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रवीन्द्र मंच
Ravindra Manch
कलाओं की नगरी जयपुर देश और दुनिया में अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान रखती है। इसी पहचान की बदौलत इस गुलाबी नगर में विश्वभर से पर्यटक आते हैं और इसके मोहपाश में बंधकर इसी के रंग में रंग जाते हैं। रंगों के ऐसे ही अनूठे सम्मिश्रण से बनी यह यह नगरी, जिसे कभी रत्न सिटी कहा जाता है, कभी छोटी काशी, कभी कल्चरल सिटी और कभी पूर्व का पेरिस। गुलाबी रंग तो इसकी पहचान है ही। इसके साथ इसकी पहचान हैं जयपुर के रंग-उत्सव।
रंग उत्सवों की नगरी जयपुर
रंग-उत्सव से हमारा तात्पर्य जयपुर में विभिन्न रंगमंचों पर खेले जाने वाले नाटकों से है। यूं तो जयपुर में जवाहर कला केंद्र, बिड़ला ऑडीटोरियम, महाराणा प्रताप सभागार और अन्य थिएटर मौजूद हैं लेकिन जो बात रवीन्द्र मंच सभागार में है वह कहीं और नहीं। उक्त वर्णित सभी सभागारों में समय समय पर कई प्रकार के आयोजन होते रहते हैं। कभी कोई उत्सव, कभी कोई मेला, तो कभी कोई व्यावसायिक गतिविधि। लेकिन जवाहर कला केंद्र एक मात्र ऐसा स्थान है जहां आपको सिर्फ और सिर्फ नाटक मिलेंगे।
रामनिवास बाग की दूसरी शान
रवीन्द्र मंच जयपुर परकोटा के ठीक दक्षिण में स्थित रामनिवास बाग के उत्तर पूर्वी किनारे पर स्थित है। जयपुर के सबसे सघन इलाके के ठीक बीच में स्थित होकर भी रवीन्द्र मंच अपने आप में एक तपस्वी की भांति मौन चुपचाप अकेला बैठा चिर तपस्या में लीन नजर आता है। रामनिवास बाग में मानसिंह सर्किल से पूर्व की ओर जाने वाले पथ पर रवीन्द्र मंच प्रेक्षाग्रह का यह भव्य भवन मौजूद है। खूबसूरत इमारत आधुनिक डिजाइन में बनी उस समय की अपने आप में पहली भव्य इमारत थी। इसका प्रेक्षाग्रह भी देश के सबसे बड़े सभागारों में गिना जाता है। इसके अलावा इस इमारत के पीछे एक ओपन थिएटर भी है जो लाल पत्थरों के गोलकार सीढीनुमा स्थापत्य में गढ़ा गया है। वर्तमान में प्रेक्षाग्रह के विकास का कार्य चल रहा है और यहां होने वाली गतिविधियों में भी तेजी आई है। रामनिवास बाग की पहली शान यहां स्थित अल्बर्ट हॉल म्यूजियम है। इसलिए रवीन्द्र मंच को रामनिवास बाग की दूसरी शान कहा जाता है।
नेहरू के संस्कृतिवाद की निशानी
जयपुर के रामनिवास बाग में स्थित रवीन्द्र मंच सभागार भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा 1961 में देश में स्थापित 17 सांस्कृतिक केंद्रों में से एक था। नागरिकों के लिए इस भव्य और ऐतिहासिक सभागार का उद्घाटन तात्कालीन संस्कृति मंत्री एच. कबीर ने 15 अगस्त 1963 को किया, और इसी के साथ जयपुर के इतिहास में ’रंग’ का अर्थ और भी व्यापक हो गया। नेहरू के संस्कृतिवाद की निशानी इस भव्य सभागार के नवीनीकरण पर 90 लाख रुपए खर्च कर प्रशासन ने इसे नया रूप और नया जीवन दे दिया है। वर्तमान में यहां वे सभी सुविधाएं मौजूद है जो एक थिएटर को भव्य थिएटर बनाती हैं। यहां ओपन थिएटर, मिनी थिएटर, चारों ओर हरा भरा वातावरण, पार्किंग, आर्ट गैलेरी, डागर आर्काइव आदि नागरिकों को सांस्कृतिक विकास की धारा में जोड़ने वाले साधन हैं।
उत्सवों की भरमार
रवीन्द्र मंच के नवीनीकरण के बाद यहां रंगात्सवों की बहार आ गई है। हाल ही के कुछ अरसे में यहां राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय स्तर के नाट्योत्सवों का आयोजन किया जा चुका है। एक समय गर्त की आरे जाती थिएटर विधा एक बार फिर से पुष्पित पल्लवित होती नजर आ रही है। एक बार फिर युवाओं का रूझान थिएटर की तरफ है। जिसमें रवीन्द्र मंच और यहां का प्रशासन महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। रवीन्द्र मंच से निरंतर जुडे कलाकारों, लेखकों, रंग निर्देशकों और युवा प्रतिभाओं ने भी इसके विकास में छोटी छोटी किंतु अहम भूमिकाएं निबाही हैं।
इरफान खान जैसी प्रतिभाएं
रवीन्द्र मंच ने देश को इरफान खान जैसी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभाएं दी हैं। रात दिन रवीन्द्र मंच प्रेक्षाग्रह में नाटकों की रिहर्सल में जुटे कलाकारों में से ही कोई एक दिन अचानक बड़े पर्दे पर दिखाई देने लगाता है। ‘पान सिंह तोमर' के लिए बेस्ट एक्टर का राष्ट्रीय खिताब पा चुके इरफान का कहना है कि जयपुर का रवीन्द्र मंच उनकी पहली पाठशाला है। रवि झांकल जैसे मंझे हुए कलाकार भी जयपुर थिएटर की ही देन हैं।
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आज भी कभी जब आप रवीन्द्र केंद्र के करीब से गुजरते होंगे तो आपको एक साथ दो हुंकारें सुनाई देती होंगी। एक हुंकार रवीन्द्र मंच की दीवार से सटे चिड़ियाघर के बाघों की होती है तो दूसरी हुंकार प्रेक्षाग्रह के भीतर रिहर्सल कर रहे किसी युवा कलाकार की। रवीन्द्र मंच ने अभिनय के खुले शेरों का एक बड़ा समूह तैयार किया है।
रवीन्द्र मंच – डागर आर्काइव
डागर परिवार ने जयपुर को ध्रुपद गायन के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर विख्यात किया। पद्मभूषण उस्ताद अल्लाह बंदे रहीमुद्दीन खान डागर जानमाज पर बैठकर रियाज करने से पहले नमाज पढ़ा करते थे। ध्रुपद गायन को अल्लाह की बंदगी की तरह मानने वाले डागर परिवार में महिलाओं के गायन पर पाबंदी थी। इसी कारण डागर परिवार की सदस्या शबाना डागर कभी ध्रुपद गायन नहीं कर सकीं। लेकिन उन्हें ध्रुपद से प्यार बहुत था। वे घंटों बैठकर ध्रुपद का रियाज सुना करती थी। ध्रुपद गायन में तो वे कुछ नहीं कर सकी लेकिन ध्रुपद के लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया। जयपुर के रवीन्द्र मंच प्रेक्षागृह के दूसरे तल पर ’डागर आर्काइव’ में शबाना ने अपने परिवार की ऐतिहासिक यादों को बखूबी सहेजा है। उन्होंने यहां सौ साल पुराने साजों को उनके नाम और ध्रुपद में इस्तेमाल होने के स्थानों के साथ संजोया है। इतना ही नहीं, यहां डागर परिवार के महत्वपूर्ण ध्रुपद गायकों के इतिहास और उनकी वस्तुओं को भी रखा गया है। इन महत्वपूर्ण वस्तुओं में डागर परिवार की मौसिकी पर आधारित कई वर्षों से संजोई गई किताबें, उस्ताद रहीमुद्दीन खान डागर का जानमाज और उस्ताद अल्लाह बंदे इमामुद्दीन खान डागर का तानपूरा भी शामिल है।
