जयपुर आज दुनिया के सबसे सुंदर और बेहतरीन शहरों में शुमार है। यहां की चौड़ी काली सपाट सड़कें। भव्य मॉल, कई मंजिला इमारतें, उद्यान और बाजार सभी बेहद आकर्षक हैं। यहां का ऐतिहासिक स्थापत्य तो सोने पर सुहागा है ही। यहीं कारण है कि वर्ष 2012 में जयपुर को विजिट करने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या राजस्थान के अन्य शहरों की तुलना में कही ज्यादा थी। चारों दिशाओं में तेजी से फैलते इस मेट्रो शहर को यह गौरव दिलाने में जयपुर विकास प्राधिकरण यानि जेडीए की भूमिका अहम है। जयपुर में आम जीवन को और ज्यादा सुविधापूर्ण बनाने के लिए जेडीए लगातार कई प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। आगरा टनल, रामनिवास बाग पार्किंग, अंडरपास, ओवरब्रिज और सड़कों की चौड़ाई का विस्तार इन्हीं विकासों के प्रमुख चरण हैं।
पता-
जयपुर विकास प्राधिकरण,
इंदिरा सर्किल, जेएलएन मार्ग,
बिड़ला मंदिर के सामने,
जयपुर, राजस्थान।
जयपुर विकास प्राधिकरण, राजस्थान सरकार की एक एजेंसी है और जयपुर शहर के लिए मास्टर प्लान की तैयारियों के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार है। यह जयपुर के विकास और पर्यावरण संरक्षण के अलावा शहर के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए ढांचागत और बुनियादी सुविधा के विकास में लगातार सक्रिय है।
जयपुर विकास प्राधिकरण की औपचारिक शुरूआत 5 अगस्त 1982 को हुई। इसकी स्थापना के पीछे उद्देश्य जयपुर शहर के लिए विकासात्मक योजनाएं बनाना और क्षेत्र के समुचित, व्यवस्थित और तेजी से विकास की निगरानी करना है।
आवासीय योजनाएं-
वर्तमान में जयपुर की आबादी 50 लाख के आस-पास है। इतनी बड़ी जनसंख्या को सस्ते और सुविधाजन्य आवास उपलब्ध कराना जेडीए की बड़ी जिम्मेदारी है। इस जिम्मेदारी को जेडीए बरसों से भली प्रकार निभा रहा है। जेडीए की ओर से प्रस्तावित आवास योजनाओं की संख्या और हर परिवार को सभी नागरिक सुविधाओं से युक्त एक अच्छा घर उपलब्ध कराने की दिशा में जेडीए लगातार प्रयास कर रहा है। हाल ही में जेडीए पांच लाख सस्ते आवासों और सरकार द्वारा पहली किस्त चुकाकर बीपीएल को घर उपलब्ध कराने की परियोजना पर कार्य कर रहा है। साथ ही तमाम विकास योजनाओं में हटाए गए आवासों के पुनर्वास की योजना भी तेजी से चल रही है।
परियोजनाएं-
जयपुर विकास प्राधिकरण विकास के सभी क्षेत्रों में तेजी से कार्य कर रहा है। ये परियोजनाएं तेजी से बढ रही व्यापारिक और वाणिज्यिक गतिविधियों को ध्यान में रखकर अमल में लाई जा रही हैं। प्राधिकरण ने व्यावसायिक और सामान्य खुदरा व्यापार, थोक व्यापार और भंडारण व गोदाम, विशेष बाजारों, कई तरह की तरह वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए भूमि का अधिग्रहण किया है। जयपुर विनिर्माण उद्योगों से एक सकारात्मक प्रगति हुई है। इसे और आगे तक बढाने के लिए और विकास को बढ़ावा देने के लिए जेडीए द्वारा 2904 एकड़ जमीन का इस्तेमाल किया जाएगा। |
जयपुर में मनोरंजन सुविधाओं को बढ़ाने के लिए विभिन्न स्तरों पर परियोजनाओं का क्रियान्वन किया जा रहा है। इनमें क्षेत्रीय स्तर, शहर स्तर और स्थानीय स्तर पर तीन नए स्टेडियमों और खेल के मैदानों के निर्माण के अलावा एक विशाल पार्क के विकास के लिए बड़े स्तर पर विकास कार्य किया जा रहा है। जेडीए की ओर से राष्ट्रीय राजमार्ग से जुडे जयपुर के छोटे छोटे उपशहरों, कॉलोनियों और कस्बों को आधुनिक सड़कों से जोड़ा गया है। इस सड़क नेटवर्क की योजना और विस्तार देने के लिए कार्य प्रगति पर है। इससे जयपुर के विस्तार में और तेजी आएगी। |
जयपुर विकास प्राधिकरण को अधिनियम 1982 (25 Act.) के तहत राजस्थान सरकार के शहरी विकास और आवास योजना विभाग के तहत गठित किया गया था।
जयपुर विकास प्राधिकरण को विकास योजनाओं और योजना कार्यान्वयन के साथ जयपुर के नागरिकों के हित में कार्य के लिए प्रतिबद्ध किया गया है। अपनी स्थापना से लेकर अब तक जेडीए लगातार जयपुर को प्रगति के उच्च स्तर पर ले जाने के प्रयास कर रहा है। जयपुर अपनी स्थापना के समय योजनाबद्ध तरीके से बसाया गया था। जेडीए आधुनिक समय में भी इस शहर के विकास को इसी ’थीम’ के आधार पर बढावा दे रहा है। सुनियोजित विकास जेडीए की केंद्रीय विचारधारा है।
