जयपुर। शहर के सीतापुरा स्थित महात्मा गांधी अस्पताल के न्यूरोलोजी विभाग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मिर्गी रोग दिवस सोमवार को मनाया गया। इस अवसर पर आयोजित स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम में सम्बोिधत करते हुए विभागाध्यक्ष डॉ. सुरेका ने कहा कि मिर्गी दैवीय प्रकोप, जादू टोना आदि नहीं होता है और यह पागलपन भी नहीं होता। यह मस्तिष्क के न्यूरोन में हो रहे अनियंत्रित विद्युतीय करेंट की वजह से होने वाली बीमारी है। है। हमारे देश में मिर्गी रोग का प्रभाव प्रति हजार व्यक्तियों में से पांच में पाया जाता है।
डॉ. सुरेका ने बताया कि मिर्गी के बारे में समाज में अनेक भ्रांतियां है जैसे इसे कभी छूत की बीमारी माना जाता है तो कभी जूता सुंघाकर उपचार किया जाता है। इससे प्रभावित व्यक्तियों के विवाह सम्बन्धों में भी लोग शंका करते हैं जबकि मिर्गी का एक सामान्य बीमारी है जिसका उपचार संभव है। मिर्गी का कारण चोट, लकवा, मष्तिष्क की टीबी या गांठ या कोई विकृति भी हो सकती है।
डॉ. सुरेका ने कहा कि मिर्गी का दौरा आने पर रोगी को चोट से बचाना चाहिए। इसके लिए उसे जमीन पर लेटा देना चाहिए। उसके कपडे ढीले कर दें उसके साथ जोर जबर्दस्ती न करें ना ही पानी पिलायें। पांच मिनट मे रोगी स्वत: ही सामान्य हो जाता है। अगर न हो पाये तो फिर उसे तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए।
मिर्गी के उपचार के बारे में डॉ. सुरेका ने कहा कि मिर्गी कई प्रकार की होती है। इसका लगातार उपचार लेने पर 70 फीसदी मामलों में यह 3 से 5 साल में बीमारी ठीक हो जाती है। कुछ मामलों में सर्जरी द्वारा भी उपचार किया जाता है। उन्होंने बताया कि मिर्गी रोगी रात को देर तक ना जागें, पूरी नींद लें। नजदीक से टेलीविजन ना देखें, तेज बुखार से बचें। मिर्गी
रोगियों को घूमती तेज सजावटी लाइटों से भी दूर रहना चाहिए। स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम में बडी संख्या में लोग उपस्थित थे।
वीरेन्द्र पारीक
निदेशक जन सम्पर्क विभाग
मो. 8107041111, 9929596601
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