संगीत के शोध विद्यार्थियों के लिए डागर आर्काइव महत्वपूर्ण लाईब्रेरी है। यहां आने वालों के साथ शबाना बड़ी आत्मीयता से मिलती हैं और लोगों को डागर परिवार और उनके ध्रुपद प्रेम के बारे में बहुत सी बातों का जिक्र करती हैं। तो अब अगर आप कभी रवीन्द्र मंच पर कोई नाटक देखने जाएं तो डागर आर्काइव का दौरा जरूर करें।
कब बदलेगा रंग रूप
जयपुर के सबसे प्रमुख प्रेक्षागृह रवीन्द्र मंच की सूरत बदलने में वक्त लगेगा। मंच का टैगोर कल्चरल कॉम्प्लेक्सेज स्कीम के तहत रिनोवेशन और अपग्रेडेशन होना है लेकिन प्रशास8न की उदासीनता के कारण दो साल से काम अटका हुआ है। रवीन्द्र मंच प्रशासन प्रोजेक्ट में देरी के कारण नेशनल अप्रेरल कमेटी की मेंबर संजना कपूर के विजिट पर नहीं आने को बता रहा है। रवींद्र नाथ टैगोर की 150 वीं जयंती के सिलसिले में केंद्र सरकार कीओर से टैगोर कल्चरल कॉम्प्लेक्स स्कीम के तहत रवींद्र मंच को फुल फ्लेज्ड कल्चरल सेंटर के रूप में डवलप किया जाना है।
प्रोजेक्ट में देरी
रवींद्र मंच प्रबंध अधिकारी नीतू राजेश्वर का कहना है कि प्रोजेक्ट में देरी की वजह डीपीआर को नेशनल अप्रैजल कमेटी का अप्रूवल नहीं मिलना है। राज्य सरकार ने एक करोड का फंड रिलीज कर दिया है। इससे मंच पर एसी लगवाया था। हम चाहते हैं कि जल्द से अप्रूवल मिल जाए, ताकि रिनोवेशन का काम शुरू हो।
सुविधाओं की कमी
रवीन्द्र मंच के मौजूदा रिहर्सल हॉल की स्थिति अच्छी नहीं है और न ही थिएटर आर्टिस्ट के लिए स्टेज प्रॉपर्टी की सुविधाएं हैं। रंगकर्मी संजय विद्रोही का कहना है कि कला के विकास के लिए सुविधाओं का होना जरूरी है। रिहर्सल हॉल में लाइट की व्यवस्था होनी चाहिए। स्टेज के लिए प्रॉपर्टी उपलब्ध कराई जानी चाहिए। रंगकर्मी दिलीप भट्ट का का कहना है कि रवींद्र मंच के रिनोवेशन प्रोजेक्ट के बारे में काफी समय से सुनने में आ रहा है, लेकिन अब तक यह इंप्लीमेंट नहीं हो पाया।
मिलेगा मार्डन टच
प्रोजेक्ट के तहत ऑडीटोरियम, आर्ट गैलरीज, रिहर्सल हॉल, कैफेटेरिया, लाईब्रेरी आदि बनाए जाएंगे। ताकि ज्यादा से ज्यादा कार्यक्रम यहां आयोजित किए जा सकें। प्रोजेक्ट केलिए सेंट्रल गवर्नमेंट की ओर से साठ फीसदी और स्टेट गवर्नमेंट की ओर से चालीस फीसदी फंड दिया जाएगा। प्रोजेक्ट के तहत पुराने भवन को मॉडर्न टच देने और मल्टीफेसेलिटी प्रोवाइड कराने के लिए रिनोवेट किया जाएगा। नया ऑडिटोरियम, कैफेटेरिया, लाइब्रेरी और रिहर्सल हॉल भी बनेगा।
14 करोड का अप्रूवल
पिछले साल अप्रैल में सेंट्रल कल्चरल मिनिस्ट्री से 14 करोड का सैद्धांतिक अप्रूवल मिला था। इसके बाद नेशनल अप्रेजल कमेटी के मेंबर निसार अलाना विजिट पर आए। उन्होंने डिजाइन और टेक्निकल इश्यूज पर सुझाव दिए। जिसके अनुसार डीपीआर में चेंजेज करके भेजे गए। अब संजना कपूर की विजिट का इंतजार है। क्योंकि वे प्रोग्रामिंग से जुडे जरूरी सुझाव देंगी। इसके बाद ही काम शुरू करने का अप्रूवल मिल पाएगा।
विकास : बनेगा कैफेटेरिया
रवींद्र मंच कंपस में अब कैफेटेरिया भी होगा। टैगोर कल्चरल कॉम्प्लेक्स स्कीम के तहत रवींद्र मंच का रिनोवेशन, अपग्रेडेशन और मॉर्डनाइजेशन किया जाना है। इसी प्रोजेक्ट में अब मंच में कैफेटेरिया बनाया जाएगा। जिससे यहां आने वाले कला प्रेमियों को कला के बारे में डिसकशन करने और खाने पीने की सुविधाएं भी मिल सकेंगी। यहां कैफेटेरिया ओपन एयर थिएटर के सामने की ओर खाली लैंड में बनाए जाने की योजना है। इसके ऊपर गेस्ट हाउस और नीचे मल्टीपर्पज हॉल भी बनाए जाएंगे। कलाकारों की मानें तो मंच में कई वर्षों से कैफेटेरिया बनाने की डिमांड की जा रही थी। कलाकारों के मुताबिक यदि मंच में फुटफॉल बढाना है तो कैफेटेरिया जैसी योजनाएं जरूरी हैं। जानकारी के अनुसार रवींद्र मंच की ओर से पिछले साल डीटेल्ड प्रोजक्ट रिपोर्ट सेंट्रल गर्वनमेंट को भिजवाई गई थी। इसमें मंच पर कैफेटेरिया बनाने का भी प्रपोजल शामिल था। लेकिन अगस्त में मंच की विजिट पर आए मेंबर निसार अलाना ने कैफेटेरिया के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था। इसके बाद हाल ही नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में हुई एक मीटिंग में नेशनल अप्रेजल कमटी के सदस्यों ने कैफेटेरिया बनाने के लिए भी सहमति दे दी है। इस बैठक में आर्किटैक्ट के टी रवींद्रन, नेशनल स्कूल आफ ड्रामा के त्रिपुरारी शर्मा और रवींद्र मंच प्रबंधक नीतू राजेश्वर शामिल हुए थे।
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जयपुर के रवीन्द्र मंच सभागार में मंगलवार 12 मार्च को गुजराती नाटक ’वलतर-2013’ का मंचन किया गया। गुजराती समाज, जयपुर और गुजरात सरकार के सांस्कृतिक विभाग के सहयोग से हुए इस नाटक का निर्देशन निमेष देसाई ने किया। भीष्म साहनी लिखित इस नाटक का अनुवाद संगीता शास्त्री ने किया। नाटक में जीवन के संघर्ष को दर्शाया गया। समाज के कुछ प्रभावशाली लोगों ने घोषणा की कि गरीबों की मौत पर उन्हें मुआवजे के तौर पर कुछ रुपया दिया जाएगा। लेकिन इस मुआवजे के लिए लोग दर ब दर भटकते हैं। नाटक की कहानी इन्हीं के जीवन संघर्ष को दर्शाती है। नाटक में गुजरात के 25 कलाकारों ने भाग लिया। शहर के गुजराती समाज के लोग इस अवसर पर बड़ी संख्या में मौजूद थे। सभी कलाकारों ने बेहद उम्दा अभिनय किया। ऐसे नाटक जयपुर में कम मंचित होते हैं।