जयपुर विकास प्राधिकरण का अस्तिव तेजी से महानगर बनते जयपुर में जनसंख्या की बढ़ती जरूरतों के मद्देनजर में सामने आया। राजस्थान सरकार ने इस महानगर की जरूरतों के हिसाब से एक इसके विकास के लिए एक बड़ा संगठन गठित किया। प्राधिकरण ने अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए ’ग्रीन जयपुर, क्लीन जयपुर’ के आधार पर इस शहर की प्रगति की और कई आयामों की स्थापना की। आज जो जयपुर आपको परकोटे के बाहर खिला-खिला और निखरा नजर आता है, उसका चेहरा संवारने में जेडीए की 31 वर्षों की अथक मेहनत है।
वर्तमान में जेडीए नगरवासियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए समयबद्ध निर्माण कर रहा है और पूरी तरह वैज्ञानिक और उच्च तकनीकी रणनीति के आधार पर जयपुर को पश्चिमी व दक्षिण दिशा में प्रसार के लिए प्रयासरत है। जेडीए न केवल जयपुर की पर्यटन डेस्टीनेशन की छवि को बरकरार रखते हुए कार्य कर रहा है, अपितु नागरिकों की सुविधा और उन्नत जीवन स्तर के लिए भी सराहनीय कार्य कर रहा है।
प्राधिकरण के प्रमुख उपक्रम-
- जयपुर में फ्लाईओवर, पुल, पार्किंग की जगहों के निर्माण से ढांचागत विकास करना
- कई वाणिज्यिक और आवासीय योजनाओं का विकास करना
- सामुदायिक केंद्र, पार्क, रिंग रोड जैसी बुनियादी सुविधाओं के विकास पर बल
- कच्ची बस्तियों का नियमन और पुनर्वास
- कई मास्टर प्लान और उनका कार्यान्वयन
- सड़कों के किनारे वृक्षारोपण और पर्यावरण के अनुकूल योजनाओं के विकास के द्वारा पर्यावरण संतुलन बनाए रखना
- जयपुर के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों का विकास
- मास रैपिड परिवहन सुविधाओं का विकास
- परिवहन सिस्टम (एमआरटीएस), ट्रांसपोर्ट नगर, और प्रमुख क्षेत्र की सड़कों का निर्माण
जेडीए राजस्थान सरकार के वादों और प्रतिबद्धताओं के अनुसार जयपुर शहर का विकास समय की मांग और जनसुविधाओं को ध्यान में रखकर कर रहा है। सभी योजनाएं आने वाले समय को ध्यान में रखकर बनाई जा रही हैं। जेडीए द्वारा सभी मुख्य सड़कों, पुलों और यातायात को विनियमित करने, प्रदूषण को कम करने के लिए, जनता की सुविधा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सतत कार्य कर रहा है।
-शहर योजनाएं-
वर्धमान पथ : ट्रेफिक एजुकेशन स्ट्रीट
जयपुर में भगवानदास रोड और महावीर मार्ग के बीच वर्धमान पथ (सेंट जेवियर स्कूल से सटी गली) ट्रेफिक एज्युकेशन स्ट्रीट (ट्रैफिक गैलरी ) के रूप में विकसित होगा। 370 मीटर लंबे इस मार्ग पर ट्रेफिक व सड़क सुरक्षा से जुड़ी हर जानकारी प्रायोगिक व सैद्धांतिक रूप में उपलब्ध कराई जाएगी। इसके लिए यहां जेब्रा कॉसिंग, फुटपाथ, मीडियन, साइकिल ट्रेक विकसित किया जाएगा। जिससे खासकर स्कूल के बच्चों, युवा वर्ग को एक ही गली में रोड सेफ्टी से जुड़ी आवश्यक जानकारियां दी जा सकें। इसके लिए जेडीए ने करीब 40 लाख रूपए की प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति जारी भी कर दी है। जेडीए में 9 मई को जेडीसी कुलदीप रांका की अध्यक्षता में ट्रेफिक कंट्रोल बोर्ड की बैठक में इस पर सहमति भी बनी। इस दौरान मुस्कान संस्था ने प्रजेंटेशन भी दिया। बैठक में मुख्य रूप से रोड सेफ्टी एक्शन प्लान पर मंथन हुआ। इस दौरान डीसीपी ट्रेफिक लता मनोज कुमार, पुलिस उप महानिरीक्षक जीएल शर्मा, नगर निगम सीईओ जगरूप सिंह यावव के अलावा परिवहन विभाग, पीडब्ल्यूडी व जेडीए के कई अधिकारी थे।
वन-वे होगा रास्ता–
ट्रेफिक गैलरी के रूप में विकासित होने के बाद इस रास्ते को वन वे किया जाएगा। वाहन चालक भगवान दास रोड से महावीर मार्ग की तरफ आ सकेंगे। लेकिन महावीर मार्ग की तरफ जा नहीं सकेंगे। यहां समय समय पर प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। फिलहाल वर्धमान पथ की एक चौथाई हिस्से की दीवारों पर टैफिक नियमों की से जुड़ी जानकारी चित्रों के माध्यम से दी जा रही है।
जेडीए में बनेगा ट्रैफिक और मेंटनेंस सेल
