नई दिल्ली, 24 मार्च 2020, सायं 8:00। कोरोना का कहर रोकने के लिए दुनिया का सबसे बड़ा लॉकडाउन भारत में शुरू हो चुका है। यह मंगलवार रात 12 बजे से शुरू होकर अगले 21 दिन तक चलेगा। यानी 14 अप्रैल तक। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 दिन में दूसरी बार कोरोनावायरस के मुद्दे पर देश के नाम संबोधन में इसकी घोषणा की। प्रधानमंत्री की इस घोषणा का मतलब है कि अगले 21 दिनों तक न कोई ट्रेन चलेगी, न हवाई जहाज उड़ेंगे और न ही बसें चलेंगी। यानी सब पर पाबंदी, सब कुछ बंद रहेगा। 130 करोड़ से ज्यादा आबादी घरों में रहेगी। कोरोना से मुकाबले के लिए सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी है। हमें संक्रमण के चक्र को तोड़ना होगा। कोरोना से तभी बचा जा सकता है, जब घर की लक्ष्मण रेखा ना लांघी जाए।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के संबोधन के 10 पॉइंट के सारांश
- हर राज्य, जिला, गली-मोहल्ला लॉकडाउन किया जा रहा
प्रधानमंत्री ने कहा- अगर लापरवाही जारी रही तो भारत को इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। यह कीमत कितनी चुकानी पड़ेगी, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। देश में दो दिनों से कई भागों में लॉकडाउन कर दिया गया है। राज्य सरकार के इन प्रयासों को गंभीरता से लेना चाहिए। - 21 दिन नहीं संभले तो देश और परिवार 21 साल पीछे चले जाएंगे
प्रधानमंत्री ने कहा- निश्चित तौर पर लॉकडाउन की आर्थिक कीमत देश को उठानी पड़ेगी। लेकिन, एक-एक भारतीय के जीवन, आपके परिवार को बचाना इस समय मेरी, भारत सरकार की, राज्य सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। इसलिए मेरी आपसे प्रार्थना है। हाथ जोड़कर प्रार्थना करता हूं कि आप इस समय देश में जहां भी हैं, वहीं रहें। - कोरोना से मुकाबले के लिए इकलौता विकल्प है सोशल डिस्टेंसिंग
प्रधानमंत्री ने कहा- आप ये देख रहे हैं कि दुनिया के समर्थ से समर्थ देश को भी इस महामारी ने बेबस कर दिया है। ऐसा नहीं है कि देश प्रयास नहीं कर रहे हैं या उनके पास संसाधनों की कमी है। लेकिन, कोरोनावायरस इतनी तेजी से फैल रहा है कि तमाम तैयारियां और प्रयासों के बावजूद यह फैल रहा है। इन सभी देशों के दो महीनों के अध्ययन से जो निष्कर्ष निकल रहा है और जो विशेषज्ञ कह रहे हैं, वह यह है कि कोरोना से प्रभावी मुकाबले के लिए एकमात्र विकल्प है सोशल डिस्टेंसिंग। - संक्रमण के चक्र को तोड़ना होगा
प्रधानमंत्री ने कहा- सोशल डिस्टेंसिंग यानी एक-दूसरे से दूर रहना। कोरोना से बचने का इसके अलावा कोई तरीका नहीं है। इसे फैलने से रोकना है तो उसके संक्रमण के चक्र को तोड़ना ही होगा। कुछ लोग इस गलतफहमी में हैं कि सोशल डिस्टेंसिंग केवल मरीज के लिए आवश्यक है, यह सोच सही नहीं है। सोशल डिस्टेंसिंग हर नागरिक और हर परिवार के लिए है। प्रधानमंत्री के लिए भी है। कुछ लोगों की लापरवाही और गलत सोच आपको, आपके बच्चों, माता-पिता, आपके परिवार, आपके दोस्तों और पूरे देश को बहुत बड़ी मुश्किल में झोंक देगी। - कोरोना यानी को- कोई, रो- रोड पर, ना- ना निकले
प्रधानमंत्री ने कहा- देशभर में लॉकडाउन ने आपके घर के दरवाजे पर लक्ष्मण रेखा खींच दी है। आपको याद रहे कि घर से बाहर पड़ने वाला सिर्फ एक कदम कोरोना जैसी गंभीर महामारी को आपके घर में ले आ सकता है। याद रखना है कि कई बार कोरोना से संक्रमित व्यक्ति शुरुआत में बिल्कुल स्वस्थ लगता है। वह संक्रमित है, इसका पता ही नहीं चलता है। इसलिए ऐहतियात बरतिए, अपने घरों में रहिए। जो लोग घर में हैं, वह सोशल मीडिया पर नए-नए तरीके से इस बात को बता रहे हैं। एक बैनर जो मुझे भी पसंद आया, मैं आपको भी दिखा रहा हूं। कोरोना यानी को- कोई, रो- रोड पर, ना- ना निकले। - संक्रमित एक व्यक्ति सैकड़ों लोगों को एक हफ्ते में संक्रमित कर सकता है