नाटक ’भारतंबा’ का मंचन
रवीन्द्र मंच के सभागार में कला साहित्य और संस्कृति विभाग तथा ताम्हणकर थिएटर अकादमी की ओर से बुधवार को रवीन्द्र मंच पर तीन दिवसीय नाट्य समारोह की शुरूआत के पहले दिन कन्नड़ भाषा के हिंदी रूपांतरित नाटक भारतंबा का मंचन किया गया। भारतंबा का अर्थ है भारत मां। इसमें विभिन्न घटनाक्रमों और संवादों के जरिए यह बताने का प्रयास किया गया कि आम हिंदू मुसलमान आपस में मिलकर रहना चाहते हैं लेकिन कुछ खुदगर्ज लोग उनके बीच दीवार खींचकर रखना चाहते हैं। चंद्रशेखर कंबार लिखित इस नाटक का हिंदी रूपांतरण कमल नारायण ने किया। नाटक का निर्देशन वरिष्ठ रंगकर्मी राजू ताम्हणकर ने किया। नाटक में मंच पर श्रुति सावलदिया, वर्षा मेहरा, सौरभ जगारिया, अमन आशीवाल, समित आशीवाल, मनीष शर्मा और नवीन माथुर ने महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई।
जयपुर के रवीन्द्र मंच (Ravindra Manch) सभागार में रविवार 24 मार्च की शाम नाटक ’हंगामा ए लॉकेट’ का मंचन किया गया। नाटक में गलतफहमी के चलते घरों में पैदा होने वाले विवादों को रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया। कहानी के अनुसार एक युवक युवती शादी करना चाहते हैं। लड़का अपने माता पिता से शादी की इजाजत लेने जाता है। वह वहां से युवती को लैटर लिखता है लेकिन लैटर लड़की तक नहीं पहुंचता और वह सोचती है कि लड़के ने उसे धोखा दिया है। लड़की सदमे से सड़क पर बेहोश होकर गिर जाती है। पास ही रहने वाले एक बूढ़े नवाब उसे संभालते हैं। नवाज की जवान बेगम को उस पर शक होता है। लड़की के बेहोश होने के दरमयान उसका लॉकेट सड़क पर गिर जाता है। वह लॉकेट बेगम को मिलता है और वह उसे खोलकर देखती है। लॉकेट में लड़का का फोटो देखकर वह लड़के पर फिदा हो जाती है। इन परिस्थितियों के मद्देनजर जो गलतफहमियां पैदा होती है उससे हास्य निकलता है। नाटक में इसी हास्य को कलाकारों ने मंच पर बखूबी पेश किया है। इप्टा जयपुर की ओर से खेले गए इस नाटक का निर्देशन केशव गुप्ता ने किया। मंच पर कुसुम कंवर, सुशांत शर्मा, मुद्रिका त्रिपाठी, दीपक गुर्जर, भारती पेरवानी, विस्मय कुमार, अंतरिक्ष और आसिफ खान प्रमुख भूमिकाओं में थे।
’राजपूताना’ का मंचन
रवीन्द्र मंच (Ravindra Manch) के ही मिनी स्टूडियो में रविवार को नाटक ’राजपूताना’ का मंचन किया गया। कलाकारों ने राजस्थान को रसों को स्थान बताते हुए महिलाओं के साहस और सौन्दर्य का बखान किया गया। मंच पर अभिषेक झांकल, हिमांशु झांकल, तपन भट्ट, विशाल भट्ट, पंकज शर्मा, रवि टांक, विक्की और संवाद ने प्रस्तुति दी।
जयपुर के रवींद्र मंच (Ravindra Manch) पर 28 मार्च गुरूवार को राजस्थानी लोकनृत्यों की बहार देखी गई। मंच के मुख्य परिसर के बाहर रंग शिल्प संस्था की ओर से से शाम को कला, संस्कृति व साहित्य विभाग के सहयोग से हुए कार्यक्रम में कलाकारों ने अग्नि नृत्य पेश किया। रवींद्र मंच के ही ओपन थिएटर में श्रीहरे कृष्णा कला मंदिर की ओर से रंगारंग कार्यक्रम पेश किया। इस मौके पर लहरिया, कालबेलिया, भवई, चिरमी और तेरहताली नृत्यों का प्रदर्शन किया गया।
थिएटर के भरोसे जीवन नहीं कटता – सलीम आतिफ
जयपुर के जवाहर कला केंद्र के रंगायन सभागार में केंद्र के स्थापना दिवस के मौके पर प्रस्तुति देने आए मुंबई के वरिष्ठ रंगकर्मी सलीम आतिफ का मानना है कि हिंदी थिएटर के कलाकारों के पास ज्यादा विकल्प नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अक्सर हिंदी थिएटर की स्थिति और भविष्य को लेकर सवाल किए जाते हैं। मैं पिछले पांच दशक से रंगकर्म कर रहा हूं जहां तक मेरी नजर जाती है वहां तक हिंदी थिएटर की स्थिति काफी खराब दिखाई देती है। आज बंगाली, गुजराती और मराठी रंगकर्मियों के पास तो नाटक के अलावा उनकी भाषा की फिल्में विकल्प के तौर पर होती हैं जहां उन्हें आराम से काम मिल जाता है लेकिन हिंदी थिएटर से जुडे रंगकर्मियों के पास बॉलीवुड के अलावा कोई विकल्प भी नहीं है। वैसे हिंदी थिएटर को बॉलीवुड के कलाकार काफी फायदा भी पहुंचा रहे हैं। डन्होंने कहा कि कुलभूषण खरबंदा, नसीरूद्दीन शाह, परेश रावल, राकेश बेदी, अनुपम खेर, नादिरा जहीर बब्बर जैसे लोगों के नाटकों में अभिनय करने से थिएटर को दर्शक बड़ी तादाद में मिल जाते हैं।
उन्होंने दिल्ली के एनएसडी को भी सवालों के कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि दिल्ली का नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा भी असफल साबित हुआ है। सरकार की ओर से विभिन्न शहरों में रंगमंडल की योजना भी ठंडे बस्ते में है। पेशेवर रंगकर्मियों के सामने जीविका की समस्या पैदा हो गई है। एनएसडी ने अपनी स्थापना के साठ साल बाद भी चुनिंदा पेशेवर रंगकर्मी ही तैयार किए हैं। इसके अलावा रंगकर्म के लिए कुछ नहीं किया है।
उन्होंने थिएटर के भरोसे जीवन काटने को असंभव करार देते हुए कहा कि कुछ लोगों की बात छोड़ दी जाए तो देश में पेशेवर रंगमंडलों के अभाव में लोगों का थिएटर के भरोसे निर्भर रहना असंभव है। इसीलिए थिएटर में ऐसे कलाकारों की भरमार है जो दूसरी नौकरी कर अपनी आजीविका चला रहे हैं। रंगकर्म के इसी शौकिया चरित्र की वजह से थिएटर का स्तर भी नहीं उठ पा रहा है।