जयपुर में सड़क दुर्घटनाएं कम करने की दिशा में सरकार के निर्देश पर जेडीए ने ट्रेफिक पुलिस, एनजीआ, परिवहन विभाग सहित संबंधित एजेंसियों की राय के आधार पर रोड सेफ्टी एक्शन प्लान का मसौदा सोमवार को तैयार कर लिया। फाइनल अप्रूवल के लिए इसे सरकार को भेजने का फैसला हुआ। इसमें जेडीए ट्रेफिक सेल, मेंटेनेंस सेल, कॉल सेंटर, विभिन्न सेल खोलने, वाहन ड्राइवरों पर बंदिशों को लेकर सडक सुधार तथा घायलों के त्वरित इलाज की व्यवस्था सहित 16 बिंदु शामिल किए गए। जेडीए के सिटीजन केयर सेंटर में ऐसा कॉल सेंटर बनाया जाएगा जिसमें केवल ट्रेफिक और रोड की गडबडियों की शिकायतें आएं।
जगतपुरा में इंडोर पोलो एरिना एवं शूटिंग रेंज
जयपुर में एक बार फिर से विश्वस्तरीय प्रोजेक्ट ’ इंडोर पोलो एरिना’ की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। जगतपुरा में पांच साल से अटके इंडोर पोलो एरीना पर हीट प्रूफ छत और नई टाटा की केलरिप की साउंड लगाने के लिए जेडीए की टीम मंगलवार 2 मार्च की रात दिल्ली रवाना हो गई। करीब 700 टन की स्टीलुमा एविएशन एलुमिनीयिम की छत बनाने से पहले इसकी गुणवत्ता परखने के लिए इंदिरा गांधी हवाई अड्डे की छत को देखेंगे।
इंडोर पोलो एरीना के काम का ऑर्डर 2006-07 में दिया गया था। काम 2008 में शुरू हुआ। इसके बाद 30 मीटर ऊंचा ढांचा भी खड़ा कर दिया गया। मल्टीपरपज फ्लोर की डिजाइन की गई, लेकिन छत डालने व प्ले फील्ड विकसित करने के बिाद छत को लेकर सवाल उठने पर कंपनी ने काम बंद कर दिया। कंपनियों के बीच उठे विवाद के कारण प्रोजेक्ट का काम अटक गया।
वसुंधरा राजे सरकार के समय यह शहर का सबसे महत्वकांक्षी विश्वस्तरीय प्रोजेक्ट था। इसमें 1500 लोगों के बैठने की क्षमता युक्त इंडोर कन्वेंशन हॉल, 14 मल्टीपरपज फ्लोर, 30 मीटर हाइट पर 700 टन स्टील जैसे धातु की छत, 45 गुणा 90 मीटर साइज का प्ले फील्ड, बड़े बैंक्वेट हॉल आदि शामिल हैं। यूके की कंपनी की सिस्टर कंसर्न केलजिप के प्रोडेक्ट से इंडोर एरीना की छत बनाई जानी है। इस तरह की छत पूरे देश में अभी एक दो जगह ही लगी है।
वहीं जयपुर के जगतपुरा में भी शूटिंग रेंज का काम 2007 से चालू है। शूटिंग रेंज का कुल क्षेत्रफल 28 हैक्टेयर है। अभी इसके लिए 8 हजार वर्ग मीटर जमीन मिलना बाकी है। मामला सुप्रीम कोर्ट में अटका पड़ा है।
जयपुर के लिए 1600 करोड को ड्रेनेज प्लान
जयपुर में अब बारिश का पानी सड़कों पर नहीं भरेगा। बरसाती पानी के निकासकीसमस्या से जूझ रहे शहर के ड्रेनेज सिस्टम में सुधार कअब टुकड़ों में होगा। करीब 1600 करोड के इस मास्टर प्लान के पहले चरण में लगभग 200 करोड का मसौदा तैयार किया जा रहा है। जिसका जिम्मा कंसलटेंट वेबकोस को सौंपा गया है। हाल ही में जेडीए और कंसलटेंट के अभियंता के बीच हुई बैठक में मंथन भी हुआ। इसे जल्द ही जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन के तहत स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा। एक साथ 1600 करोड रूपए के प्रोजेक्ट की स्वीकृति नहीं मिल पाने के बाद राज्य स्तर पर टुकड़ों में मसौदा तैयार करने का निर्णय हुआ। योजना के तहत पहले मुख्य सड़कों का ड्रेनेज बड़े नालो में लाया जाएगा। मसलन स्टेशन रोड, कलक्ट्रेट, झोटवाडा रोड, चिंकारा कैंटीन व खासकोठी के ड्रेनेज को अमानीशाह नाले तक, जबकि नारायणसिंह सर्किल परिवहन मार्ग, रामबाग सर्किल व त्रिमूर्ति सर्किल से जुडे क्षेत्र को सीस्कीम से गुजर रहे गंदे नाले से जोडा जाएगा। पहले चरण में झोटवाड़ा रोड, कलक्ट्रेट, बनीपार्क, चिंकारा केंटीन, स्टेशन रोड, खासा कोठी, रामनिवास बाग, नारायणसिंह सर्किल, मोती डूंगरी रोड, परिवहन मार्ग, रामबाग सर्किल के ड्रेनेज को विकसित किया जाएगा। इसके अलावा मुरलीपुरा, झोटवाडा, विद्याधरनगर, अजमेर रोड, न्यू सांगानेर रोड, ब्रह्मपुरी, जवाहर नगर, आदर्शनगर व शास्त्रीनगर के ड्रेनेज सिस्टम भी सुधरेंगे।
दिल्ली रोड से प्रतापनगर तक बीआरटीएस कोरीडोर
