम ही रहती है। मई के महिने में तो औसत 30-40 पर्यटक ही जंतर मंतर और हवामहल देखने आते हैं।
म्यूजियम डे पर फ्री एंट्री
विश्व संग्रहालय दिवस पर शनिवार 18 मई को पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग की ओर से पुरास्मारकों में निशुल्क प्रवेश की घोषणा की गई। शहर में तीन पुरामहत्व के संग्रहालय अभी तक बंद पड़े हे। विभाग ने इन्हें जनता के लिए खोलने की जहमत नहीं उठाई है। म्यूजियम के नाम पर शहर में अल्बर्ट हॉल और सिटी पैलेस ही हैं। बंद पड़े संग्रहालयों में राजकीय संग्रहालय हवामहल, राजकीय संग्रहालय जंतरमंतर और राजकीय संग्रहालय आमेर हैं। पुरातत्व और संग्रहालय विभाग के निदेशक मनोज शर्मा का कहना है कि म्यूजियम डे पर सभी पुरास्मारकों पर प्रवेश निशुल्क रहेगा। जहां तक आमेर, जंतर मंतर और हवामहल में चलने वाले संग्रहालयों के बंद होने की बात है तो इसके बारे में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता।
पानी भरने से पर्यटकों की मुश्किल
रामनिवास बाग और अल्बर्ट हॉल के लिए सरकार के पास करोड़ों की योजनाएं हैं। लेकिन छोटी छोटी समस्याओं पर स्थानीय प्रशासन ध्यान ही नहीं देता। रामनिवास बाग में अल्बर्ट हॉल के पास सड़क पर कई दिनों से पानी भरने की समस्या है। दरअसल यहां भूमिगत नाला जाम हो गया है। इससे पानी रिसकर सड़क पर भर जाता है। जंतुआलय के सामने पर्यटकों और चिडियाघर देखने आने वाले लोगों की भीड रहती है इसलिए यह पानी लोगों की परेशानी का सबब बना हुआ है। इसके साथ ही पानी भरने से सड़क में भी गड्ढे हो गए हैं।