अपने रंग कॅरियर के बारे में उन्होंने कहा कि मैं पांच दशकों से रंगकर्म से जुड़ा हूं। वे पढाई के दौरान ही थिएटर से जुड गए थे। उन्होंने हबीत तनवीर और श्याम बेनेगल जैसे निर्देशकों के साथ काम किया। छोटे परदे पर भारत एक खोज, चाणक्य, मिर्जा गालिब में भी काम कर उन्हें पहचान मिली।
जयपुर रंगमंच का केंद्र – आशुतोष राणा
जयपुर के पास एक गांव में ’द डर्टी पॉलिटिक्स’ फिल्म की शूटिंग में हिस्सा लेने आए बॉलिवुड अभिनेता आशुतोष राणा ने जयपुर को रंगमंच का केंद्र बताते हुए थिएटर की ओर लौटने की इच्छा को स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि थिएटर करने का बहुत मन है। अभी एक एकल प्रस्तुति करने की तैयारी कर रहा हूं। स्क्रिप्ट पर काम चल रहा है। 18 अप्रैल को फाइनल ड्राफ्ट होगा। उसके बाद दो महिने में नाटक का मंचन किया जाएगा। यह एक आर्मी ऑफिसर की कहानी है। जयपुर रंगमंच का केंद्र है। इसलिए यहां भी यह नाटक लाएंगे।
सरताज माथुर के व्यक्तितव पर चर्चा
राजस्थान फोरम की ओर से आयोजित की जा रही डेजर्ट सोल टॉक शो श्रंखला के तहत इस बार वरिष्ठ रंगकर्मी सरताज नारायण माथुर के कृतित्व और व्यक्तित्व पर चर्चा की जाएगी। यह कार्यक्रम 21 अप्रैल को शाम 4 बजे होटल आईटीसी राजपूताना में आयोजित किया जाएगा। टॉक शो में राजस्थान यूनिवर्सिटी में नाट्य विभाग की विभागाध्यक्ष और रंगकर्मी डॉ अर्चना श्रीवास्तव उनसे चर्चा करेंगी। इस चर्चा में उनके थिएटर में बिताए 60 सालों के सफर पर बातचीत होगी। सरताज माथुर ने अभिनेता, निर्देशक और लेखक के तौर पर नाट्यप्रेमियों के बीच खास पहचान बनाई है। टॉक शो में सरताज नारायण माथुर के प्रमुख नाटकों के अंशों की झलकियों का मंचन भी किया जाएगा। फिलहाल सरताज युवा रंगकर्मियों को अभिनय के गुर देने में समय व्यतीत कर रहे हैं। प्राय: उन्हें रवीन्द्र मंच पर युवा कलाकारों को नाट्य की बारीकियों पर चर्चा करते देखा जा सकता है।
’सपने मेरे अपने’ का मंचन 20 को
जयपुर नाट्य संस्था की ओर से शनिवार 20 अप्रैल को शाम 7 बजे रवीन्द्र मंच पर नाटक ’सपने मेरे अपने’ का मंचन किया जाएगा। बदलते वक्त में रिश्तों में घुलता स्वार्थ, रिश्तों का खोखलापन और प्यार के बदलते मायनों को परिभाषित करता इस नाटक का प्रोडक्शन डिजाइन राजू हेमचंद्र ताम्हणकर करेंगे। नाटक में मंच पर मनीष सिंघल, तेजेश माथुर, राजीव अंकित, डॉ मीनू चारण, निधि ताम्हणकर, सौरभ जगरिया, नेहा चौधरी, दीपेश गौड़, सुमित आसीवाल, राज पटेल और धनेश वर्मा विभिन्न भूमिकाओं का निर्वहन करेंगे।
नाटक मुफ्त ना दिखाया जाए- सरताज नारायण माथुर
जयपुर के जाने माने वरिष्ठ रंगकर्मी सरताज नारायण माथुर आज के नाटकों से खुश नहीं हैं। रविवार 21 अप्रैल को एक टॉक शो में अपना दर्द बयान करते हुए कहा कि नाटक के लिए साठ का दशक बेहतर था। उन्होंने कहा जयपुर में नाटक तो अब भी बहुत खेले जा रहे हैं लेकिन उनका स्तर ठीक नहीं है। उन्होंने कहा साठ के दशक में जयपुर के पास नंदलाल शर्मा, एचपी सक्सेना, मदन शर्मा, अल्का राव और वासुदेव भट्ट जैसे नाट्यकर्मी थे जिन्होने राजस्थान के थिएटर को राष्ट्रीय स्तर तक उठाया। आज इनके जैसे युवाओं की कमी है। सरताज ने अपने नाट्य सफर पर बात करते हुए कहा कि नाटकों से ज्यादा उनकी संगीत में रूचि थी। लेकिन इंश्योरेंस की एक नौकरी के दौरान वरिष्ठ अधिकारी विश्वनाथन ने उन्हें प्रेरित किया और वे नाटकों के क्षेत्र में निकल गए। उन्होंने कहा कि आज रंगकर्म के लिए प्रतिबद्धता की कमी भी युवाओं में है। जब तक नाटक मुफ्त दिखाते रहेंगे लोगों का आकर्षण उसी अनुपात में घटेगा। जवाहर कला केंद्र में 1995 में नाटक को सशुल्क दिखाना आरंभ किया गया, आज वहां टिकट 40 रूपए है तब भी बड़ी संख्या में लोग देखने पहुंचते हैं। एक रंगकर्मी के तौर पर उन्होंने अपने सफल होने का श्रेय अपनी पत्नी को दिया।
’मैं और मेरा’ से किया कटाक्ष
देश के हालात ऐसे हैं कि लोग सिर्फ ’मैं और मेरा’ तक ही सिमट गए हैं। सब स्वार्थ की पूर्ति में लगे हैं। सामाजिक मूल्यों, संस्कारों और परंपराओं की बातें विचार गोष्ठीयों और किताबों तक सीमित रह गई हैं। रवीन्द्र मंच के सभागार में गुरूवार को खेले गए नाटक ’भूमिका’ में देश की इसी स्थिति पर व्यंग्य किया गया। राजेश रेड्डी लिखित इस नाटक का निर्देशन जगदीश अनेजा ने किया। नाटक में दिखाया गया कि वैश्वीकरण और उदारीकरण के इसे दौर में आम आदमी लाचार, बीमार और बेरोजगार है। इसमें तीन पात्रों के जरिए व्यवस्था पर कटाक्ष किए गए।
रवीन्द्र मंच पर ’दहेज’ का मंचन कल
जयपुर में प्रेक्षागृह रवीन्द्र मंच पर रंगारंग नट संस्था की ओर से बुधवार को नाटक दहेज का मंचन किया जाएगा। टैगोर लिखित कहानी पर आधारित इस नाटक का निर्देशन जयरूप जीवन करेंगे। नाटक मिें सिद्धार्थ, केशव, दीपक और चेतन सोनी अभिनय करेंगे।
रवीन्द्र नाथ को याद किया रंगों के जरिए