जयपुर में सार्वजनिक परिवहन सेवा को बढावा देने और सड़क हादसों की संभावनाएं घटाने के लिए अब दिल्ली रोड से जगतपुरा-प्रतापनगर तक को क्षेत्र बीआरटीएस कोरीडोर से जोडा जाएगा। राज्य सरकार के निर्देश के बाद जेडीए ने बीआरटीएस के दूसरे चरण की शुरूआत की कवायद आरंभ कर दी है। सब कुछ ठीक रहा तो लगभग एक महिने में सर्वे कार्य भी शुरू हो जाएगा। इसके लिए निजी कंसलटेंट का सहयोग लिया जाएगा। जो चिन्हित इलाके की मौजूदा सडक की चौडाई, वाहनों का दबाव, जनसंख्या, वाहन संख्या के आंकडे जुटाने के अलावा आवश्यक सुविधाओं का अध्ययन करेंगे। सरकार इसी कार्यकाल में इस प्रोजेक्ट को जेएनएनयूआरएम में स्वीकृत कराना चाहेगी। कोरीडोर बन जाने से टोंक रोड का विकल्प मिल जाएगा और डेडिकेटेड कोरीडोर होने से जाम में फंसने की समस्याओं से भी निजात मिलेगी। दिल्ली रोड की कॉलोनियां, आमेर रोड, जवाहर नगर, झालाना, मालवीय नगर, जगतपुरा व प्रताप नगर का बडा आबादी क्षेत्र भी इससे जुड जाएगा और प्रतिदिन जाने वाले हजारों लोगों को इससे राहत मिलेगी। इसके अलावा रामगढ़ रोड, आमेर, बड़ी चौपड, रामगंज, सूरजपोल, घाटगेट सहित परकोटा के अन्य क्षेत्र के लोगों को जगतपुरा प्रतापनगर जाने के लिए कुछ ही दूरी पर सीधे साधन मिल जाएंगे।
गांधी सर्किल से अपेक्स सर्किल तक रोड का काम
जयपुर में जेएलएन मार्ग पर बढते वाहन दबाव के चलते जेडीए ने विकल्प के तौर पर गांधी सर्किल से अपेक्स सर्किल तक के रोड का निर्माण कार्य आंरभ करा दिया है। करीब साढे 3 किमी लम्बे इस रास्ते को सौ फीट चौडा किया जाएगा। साथ ही इस सड़क पर ओटीएस तिराहे से रॉयल्टी चौराहे तक डिवाइडर लगाने का काम शुरू हो गया है। जेडीए ने इसके लिए लगभग ढाई करोड का बजेट तैयार किय है। साढे 3 किमी दूरी में से करीब 600 मीटर में ही निर्माण हटाने की कार्रवाई होनी है लेकिन मामला राजनैतिक कारणों से अटका हुआ है।
ओटीएस तिराहे से रॉयल्टी चौराहे के बीच करीब 300 मीटर लंबी सडक से सटी बस्ती के कई मकान आ रहे हैं। सौ फीट सडक चौडाई होने पर 15 से 25 फीट भीतर तक के निर्माण हटेंगे। इस तरह अपेक्स सर्किल के आगे 250 से 300 मीटर दूरी में बनी दुकानें व अन्य निर्माण को हटाया जाना है। इसी कारण कई वर्ष पहले 400 मीटर लम्बाई में बनाई गई सडक का उपयोग नहीं हो पा रहा है। सडक के अंतिम छोर पर निर्माण होने से दुर्घटना की आशंका के मद्देनजर जेडीए ने इसे बंद कर रखा है।
होलसेल बाजार होगा परकोटे बाहर
जयपुर में घनी आबादी के बीच स्थित विभिन्न वस्तुओं के होलसेल व्यापारियों को बाहर स्थानांतरित किया जाएगा। जेडीए की इस संबंध में व्यापारियों से बात भी हुई है। जिसमें व्यापारियों को मास्टर प्लान में चिन्हित स्थानों की सूची भी उपलब्ध कराई गई। हालांकि व्यापारियों ने शहर में ही अच्छी लोकेशन की मांग की है। व्यापारियों को पहले जिन स्थानों की सूची उपलब्ध कराई गई थी उसमें ज्यादातर मनाही होने से जेडीए ने निगम स्तर पर भी बातचीत के लिए कहा है। उम्मीद की जा रही है कि इसके बाद शीघ्र ही होल सेल व्यापारी परकोटे से बाहर हो जाएंगे। घनी आबादी में स्थित इन बाजारों के कारण निरंतर यातायात जाम की स्थिति बनी रहती है। लोगों को इस स्थिति से निजात दिलाने के लिए हर वस्तु का अलग होलसेल मार्केट विकसित करने की कवायद आरंभ हो गई है। जेडीए की छह माह पहले हुई उच्चाधिकारियों समिति की बैठक में नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने यह निर्देश दिए थे। अलग अलग होलसेल मार्केट विकसित करने के लिए जेडीए की ओर से कंसलटेंट नियुक्त किए जाएंगे। ये कंसलटेंट हर मार्केट की योजना तैयार करेंगे।
राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर का शिलान्यास
राजधानी जयपुर में राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर का निर्माण होगा। इसका शिलान्यास मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शुक्रवार 19 अप्रैल को झालाना में करेंगे। पहले इसका नाम जयपुर इंटरनेशनल सेंटर रखा गया था लेकिन मुख्यमंत्री स्तर पर नाम में परिवर्तन का सुझाव दिया गया जिसे स्वीकार कर लिया गया। झालाना में 41700 वर्ग मीटर जमीन पर बनने वाले इस सेंटर का निर्माण दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर की तर्ज पर किया जाएगा। निर्माण की अनुमानित लागत 106 करोड रु है। समारोह में नगरिय विकास मंत्री शांति धारीवाल व सांसद महेश जोशी भी मौजूद होंगे। सेंटर की विशेष डिजाइन तैयार कराने के लिए जेडीए ने पिछले साल मइ्र में राष्ट्रीय स्तर पर डिजाइनें आमंत्रित की थी। 14 डिजाइनों में से जयपुर के ही आर्किटेक्ट प्रमोद जैन की डिजाइन को श्रेष्ठ माना गया। इसमें खास यह है कि जिस तरह राजस्थान की हवेलियों और बड़े घरों के बीच में चौक होता है, इसी तर्ज पर इस भवन में भी एक विशाल चौक बीच में छोड़ा जाएगा। साथ ही ग्रीन बिलि्डंग का सवावेश भी होगा।