प्रधानमंत्री ने कहा- एक्सपर्ट का यह भी कहना है कि आज अगर किसी व्यक्ति में कोरोनावायरस पहुंचता है तो इसके लक्षण दिखने में कई-कई दिन लग जाते हैं। इस दौरान वह जाने-अनजाने उस व्यक्ति को संक्रमित कर देता है जो उसके संपर्क में आता है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट बताती है कि इस बीमारी से संक्रमित एक व्यक्ति सैकड़ों लोगों को एक हफ्ते में संक्रमित कर सकता है। एक और आंकड़ा है। दुनिया में कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या को पहले एक लाख तक पहुंचने में 67 दिन लगे थे, उसके बाद सिर्फ 11 दिन में एक लाख नए लोग संक्रमित हो गए। तीन लाख संख्या होने में सिर्फ 4 दिन लगे। अंदाजा लगा सकते हैं कि यह कितनी तेजी से फैलता है। - कोरोना से तभी बचा जा सकता है, जब घर की लक्ष्मण रेखा ना लांघी जाए
प्रधानमंत्री ने कहा- सवाल ये है कि इस स्थिति में उम्मीद की किरण कहां है, उपाय और विकल्प क्या हैं। कोरोना से निपटने के लिए उम्मीद की किरण उन देशों से मिले अनुभव हैं, जो कोरोना को कुछ हद तक नियंत्रित कर पाए। हफ्तों तक इन देशों के नागरिक घरों से बाहर नहीं निकले। इन देशों के नागरिकों ने शत-प्रतिशत सरकारी निर्देशों का पालन किया और इसलिए ये कुछ देश अब इस महामारी से बाहर आने की ओर बढ़ रहे हैं। हमें भी यह मानकर चलना चाहिए कि हमारे सामने सिर्फ और सिर्फ यही एक मार्ग है। हमें घर से बाहर नहीं निकलना है। - डॉक्टर, नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ के बारे में सोचिए
प्रधानमंत्री ने कहा- यह धैर्य और अनुशासन की घड़ी है। जब तक देश में लॉकडाउन की स्थिति है, हमें अपना संकल्प और अपना वचन निभाना है। मेरी आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि घरों में रहते हुए आप उन लोगों के बारे में सोचिए, उनके बारे में मंगलकामना कीजिए, जो अपना संकल्प निभाने के लिए अपनी जान खतरे में डालकर काम कर रहे हैं। - यह गरीबों के लिए मुश्किल वक्त
प्रधानमंत्री ने कहा- निश्चित तौर पर संकट की यह घड़ी गरीबों के लिए भी मुश्किल वक्त लेकर आई है। सरकार, सिविल सोसाइटी, तमाम संगठन इन लोगों के लिए जुटे हुए हैं। लोग इन गरीबों के लिए साथ आ रहे हैं। जीवन जीने के लिए जो जरूरी है, उसके लिए सारे प्रयासों के साथ ही, जीवन बचाने के लिए जो जरूरी है, उसे सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी। महामारी से निपटने के लिए देश की स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने का काम केंद्र सरकार कर रही है। कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत बनाने के लिए केंद्र ने 15 हजार करोड़ रुपए का काम किया है। आइसोलेशन बेड, आईसीयू बेड, प्रयोगशालाएं आदि बढ़ाई जाएंगी। मेडिकल और पैरामेडिकल की ट्रेनिंग का काम भी किया जाएगा। राज्यों से अनुरोध किया है कि स्वास्थ्य सेवा ही सभी की प्राथमिकता होनी चाहिए। - जनता कर्फ्यू की सफलता के लिए धन्यवाद
प्रधानमंत्री ने कहा- मेरे प्यारे देशवासियो! आज मैं एक बार फिर कोरोनावायरस पर बोलने आया हूं। 22 मार्च को जनता कर्फ्यू का जो संकल्प हमने लिया था। एक राष्ट्र के नाते उसकी शुद्धि के लिए हर भारतवासी ने पूरी संवेदनशीलता और जिम्मेदारी के साथ अपना योगदान दिया। बच्चे, बुजुर्ग, छोटे-बड़े हर वर्ग के लोगों ने परीक्षा की इस घड़ी में साथ दिया। जनता कर्फ्यू को हर भारतवासी ने सफल बनाया। एक दिन के जनता कर्फ्यू से भारत ने दिखा दिया कि जब देश पर संकट आता है, मानवता पर संकट आता है तो किस प्रकार से हम सभी भारतीय मिलकर उसका मुकाबला करते हैं। आप सभी जनता कर्फ्यू की सफलता के लिए धन्यवाद के पात्र हैं।
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