रवीन्द्र मंच सोसायटी की ओर से एवं राजस्थान ललित कला अकादमी के सहायोग से मंगलवार को गुरूदेव रवींद्र नाथ टैगोर की जयंती के अवसर पर रवींद्र मंच के कोरिडोर में चित्र कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में कला के विद्यार्थियों ने टैगोर की स्मृति में कई चित्र बनाए जिन्हें बाद में कोरिडोर में ही प्रदर्शित किया गया। चित्रकार रामप्रसाद सैनी ने कैनवास पर गुरूदेव के विचारों और व्यक्तित्व का उभार दिया। उन्होंने तबले से निकलती धुनें, उन्हें ले जाता सफेद कबूतर बनाया, उनकी मंशा के अनुसार शांति के दूत रवीन्द्र नाथ टैगोर दुनियाभर शांति कायम करने का संदेश दे रहे हैं। चित्रकार कृष्ण कुमार ने अमूर्त रूप में टैगोर की कल्पनाओं को संजोया। उन्होंने किताबों के जरिए रचनात्मकता, हरे रंग में खुशहाली और गोल्डन में उम्र के अंतिम पड़ाव के अनुभव को दर्शाया। इन दोनो के साथ राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट के 16 युवा चित्रकारों ने 16 कैनवासों पर टैगोर के व्यक्तित्व को दर्शाया। इससे पहले सुबह सोसायटी की चेयरमैन नीतू राजेश्वर और अकादमी के कार्यक्रम आधिकारी विनय शर्मा ने उद्घाटन किया।
रवीन्द्र मंच पर ’राज-रंगम’ नाट्योत्सव 10 से
जयपुर के रवीन्द्र मंच पर साहित्य, कला, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग, राजस्थान सरकार के सहयोग से पांच दिवसीय रंगोत्सव ’राजरंगम’ का आयोजन 10 मई से किया जाएगा। यह आयोजन डॉ चंद्रदीप हाडा के नाट्य शोध पर आधारित होगा। डॉ चंद्रदीप हाडा को पीएचडी चित्रकला विभाग राजस्थान विश्वविद्यालय से पुरस्कृत किया गया है। साथ ही शोध विषय के लिए जूनियर फैलोशिप संस्कृति मंत्रालय द्वारा भी पुरस्कृत किया गया है। यह आयोजन दोनो शोध कार्यों पर आधारित होगा। कार्यक्रम का उद्घाटन राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ मधुकर गुप्ता व संभागीय आयुक्त किरण सोनी गुप्ता करेंगे। पांच दिवसीय रंगोत्सव में 4 निर्देशकों के निर्देशन में 5 नाटकों का मंचन किया जाएगा। मंचन 10, 11, 13, 14 व 15 मई को शाम 7 बजे से रवीन्द्र मंच के मुख्य सभागार में होंगे। इस दौरान यहां 6 दिवसीय रंग प्रदर्शनी का अभी आयोजन होगा। 10 से 15 मई तक शाम 6 से रात्रि 10 बजे तक यह रंग प्रदर्शनी सभागार के कॉरीडोर में आयोजित की जाएगी। रंगोत्सव के तहत 12 मई को स्टूडियो थिएटर में सुबह 11 से दोहपर 1 बजे तक रंग संगोष्ठी का आयोजन भी किया जाएगा।
ध्रुवपद गुरू फरीदुद्दीन डागर का निधन
वरिष्ठ ध्रुवपद गुरू उस्ताद जिया फरीदृदीन डागर का बुधवार को मुंबई में निधन हो गया। वे 80 वर्ष के थे। उदयपुर में जन्मे डागर निमोनिया से पीडित थे। फरीदुद्दीन, डागर घराने की 19 वीं पीढी के कलाकार थे। ध्रुवपद के प्रचार प्रसार और शिक्षण में उनकी अहम भूमिका रही। 2012 में उन्हें पद्मश्री अवार्ड दिया गया, लेकिन उन्होंने यह सम्मान ग्रहण नहीं किया।
राजरंगम में होगा शानदार नाटकों का मंचन
जयपुर के रवीन्द्र मंच सभागार में शुक्रवार को राज-रंगम शुरू होगा। संस्कृति मंत्रालय कला साहित्व संस्कृति व पुरातत्व विभाग राजस्थान, रवीन्द्र मंच सोसायटी और एक्टर्स थिएटर एट राजस्थान की ओर से होने वाले इस थिएटर फेस्टिवल के तहत 10 मई को अंग्रेजी नाटक ’सिल्विया’, 11 मई को ’जमलीला’, 13 मई को ’जिण लाहौर नई वेख्या ओ जन्म्या ही नहीं’, 14 मई को दूधा और 15 मई को ’खामोश, अदालत जारी है’ का मंचन किया जाएगा।
शोध ग्रंथ पर चर्चा
छह दिवसीय राजरंगम नाट्य समारोह के तहत रविवार को थिएटर स्कॉलर डॉ चंद्रदीप हाडा के राजस्थान यूनिवर्सिटी और जूनियर फैलाशिप संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत शोध ग्रंथ पर चर्चा हुई। रवीन्द्र मंच के स्टूडियो थिएटर में आयोजित संगोष्ठी में जयपुर और जोधपुर के रंगकर्मियों ने राजस्थान के आधुनिक रंगमंच में पूर्ण किए गए इन शोध कार्यों पर विचार प्रकट किए। इस आयोजन में डॉ चंद्रदीप हाडा द्वारा शोध कार्यों पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी दिखाई गई। रंग संगोष्ठी में वरिष्ठ नाट्य निर्देशकों सरताज नारायण माथुर, साबिर खान व डॉ अर्जुन देव चारण के अलावा वरिष्ठ रंगकर्मी अशोक राही, संजय विद्रोही, सर्वेश व्यास, सुरेश संधु, राजू कुमार, महुआ चौहान, दिलीप भट्ट, नरेंद्र बबल, गगन मिश्रा ने भी अपने विचार प्रकट किए।
रवीन्द्र मंच पर ’जिण लाहौर नहीं वेख्या…’
रवीन्द्र मंच पर सोमवार की शाम थिएटर स्कॉलर डॉ चंद्रदीप हाड़ा की ओर से आयोजित किए जा रहे छह दिवसीय नाट्य समारोह राजरंगम के तहत वरिष्ठ रंगकर्मी सरताज नारायण माथुर के निर्देशन में असगर वजाहट का नाटक ’जिण लाहौर नहीं वेख्या, ओ जन्म्या ही नहीं’ का मंचन किया गया। बंटवारे पर आधारित यह मार्मिक नाटक अपनी कहानी, संवादों और अभिनय से दिलों पर एक अमिट छाप छोड़ गया। भारत पाकिस्तान विभाजन के बाद मची भगदड और भागमभाग भी रतन की अम्मा के हौसले पस्त नहीं कर पाई। लाहौर से हिंदू परिवार अपना मालो असबाब घर आंगन परिवेश सब कुछ छोड़कर हिंदुस्तान जा रहे थे। हर कोई रतन की अम्मा को भी ले जाना चाह रहा था लेकिन वह अपना हक नहीं छोड़ पाई। उसे अपनी सरजमीं से इतनी मोहब्बत थी किस राजनीतिक फैसले भी उसके लिए हराम थे। वह लाहौर रूक तो गई लेकिन उसे सारी जिंदगी इसकी कीमत भी चुकानी पड़ी। लोगों की जलालत और बेइज्जती भी सहनी पड़ी। इस मार्मिक कथा को दर्शकों ने सांस रोककर देखा। कई बार सभागार में तालियों की गडगडाहट गूंज उठी। सरताज नारायण माथुर का यह नाटक नब्बे के दशक में जयपुर में बहुत लोकप्रिय हुआ। उस समय जयपुर के जवाहर कला केंद्र में इसके कई शो हाउसफुल गए। रतन की अम्मा के रूप में जयपुर की रंगकर्मी उषा नागर ने कमाल का अभिनय किया।
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
सुर कल्चरल सोसायटी और जयपुर शहर लोकसभा युवा कांग्रेस की ओर से राजीव गांधी की याद में रवींद्र मंच पर रविवार 19 मई को म्यूजिकल ईव ’अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों’ का आयेाजन किया जाएगा। सोसायटी अध्यक्ष लियाकत अली के अनुसार कार्यक्रम में सांसद महेश जोशी, राजस्थान फाउंडेशन के उपाध्यक्ष राजीव अरोडा उपस्थित होंगे।