अंडरपास खुलने में देरी बनी बोझ
जेडीए के बडे दावों के बावजूद ट्रांसपोर्टनगर अंडरपास का काम खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। तय मियाद से करीब दस माह देरी से चल रही परियोजना में केवल डेढ करोड रूपए का काम होना बाकी है। लेकिन फिनिशिंग कार्य ही कछुआ चाल से चल रहा है। वहीं जेडीए अधिकारियों ने अप्रैल अंत तक निर्माण कार्य पूरा होने का दावा किया था। जेडीए की सुस्ती का खामियाजा राहगीरों को भुगतना पड़ रहा है। गूणी से ट्रांसपोर्टनगर चौराहे पर आने वाले वाहन चालकों को बायीं ओर मुड़कर जवाहर नगर की तरफ सुरंग सर्किल से चक्कर लगाकर आना पड रहा है। वहीं गूणी की तरफ जाने वाले लोगों को भी घूमकर जाना पड़ रहा है। कार्य में देरी के लिए जयपुर डिस्कॉम व सार्वजनिक निर्माण विभाग भी जिम्मेदार है। पहले पीडब्लूडी ने चौराहे से चौकी हटाने में देरी की फिर जयपुर डिस्कॉम ने विद्युत लाइनें शिफ्ट करने में मनमाने तरीके से काम किया। अभी यहां गूणी की तरफ अंतिम छोर पर सीमेंट कंक्रीट सडक निर्माण, रिटेनिंग वॉल पर प्लास्टर सहित कुछ काम होने हैं। अंडरपास में जयपुर की स्थापत्य कला को भी संजोया गया है। अंडरपास के दोनो ओर की दीवारों पर झरोखे बनाए गए हैं। जो शहर की प्राचीन हवेलियों इमारतों में नजर आते हैं। सडक क्षेत्र में करीब 200 मीटर लंबाई में सीमेंट कंक्रीट रोड बिछाकर उसके बाद खुदाई की गई। इस तकनीक को अपनाने के पीछे मकसद था कि कार्य के दौरान यातायात भी संचालित होता रहे। जो काफी हद तक सफल भी रहा।
अमानीशाह नाले में 5 मकान गिराए
जयपुर जेडीए ने सोमवार को 15 दिन के ’ऑपरेशन अमानीशाह नाला’ की शुरूआत की। दस्ते ने सबसे पहले उन मकानों को गिराया जिनके मालिकों से सहमति बन चुकी थी। यह कार्रवाई एरा ग्रुप की बिल्डिंग के पास , देवी नगर, महारानी फार्म, किरण विहार विस्तार पर कार्रवाई की। महारानी फार्म पर गायत्री नगर में स्थानीय लोगों ने एक अतिक्रमी की शिकायत की और पहले उसका मकान तोड़ने की जिद पर अड़ गए। दस्ते को वहां से लौटना पड़ा। किरण विहार में भी दस्ते ने निशान लगे मकानों को छोड़कर एक बुजुर्ग महिला का मकान ढहा दिया।
जेडीए ने एक प्लाट के दिए दो पट्टे
जेडीए में एक के बाद एक घोटाले सामाने आ रहे हैं। फर्जी फाइलें इंप्लांट करने, सोसायटी की योजनाओं के फर्जी पट्टा प्रकरण के बाद बुधवार को पट्टे जारी करने का नया फर्जीवाडा सामने आया। एक बाबू की कारस्तानी से सरकारी आवासीय योजना में एक भूखंड के तीन माह में ही दो बार पट्टे जारी कर दिए गए। जोन छह में बाबू ने उपायुक्त स्तर तक सभी अधिकारियों से हस्ताक्षर करवा कर एक ही प्लाट के पट्टे दो लोगों को जारी करवा दिए। इससे जेडीए में हडकंप मच गया। स्टाफ द्वारा मामला उच्चाधिकारियों के सामने लाने पर जेडीए सचिव विष्णु चरिण मलिक ने तुरंत जोन छह के जिम्मेदार बाबू इंद्रकुमार कचोलिया को निलंबित कर दिया।
अमानीशाह नाला पांच टीमों के जिम्मे
जयपुर में अमानीशाह नाले के बहाव क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए हाइकोर्ट की मियाद पास आने के बाद जेडीए की नींद खुल गई है। जेडीए ने तय मियाद में अतिक्रमण ध्वस्त करने के लिए गुरूवार को मौजूदा अधिकारियों के अलावा अलग से पांच टीमों का गठन किया है। जोन उपायुक्त के नेतृत्व मिें प्रवर्तन शाखा के उपअधीक्षक, प्रवर्तन अधिकारी, तहसीलदार, जेईएन, अमीन को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है। टीमों की जिम्मेदारी होगी कि वह समझाइश, पुनर्वास या पुलिस जाप्ते के साथ अतिक्रमण हटाए। ध्वस्तीकरण के सारे कार्य मई के अंत तक करने होंगे।
जेडीए ने तैयार किए 21 कॉलोनियों के ले-आउट
जयपुर विकास प्राधिकरण की जोन स्तर मेटी ने पृथ्वीराज नगर योजना की 21 कॉलोनियों के ले-आउट प्लान तैयार कर लिए हैं। जिन्हें भवन मानचित्र समिति की बैठक में रखा जाएगां समिति स्तर पर ही कॉलोनी के ले-आउट प्लान को मंजूरी दी जाएगी। जेडीए अधिकारियों ने बताया कि अधिकतर योजनाओं के प्लान 60 :: 40 के अनुपात में ही तैयार किए गए हैं। इसके लिए कुछ मकानों के फ्रंट सैटबैक से भूमि ली जाएगी। योजना क्षेत्र को लेकर मंगलवार को समीक्षा बैठक हुई। बैठक में जेडीए आयुक्त कुलदीप राकां ने ज्यादा से ज्यादा कॉलोनियों के ले आउट प्लान की जेडएलसी करने के निर्देश दिए हैं।
भारी विरोध के बीच ’कार्रवाई’
जेडीए इन दिनों अमानीशाह नाला बहाव क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने के लिए जी जान से जुटा हुआ है और उसे लोगों का भारी विरोध भी सहना पड़ रहा है। बुधवार 22 मई को दस्ते ने त्रिवेणी नगर के पास किरण विहार विस्तार से दर्जन भर अतिक्रमणों को ध्वस्त किया। इस दौरान दस्ते को कई बार लोगों के गुस्से और विरोध से रूबरू होना पड़ा। जेडीए के अतिरिक्त आयुक्त अनिल अग्रवाल अमानीशाह नाले की इस कार्रवाई की जिम्मेदारी संभाले हुए हैं। उन्होंने बुधवार को कहा कि मीडिया ने भी मामले को तूल देकर जेडीए के काम में बाधा पहुंचाई है। उन्होंने मीडिया से कार्रवाई से दूर रहने की नसीहत दी। जेडीए दस्ते की कार्रवाई देखकर एक युवती बेहोश होकर गिर गई। परिजनों ने उसे अस्पताल पहुंचाया। बताया जा रहा है कि युवती की अगले माह शादी है। परिजन शादी तक घर न तोड़ने की मिन्नत करते रहे लेकिन जेडीए ने मांग को दरकिनार कर दिया। कार्रवाई के दौरान ही विरोध पर उतारू एक युवक ने बिजली का तार भी पकड़ने की कोशिश की लेकिन एक पुलिसकर्मी ने उसे पकड़ लिया। जेडीए प्रशासन का कहना है कि कई बार हिदायत देने के बावजूद इन लोगों ने अतिक्रमण नहीं हटाया। इससे दस्ते ने इसे कठोरता से गिराना आरंभ कर दिया है।
विकास के लिए 182 करोड स्वीकृत
जेडीए ने शहर में सड़क निर्माण, नवीनीकरण, सुदृढीकरण, ड्रेनेज, विद्युत लाइन सहित अन्य विकास कार्यों के लिए 182 करोड खर्च करने की योजना बनाई है। इसमें जेडीए की बढारणा स्कीम के पास 13 करोड की लागत से पांच एमएलडी और कांवटिया सर्किल के पास तुलसी नगर में .05 एमएलडी की क्षमता का सीजरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाएगा। आसपास की बड़ी आबादी क्षेत्र के सीवरेज कनेक्शन सीधे इन प्लांट से जुड जाएंगे और परिशोधन किए पानी से पेड पौधों की सिंचाई होगी। जेडीए की परियोजना एवं कार्य समिति बुधवार 22 मई को हुई बैठक में इसे मंजूरी दी गई। इसके अलावा चौडा रास्ता स्थित पोस्टपार्टम भवन में पर्यटक सेंटर के निर्माण के लिए लगभग 6 करोड, रामनिवास बाग के सौंदर्यकरण व विकास पर लगभग 11 करोड, अर्जुन नगर फाटक व इंडुनी फाटक अंडरपास निर्माण पर साढे 45 करोड, अफोर्डेबल हाउसिंग योजनाओं में 33/11 केवी के सबस्टेशनों के लिए 10 करोड, शहर में ट्रैफिक लाइटों पर 3 करोड और सी-जोन बाइपास से लोहा मंडी तक 100 फीट मिसिंग लिंक रोड सीमा में आ रही विद्युत लाइन शिफि्टंग के लिए लगभग 2 करोड खर्च किए जाएंगे।
जेडीए सचिव देखेंगे विकास कार्य
जयपुर में पृथ्वीराज नगर योजना क्षेत्र में विकास कार्य जल्द कराने की जिम्मेदारी जेडीए सचिव को सौंपी गई है। जेडीए सचिव विभिन्न आधिकारियों के साथ समन्वय करेंगे। योजना की समीक्षा को लेकर अतिरिक्त मुख्य सचिव नगरीय विकास जीएस संधु की अध्यक्षता में बुधवार 22 मई को हुई बैठक में यह फैसला किया गया। संधु ने विकास कार्यों की धीमी रफ्तार पर खास नाराजगी जाहिर की। सेक्टर रोड निर्माण व अन्य विकास कार्यों में जाने उपायुक्त व अभियंताओं में समन्वय की कमी का मामला बैठक में आया। इसके बाद जेडीए सचिव विष्णु चरण मलिक को यह जिम्मेदारी सौंपी गई। जेडीए आयुक्त कुलदीप रांका के अनुसार योजना क्षेत्र में पानी और बिजली का नेटवर्क बिछाने के लिए संबंधित विभागों से प्रस्ताव लिए गए हैं। इसके अनुरूप जेडीए काम करेगा। संधु ने निर्देश दिए कि यथासंभव चौड़ी सड़क बनाई जाए और प्रभावित परिवारों का अन्यत्र पुनर्वास किया जाए।
विरोध ने बांधे निगम के हाथ