मूर्तिकार उषा रानी हूजा का निधन
प्रदेश की जानी मानी मूर्तिकार उषा रानी हूजा का मंगलवार को जयपुर में निधन हो गया। वे नब्बे वर्ष की थीं। उषा रानी की पहचान जयपुर के त्रिमूर्ति सर्किल पर लगी पुलिस के शहीद जवानों की मूर्तियों से होती है। इस स्मारक के लिए उन्होंने 1962 में ये मूर्तिशिल्प तैयार किए थे। इसके अलावा रवींद्र मंच पर रवीन्द्र नाथ ठाकुर की प्रतिमा, दुर्लभजी अस्पताल में दंपत्ति की मूर्तियां और सवाईमानसिंह अस्पताल परिसर में लगी प्रतिमा भी उषा रानी का ही की कला शिल्प था। उनके निधन पर जयपुर के कला जगत में शोक की लहर दौड़ गई।
रंग पनिक्कर ड्रामा फेस्टिवल 22 जून से
जयपुर के प्रेक्षागृह रवीन्द्र मंच पर 22 से 27 जून तक रंग पनिक्कर ड्रामा फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है। यह फेस्टीवल जयपुर में पहली बार हो रहा है। नाट्यकुलम जयपुर की ओर से रवींद्र मंच सभागार में होने वाले इस फेस्टीवल में गीतकार, नाटककार, रंगमंच निर्देशक पद्मभूषण कावलम नारारयण पनिक्कर के नाटकों का मंचन किया जाएगा, साथ ही उन पर विशेषज्ञों द्वारा चर्चा भी की जाएगी। महोत्सव में तीन भाषाओं में छह नाटकों का मंचन किया जाएगा। पहले दिन 22 जून को संस्कृत भाषा में मध्यमव्यायोग, 23 को संस्कृत में कर्णभारम, 24 को हिंदी और संस्कृत में माल्विकाग्निमित्रम, 25 को हिंदी में उत्तर रामचरित, 26 को मलयालम में तैया तैयम और 27 जून को मलयालम में कलिवेषम नाटकों का मंचन होगा। पनिक्कर के हिंदी के सात नाटकों की बुक ’पनिक्कर रंग सप्तक’ का विमोचन 23 जून को सुबह 10 बजे साहित्यकार अशोक वाजपेई, रतन थयम करेंगे। महोत्सव में उनके मेजर प्रोडक्शन की फोटो एग्जीबीशन भी लगेंगी। वहीं उनक पर मुंबई के निर्देशक गुरविंदर सिंह की बनाई ’कालवम ए डाक्यूमेंट्री’ भी दिखाई जाएगी। इसमें उनके कार्य और जीवन की एक झलक परदे पर होगी। 28 जून को सुबह 10 बजे शहर के रंगकर्मियों के मंचित नाटक के डायरेक्टर और सपानम के कलाकार के बीच इंटरेक्शन होगा। इस दौरान कई सेमिनार होंगे। इनमें 22 जून को कार्यक्रम की शुरूआत दिल्ली की उषा मलिक और अशोक वाजपेई के संबोधन से होगी। इसके बाद स्वयं कावलम नारायण पनिक्कर ’माई थिएटर जर्नी’ पर बोलेंगे। सैकंड सेशन में ’टेक्स्ट, सब टेक्स्ट एंड परफोर्मेंस’ सेमिनार में वाराणसी से कलेश दत्त त्रिपाठी, दिल्ली से भानु भारती, भोपाल से उदयन वाजपेई और वडोदरा से चवन प्रमोद बातें रखेंगे। वहीं ’स्वर,ताल एवं एक्टिंग मेथडोलोजी’ सेशन में जयपुर से प्रो मुकुंद लाठ, भोपाल से संगीता गुंदेचा, जयपुर से प्रेरणा श्रीमाली और बीआर भार्गव विचार रखेंगे। 23 जून को ’विजुअल पोएट्री एंड एस्थेटिक्स’ सेमिनार में मणिपुर से रतन थयम, केरल से डॉ केजी पॉलोज, दिल्ली से डॉ ज्योतिष जोशी और कोलकाता से मनीष मत्रिा उपस्थित होंगे। फिर ’थिएटर ऑफ रूट्स एंड न्यू एक्सपेरिमेंट’ में दिल्ली से राधा वल्लभ त्रिपाठी, बेंगलुरू से राज्यसभा सांसद बी जयश्री, जम्मू से बलवंत ठाकुर, मुंबई से वामन केंद्रे और भोपाल से एन तन्वीर बालेंगी।
दो नाटकों का मंचन
जयपुर के रवींद्र मंच सभागार में शनिवार 25 मई और रविवार 26 मई को दो नाटकों का मंचन किया जाएगा। इप्टा जयपुर की ओर से होने वाला पहला नाटक मंटो की कहानी पर आधारित डॉ आत्मजीत लिखित नाटक ’इन रिश्तों को क्या नाम दिया जाए’ होगा। दसका निर्देशन संजय विद्रोही ने किया है। नाटक में रंगकर्मी मंच पर विभाजन की टीस को दर्शाएंगे। दूसरे दिन रणवीर सिंह लिखित नाटक ’हंगामा ए लॉकेट’ का मंचन किया जाएगा।
’आठवां सर्ग’ का मंचन
रवींद्र मंच सभागार में गुरूवार 30 मई की शाम 7 बजे नाटक ’आठवां सर्ग’ का मंचन किया जाएगा। आयाम संस्था की ओर से प्रस्तुत सुरेंद्र वर्मा कृत इन नाटक का निर्देशन सूफियान खान ने किया है। नाटक में संदीप लेले, आरूष सेठी, दामिनी गौड, दीपक शर्मा, दिव्या शर्मा, ईशु कक्कड, अंकुश, शहजोर अली आदि अभिनय करेंगे।
फिर सैटरडे थिएटर
रवींद्र मंच पर फिर से शनिवारीय थिएटर शुरू होगा। सैटरडे थिएटर रंगपर्व के तहत हर महीने के तीसरे शनिवार को स्टूडिया थिएटर मिें नाटक का मंचन किया जाएगा। गौरतलब है कि ताम्हणकर थिएटर अकेडमी और रवींद्र मंच सोसायटी की ओर से जुलाई 2012 से जनवरी 2013 तक सैटरडे थिएटर में नाटक ’कॉल मी कैप्टन रॉबर्ट’, ’दूसरा अध्याय’, ’रक्तबीज’, ’दिल की दुकान’, ’स्वप्न एक प्रश्न’, और ’लास्ट अल्टीमेटम’ का मंचन का मंचन किया जाएगा। नए शेड्यूल के तहत दस नाटक होंगे। इनमें से पांच नाटकों का निर्देशन नए डायरेक्टर करेंगे।
जयपुर के कलाकार उर्दू सीरियल में
उर्दू सीरियल तौबातन नसुह में जयपुर के कलाकार नजर आएंगे। डीडी उर्दू के लिए बन रहा यह शो एक साहित्यिक रचना पर आधारित है। सीरियल का प्रोडक्शन और डायरेक्शन पिंकसिटी की रमा पांडे ने किया है। खास बात ये है कि सीरियल में जहां राजस्थानी कलाकार काम कर रहे हैं वहीं कई सीन भी प्रदेश की महत्वपूर्ण लोकेशंस पर फिल्माए गए हैं। रमा के अनुसार सीरियल का प्रसारण अक्टूबर में किया जाएगा। 13 एपीसोड के इस सीरियल की दो तिहाई शूटिंग पूरी हो चुकी है। राजस्थान के झुंझनूं और चिड़ावा के अलावा दिल्ली में भी शूटिंग की गई है। यहां की पुरानी हवेलियां, उस दौर की स्थापात्य कला को दर्शाती हैं। संगीत इला अरुण और माजिद खान ने दिया है। सीरियल में जयपुर के जानेमाने रंगकर्मी जयरूप जीवन, जितेंद्र शर्मा और अशोक व्यास ने काम किया है।
’आयाम’ में यशपाल
जवाहर कला केंद्र में आयोजित एक कार्यक्रम ’आयाम’ में अभिनेता यशपाल शर्मा के आगमन से रौनक आ गई। सुर लय और ताल के संगम के साथ रविवार 2 जून को जवाहर कला केंद्र के रंगायन सभागार में सांस्कृतिक रंग बिखर गए। मौका था किंकिणी सांस्कृतिक संस्था की ओर से आयोजित कार्यक्रम आयाम का। कार्यक्रम में कंटेम्पररी और कथक नृत्य का फ्यूजन पेश किया। इस मौके पर अभिनेता यशपाल शर्मा मुख्य अतिथि थे। कार्यक्रम की शुरूआत आंगिकम प्रस्तुति से हुई। जिसमें भरतमुनि रचित नृत्य की झलक दिखी। सूरदास की रचना ’मुरली तो गोपाल’ पर कथक के विशुद्ध स्वरूप का चित्रण किया गया। ’रागा’ में नृत्य के माध्यम से नायिका को ईश्वर की आराधना करते दिखाया गया। अंत में अमीर खुसरो की रचना ’छाप तिलक सब छीनी’ नृत्य पेश किया गया।
चम्पाकली का रामरूपैया
रवीन्द्र मंच पर शुक्रवार 21 जून शाम साढे 7 बजे हास्य नाटक ’चम्पाकली का रामरूपैया’ का मंचन होगा। यह नाटक कल्चरल सोसायटी ऑफ राजस्थान के रंगकर्मियों की ओर से प्रस्तुत होगा। नाटक का लेखन और निर्देशन वरिष्ठ रंगकर्मी अशोक राही ने किया है।
रंग पणिक्कर थिएटर फेस्ट 22 से
जयपुर के रवीन्द्र मंच ऑडीटोरियम में 22 से 27 जून तक छह दिवसीय रंग पणिक्कर थिएटर फेस्टीवल होगा। नाट्यकुलम,जयपुर और रवीन्द्रमंच सोसायटी की ओर से होने वाले इस फेस्टीवल में कावलम नारायण पणिक्कर निर्देशित छह नाटकों का मंचन किया जाएगा। इसमें महाकवि भास के संस्कृत नाटक ’मध्यमव्यायोगम’ व ’कर्णभारम’ कालीदासकृत संस्कृत व हिंदी नाटक ’मालविकाग्निमित्रम’ भवभूतिकृत हिन्दी नाटक ’उत्तर रामचरितम’ और पणिक्कर लिखित मलयालम नाटक ’तैया तैयम’ और ’कलिवेषम’ का मंचन होगा। फेस्टीवल के तहत रवीन्द्र मंच के मिनी ऑडिटोरियम में 22 व 23 जून को थिएटर पर सेमिनार का आयोजन भी किया जाएगा। इसमें मणिपुर के रतन थियम, करेल के डॉ केजी पॉलोज, कोलकाता के मनीष मित्रा, जम्मू के बलवंत ठाकुर, दिल्ली के डॉ राधावल्लभ त्रिपाठी, भोपाल के उदयन वाजपेई समेत कई एक्सपर्ट अपने विचार व्यक्त करेंगे।
’आओ झूमें गाएं’ आयोजित
रवींद्र मंच सभागार में मंगलवार 18 जून को दर्शक संस्था और स्वरमय दर्शक की ओर से ’आओ झूमें गाएं’ कार्यक्रम आयोजित हुआ। गीत, नृत्य और नाटक की प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मन जीत लिया। इस कार्यक्रम में राजीव भट्ट और प्रोमिला राजीव के निर्देशन में 150 कलाकारों ने कला का प्रदर्शन किया। गीत संगीत के इस कार्यक्रम में कलाकारों ने ’राग बहार’ के स्वर सजाए। राग बहार में छोटा खयाल ’बालमवा मारी री बरन बरन की कलियां खिली’ की प्रस्तुति की गई। गीत ’सावन की रिमझिम छाए बदरवा’ से कलाकारों ने सामूहिक रूप से मानसून का आव्हान किया।
बच्चों ने दिए सामाजिक संदेश
रवींद्र मंच सभागार में अरिहंत नाट्य संस्था की ओर से जनता कॉलोनी में आयोजित थिएटर वर्कशॉप के सामपन पर वर्कशॉप में शामिल हुए नन्हे बच्चों ने दो नाटक ’हमसे हैं आप’ और ’पुलिस कमिश्नर मिर्ची’ में अभिनय किया। नाटकों के माध्यम से बच्चों ने प्राकृतिक भोजन अपनाने और पर्यावरण मित्र बनने का संदेश दिया। नाटक ’हमसे हैं आप’ में पर्यावरण को बचाने का संदेश दिया गया। नाटक में विभिन्न पात्रों के माध्यम से दिखाया गया कि इंसान अपनी सुख सुविधाओं के लिए जंगलों को काट रहा है। जिससे जंगलों में रहने वाले जीव जंतु परेशान होने लगे हैं। अगर ये समस्या जारी रही तो एक दिन सारे जंगल खत्म हो जाएंगे और ये जानवर हमारे घरों में घुसकर आतंक मचाएंगे। अमित शर्मा लिखित नाटक ’पुलिस कमिश्नर मिर्ची’ में आधुनिक दौर के बच्चों को फास्ट फूड के प्रति आसक्त दिखाया गया। अजय जैन और मनोज स्वामी निर्देशित इस नाटक में बच्चों के सपने में आलू महाराज का दरबार आता है जिसमें हरी सब्जियों से परहेज करने के लिए बच्चों को सजा देने की बात होती है। यह सजा पुलिस कमिश्नर मिर्ची के जरिए दिलाई जाती है। नाटक में बच्चों को फास्ट फूड से बचने और हरी सब्जियां ज्यादा खाने की नसीहत दी गई।
रंग पणिक्कर फेस्टीवल में ’कर्णभारम’
महाभारत पर आधारित नाटक ’कर्णभारम’ में कर्ण के अंतर्द्वन्द्व को दिखाया गया। भास रचित इस संस्कृत नाटक का मंचन रंग पणिक्कर फेस्टीवल के दूसरे दिन रविवार को रवींद्र मंच सभागार में किया गया। रवींद्र मंच सोसायटी और नाट्यकुलम जयपुर की ओर से आयोजित इस फेस्टीवल में कावलम पणिक्कर निर्देशित इस नाटक में कर्ण की दुविधा को उम्दा ढंग से मंच पर पेश किया गया। नाटक के कथानक को पांडवों से युद्ध के लिए कुरूक्षेत्र में प्रवेश करने के बाद शुरू हुए कर्ण के अंतर्द्वंद्व पर केंद्रित किया गया था। युद्व भूमि में कर्ण कई बातें सोचता है । इनमें अपनी मां को याद करते हुए सोचता है कि क्या वह कुंती का पुत्र हैं। उसके लिए क्या सही है और क्या गलत। नाटक से पहले कावलम नारायण पणिक्कर के सात नाटकों के हिंदी अनुवाद की पुस्तक ’रंग सप्तक’ का विमोचन हुआ। साथ ही थिएटर के विभिन्न पहुलुओं से जुडे सेमिनार भी हुए, जिनमें ’विजुअल पॉपट्री एंड एथिटिक्स’ पर मणिपुर के मशहूर रंगकर्मी रतन थियम ने कहा कि सौंदर्य का बखान नहीं किया जा सकता । जो व्यक्ति प्रकृति के करीब होता है वही सौंदर्य को अच्छी तरह महसूस कर सकता है। केरल के डॉ केजी पॉलोस ने नाटक में सौंदर्य की कल्पना पर अपने विचार रखे। दर्शकों के अनुसार नाटक की भाषा संस्कृत होने के कारण परेशानी हुई लेकिन संगीत और कलाकारों के अभिनय के भावों ने बहुत प्रभावित किया।