जयपुर के अमानीशाह नाला बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने गुरूवार को सुशीलपुरा पहुंचा नगर निगम का दस्ता भारी जनविरोध के कारण बड़ी कार्रवाई नहीं कर पाया। निगम अधिकारियों ने विरोध को शांत करने के लिए प्रभावितों को पुनर्वास की जगह भी दिखानी चाही। लेकिन लोग साथ जाने को तैयार नहीं हुए। लोगों ने अजमेर रोड पर जाम लगाया और पुलिस से हाथापाई भी की। लगभग आधे घंटे चली कार्रवाई में निगम पांच निर्माण ही तोड़ पाया। जेडीए शुक्रवार को फिर अतिक्रमण्एा हटाने की कार्रवाई करेगा। इसमें न्यू आतिश मार्केट पुलिया के दोनों और बहाव क्षेत्र से अतिक्रमण हटाए जाएंगे। इसके लिए संबंधित टीम ने मौके पर पहुंचकर स्थिति देखी। पुलिस जाप्ता नहीं मिलने से जेडीए गुरूवार को कार्रवाई नहीं की जा सकी।
पृथ्वीराज नगर में कार्रवाई
जयपुर नगरीय विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव जीएस संधु ने पृथ्वीराजनगर में विकास के कार्यों की धीमी चाल पर नाराजगी जाहिर की है। इसके अगले ही दिन गुरूवार को जेडीए प्रवर्तन दस्ते की नींद खुल गई। दस्ता गुरूवार को योजना क्षेत्र पहुंचा और दो दर्जन से ज्यादा अवैध निर्माणों को तोड़ा। दस्ते ने गोविंद विहार विस्तार, गोकुलपुरा, चंद विहार, तिलक विहार, बजरी मंडी रोड, भूतेश्वर वाटिका, मित्र विहार, महाराणा प्रताप रोड, द्रोणपुरी गति रोड, जगदंबा नगर डी ब्लॉक, धाबास रोड, सुंदर नगर, दीपक वाटिका, सुमेर नगर, भैरव नगर, ज्ञान विहार में यह कार्रवाई की।
जमीन के बदले मांगी पूरी जमीन
जयपुर में टोंक रोड एयरपोर्ट से जगतपुरा को जोडने वाली दो सो फीट रोड के करीब एक किमी लंबे हिस्से में सडक चौडी करने के मामले में शुक्रवार को जेडीए ने स्थानीय लोगों के साथ बैठक की। तीन कॉलोनियों के लोग जमीन के बदले उतनी ही जमीन देने की बात पर अड गए। जेडीए का तर्क था कि नियमानुसार अवाप्त की गई जमीन की आधी जमीन पुनर्वास के लिए देने का प्रावधान है। जेडीए ने लोगों की मांग पर अगले सप्ताह फैसला करने का निर्णय लिया। एयरपोर्ट के आगे लिंक रोड के बीच सुंदरनगर, सम्राटनगर और खोखावास कॉलोनियों के चालीस मकान आ रहे हैं। आबादी के कारण लिंक रोड तीन जगह मुड़ी हुई है और उसकी चौड़ाई 15 से चालीस फीट रह गई है। इसे 200 फीट करना है। लोगों का तर्क है मेट्रो परियोजना के तहत जमीन के बदले पूरी जमीन दी जा रही है तो जेडीए आधी जी जमीन क्यों दे रहा है।
जेडीए ने तोड़े छह मकान
जेडीए ने शुक्रवार 24 मई को अमानीशाह नाले में दो कॉलोनियों के छह मकान ध्वस्त किए। जेडीए अधिकारियों ने किरण विहार विस्तार में नाले के बहाव क्षेत्र में बचे एक मात्र मकान को भी गिराने और परिवार को पुनर्वास कराने की योजना तैयार कर ली।
अमानीशाह नाले के बहाव की सारी बाधाएं हटाएं-हाईकोर्ट
अमानीशाह नाला अतिक्रमण पर सख्त होते हुए सोमवार को हाईकोर्ट ने कहा कि अमानीशाह नाला के बहाव में आने वाली सभी बाधाएं हटाई जानी चाहिए। चाहे निर्माण वैध हों या अवैध उन्हें सरकार तत्परता से हटाए। अदालत ने यह भी कहा कि वह बहाव क्षेत्र में किसी भी तरह के अतिक्रमण को बर्दाश्त नहीं करेगी। सोमवार को पीएन मैंदोला की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट की खंडपीठ ने यह फैसला दिया। प्रार्थी की ओर से कहा गया था कि अतिक्रमणों को हटाने में सरकार सुस्ती बरत रही है और बहाव क्षेत्र में सभी अतिक्रमण नहीं हटे हैं। इस पर खंडपीठ ने कहा कि भले प्रक्रिया धीमे हो रही है लेकिन प्रक्रिया चल रही है। जनहित में प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए।
जेडीए के पास तीन दिन का समय
हाईकोर्ट ने अमानीशाह नाले से अतिक्रमण हटाने के लिए जेडीए को 31 मई तक की मोहलत दी हुई है। ऐसे में अब जेडीए पर 70 प्रतिशत से ज्यादा निर्माण हटाने का दबाव आ गया है। एक दिन पूर्व ही हाईकोर्ट ने अतिक्रमण सख्ती से हटाने का भी निर्देश दिया था। अमानीशाह के 47 किमी क्षेत्र में जेडीए और निगम को 1151 निर्माण हटाने थे। इसमें जेडीए करीब साठ प्रतिशत निर्माण तो नगर निगम केलल 5 प्रतिशत निर्माण हटा पाया। जेडीए ने 170 कमर्शियल निर्माण तो हटाए लेकिन रिहायशी निर्माण तीन सौ में से 122 ही हटा पाया। हाईकोर्ट ने निगम और जेडीए को 150 से 210 फीट चौडाई में कार्रवाई करने को कहा है। बहाव क्षेत्र में अब भी छोटे बड़े 825 निर्माण ध्वस्त करने हैं। तीन दिन में ये निर्माण हटाना नामुमकिन सा नजर आ रहा है।
महेशनगर से स्वेज फार्म सीधे कनेक्ट
जयपुर में मानसरोवर से गोपालपुरा बाइपास और स्वेज फार्म से सीधे महेशनगर की कनेक्टीविटी जल्दी होगी। जेडीए ने यहां हाईलेवल ब्रिज बनाने की तैयारी तेज कर दी है। स्वेज फार्म से सीधे महेशनगर तक अलग राह के लिए चार लेन चौडा पुल बनेगा, जिसके लिए जोन स्तर पर डिमार्केशन शुरू की दिया गया है। वहीं रिद्धी सिद्धी से शिप्रा पथ पर मौजूदा संकरी पुलिया भी 6 लेन चौडे हाईलेवल ब्रिज में तब्दील होगी। इसका डिजाइन तय करने के लिए जेडीए ने कंसलटेंट नियुक्त किया है। दोनों इलाकों में हाईलेवल ब्रिज बनने से यहां के लाखों लोगों की राह आसान हो जाएगी। खासकर महेशनगर से सोढाला जाने वालों को लंबी दूरी नापने से निजात मिलेगी।
कब्जा न छोड़ने वालों को तीन दिन का नोटिस
जयपुर में अमानीशाह नाला बहाव क्षेत्र में पुनर्वास के लिए सहमति पत्र भरने के बाद भी जो लोग कब्जा जमाए बैठे हैं उन्हें जेडीए ने तीन दिन का समय दिया है। निर्देश जारी कर कहा गया है कि इसके बाद भी अगर ये लोग काबिज रहे तो उन्हें बिना पुनर्वास या सहमति पत्र भरवाए हटा दिया जाएगा। बताया जा रहा है कि ऐसे 34 प्रकरण है जिसमें पुनर्वास के लिए सहमति देने के बावजूद लोग नहीं जा रहे। इनका निर्माण हटाने के लिए कई बार टीम मौके पर जा चुकी। लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा। पुनर्वास टीम अब तक 95 प्रभावितों का पुनर्वास कर चुकी है। इन्हें डिग्गी रोड पर कुमावतों की ढाणी और सीकर रोड पर चिन्हित जमीन पर भूखंड आवंटित किए गए हैं।
जयपुर में दो साल में सिर्फ 84 वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम
जयपुर जेडीए ने पिछले दो साल में सिर्फ 84 वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाए हैं। जबकि चेन्नई में दो साल में तीन लाख चालीस हजार सिस्टम बनाए जा चुके हैं। जयपुर में छतों का पानी सहेजने के कानून के प्रति ढिलाई का नतीजा ये है कि यहां हर साल भूजल का स्तर एक मीटर गिरता जा रहा है जबकि तमिलनाडु में दो साल में ही भूजल स्तर पचास फीसदी बढ गया है। राजस्थान में भी 300 वर्ग मीटर से बड़े मकानों और सार्वजनिक भवनों पर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाना अनिवार्य है। जयपुर में बिजली कनेक्शनों के अनुसार करीब सात लाख घर हैं इनमें से बडे भूखंडों पर भी हार्वेस्टिंग ढांचे बनें तो हर साल 15 अरब लीटर पानी बचाया जा सकता है। जेडीए नए मकानों के नक्शे पास करता है लेकिन सख्ती नहीं होने के कारण उसके पास कोई आंकडा नहीं है कि कितने मकानों में ढांचा बना है। सरकार ने भी प्रशासन शहरों के संग अभियान में पट्टे देने के लिए भूखंडों की साइज घटा दी। ढांचे का नियम तीन सौ वर्गमीटर से बड़े भूखंडों परह लागू होने से लोग छोटे भूखंडों के नक्शे बिना ढांचे के पास करवा रहे हैं लिहाजा पिछले दो साल में गिने चुने अपार्टमेंटों के सिवाय कहीं भी निजी आवासों में हार्वेस्टिंग सिटस्म नहीं बने। जेडीए अधिकारी यह कहकर बच रहे हैं कि उनका काम सार्वजनिक स्थलों और सरकारी क्वाटरों पर वाटर हार्वेस्टिंग सिटस्म बनाने का है।
जेडीए पास नहीं करेगा 44 मीटर से ऊंचे भवनों के नक्शे
जेडीए शहर में अब 44 मीटर से ऊंचे भवनों या संस्थानों के नक्शे पास नहीं करेगा। यह निर्णय बुधवार को जेडीए की भवन मानचित्र समिति की बैठक में किया गया। यह निर्णय तब तक के लिए लागू रहेगा जब तक इससे अधिक ऊंचाई के लिए आग बुझाने के संयंत्रों की शहर में व्यवस्था नहीं हो जाए। बैठक की अध्यक्षता जेडीसी अभय कुमार ने की। जेडीसी ने कहा कि नगर निगम के पास वर्तमान में 44 मीटर ऊंचाई तक ही अग्निशमन संयंत्र की व्यवस्था है। इस संबंध में निगम सीईओ की तरफ से जेडीए को अवगत कराया गया है। ऐसे में अब जेडीए भवनों के मानचित्र अनुमोदन 44 मीटर ऊंचाई को ध्यान में रखकर करेगा। इसके अलावा बैठक में यह भी तय हुआ की अब जेडीए बहुमंजिला भवनों की पार्किंग के लिए ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार करेगा जिसमें बहुमंजिला भवनों की पार्किंग का नक्शा अनुमोदित होते ही पार्किंग स्पेस का डेटा स्टोर हो जाएगा। इस तरह जेडीए को पूरे शहर में कुल पार्किंग स्पेस का एक ही झलक में पता लग जाएगा।