कलाकारों को बीमा का इंतजार
प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को संभाल रहे लोककलाकारों को अभी अपने बीमा के लिए और इंतजार करना होगा। सरकार की ओर से कलाकारों को सोशल सिक्योरिटी प्रोवाइड कराने के लिए बीमा करवाने की पहल की गई थी लेकिन प्रशासन के सुस्त रवैये के चलते योजना कार्यरूप में परिणित नहीं हो पा रही है। योजना के लिए राजस्थान ललित कला अकादमी को नोडल एजेंसी बनाया गया था। जिसने पॉलिसी का ड्राफ्ट बना कला एवं संस्कृति विभाग को भेजा लेकिन वहां से अप्रूवल नहीं मिली है। इस योजना के तहत पारंपरिक लोक कलाकारों को दो तरह की बीमा पॉलिसी का लाभ मिलेगा। जिसमें मेडिक्लेम और ग्रुप इंश्योरेंस शामिल है। इसमें प्रीमियम का दस प्रतिशत अमांउट आर्टिस्ट और 90 प्रतिशत सरकार देगी। योजना के लिए सरकार की ओर से एक करोड का बजट है। राजस्थान ललित कला अकादमी की सचिव नीतू राजेश्वर का कहना है कि पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार करके आर्ट एंड कल्चर डिपार्टमेंट को भिजवाया गया है। वहां से अप्रूवल मिलने का इंतजार है। इसके बाद आगे की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। कलाकारों को जल्द इस योजना का लाभ दिलाने के प्रयास किए जाएंगे।
बच्चों ने दिखाया टैलेंट
रवींद्र मंच सभागार में रविवार को नन्हें बच्चों ने बॉलीवुड और लोकगीतों पर शानदार नृत्याभिनय कर सभी का मन मोह लिया। यहां श्रीहरे कृष्णा कला केंद्र की ओर से समर कैंप के समापन के अवसर पर ’ये बच्चे कमाल के’ कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इसमें 4 से 14 साल तक के बच्चों ने अपनी दमदार प्रस्तुतियां दी। कार्यक्रम में पेंटिंग कांटेस्ट और फैशन शो के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम में गणेश वंदना, कथक, लोकनृत्य, डिस्को, बूगी वूगी, पंजाबी भंडगा आदि प्रस्तुतियां दी गई। नृत्यगुरू पं शंकर कुमार के निर्देशन में सजे इस कार्यक्रम में करीब 90 बच्चों ने भाग लिया।
’एस’ ग्रुप ने मचाया धमाल
रवींद्र मंच के ओपन सभागार में रविवार शाम ’एस’ ग्रुप डांस स्टूडियो का डांस शो हुआ। इसमें बच्चों ने हिंदी फिल्मी गीतों पर हिप हॉप और कंटेम्प्ररी डांस स्टाइल की प्रस्तुति दी। इसमें गो गो गोविंदा, बदतमीज दिल, जो भी थी दुआ, स्कूल चले हम, इशकजादे जैसे गीतों पर नृत्य की आकर्षक प्रस्तुतियां दी। इसके बाद समर कैंप की यादों से सजे वीडियो का प्रोजेक्टर पर प्रदर्शन हुआ।
नानी बाई रो मायरो
रवींद्र मंच सभागार में सोमवार शाम राजस्थानी नाटक नानी बाई रो मायरो का मंचन हुआ। दृश्य भारती सांस्कृतिक व सामाजिक संस्था की ओर से प्रस्तुति में भक्त की भक्ति और संघर्ष के दिनों में भगवान की कृपा के दृश्य देखे गए। इस म्यूजिकल प्रस्तुति का निर्देशन एन के पालीवाल ने किया।
नर नारी का मंचन 5 जुलाई को
रवींद्र मंच ऑडीटोरियम में शुक्रवार को शाम सवा सात बजे नाटक ’नर नारी’ का मंचन किया जाएगा। नाग बोडस लिखित इस नाटक को गूंज संस्था के रंगकर्मी पेश करेंगे। नाटक का निर्देशन कपिल कुमार बालक ने किया है। अंतरिक्ष नागरवाल, दीपक गुर्जर, विनोद जोशी, जितेंद्र परमार, मनीष गोपलानी, भारती पेरवानी, प्रेरणा सैनी, राहुल मिश्रा आदि कलाकार मंच पर अभिनय करेंगे।
’सबसे बड़ा रूपैया’ का मंचन 15 जुलाई को
रवींद्र मंच ऑडीटोरियम में 15 जुलाई को नाटक ’सबसे बड़ा रूपैया’ का मंचन किया जाएगा। पीपुल्स मीडिया थिएटर की ओर से आयोजित एक्टिंग वर्कशॉप के समापन पर होने वाला यह नाटक कृष्ण चंदर की कहानी ’सस्ते सिर’ पर आधारित है। नाटक का निर्देशन सुनील शर्मा करेंगे। वर्कशॉप में पार्टिसिपेट करने वाले लगभग 20 रंगकर्मी इसमें अभिनय करेंगे।
’अभिमन्यु चक्रव्यूह में’ का मंचन 19 जुलाई को
रवींद्र मंच सभागार में 19 जुलाई को नाटक ’अभिमन्यु चक्रव्यूह में’ का मंचन किया जाएगा। कल्चरल सोसायटी ऑफ राजस्थान की ओर से होने वाले इस नाटक का निेर्देशन वरिष्ठ रंगकर्मी हेमचंद्र ताम्हणकर करेंगे। किरणजीत लिखित इस नाटक में देश के नववनिर्माण का संदेश दिया जाएगा। लोगों को ईमानदार बनने और कर्तव्यनिष्ठ होने की सीख दी जाएगी। नाटक में नवीन, सौरभ, सुमित, दीपक, श्रुति, मीनू, चारण और मुकेश अभिनय करेगे।
कला प्रेमियों में रविंद्र मंच का ही एक कलाकार हूँ, और में आपको बताना चाहता हूँ की यहाँ की हालत बहुत खराब है। यहाँ कभी- कभी तो पीने का पानी भी नही आता है, जिससे कलाकारों को बड़ी समस्या होती है। ठीक से व्यस्था नही होने से आस पास घनी जंगली झड़ियाँ उग गयी है। इसकी बाहरी बनावट तो बहुत जर्जर स्तिथि में है, इसका ऊपरी मलबा कभी भी गिर सकती है, और हाल ही में गिर भी चुकी है। यहाँ गार्डेन में बैठने की सुविधा नही है, यहाँ के dogs ने ठीक से देखाभाल ना होने से garden में गड्डे कर दिये हैं। यहाँ के सभी गेट कभी भी नहीं खुलते, जिस वजह से वहाँ जंगली पौधे उग गए है जहाँ पर जहरीले कीड़े पैदा हो गए है। यहाँ के गार्ड्स का बात करने का तरीका भी बहुत बुरा है, वो यहाँ किसी भी local tourist को नहीं आने देते, ना garden में बैठने देते हैं। आपको कभी भी gate पर कोई guard नही मिलेगा वो लोग अंदर बिल्डिंग में बैठे रहते है। यहाँ कोई खाने पीने के लिए थड़ी तक नहीं है, हमे इसके लिए भी दूर जाना पड़ता है। और जिस modern art gellery की बात की गयी है वो आज तक शुरू नही हुई, और शायद कभी होगी भी नहीं, कलाकारों तक का वहाँ जाना मना है और जिस “डागर आर्काइव ” की बात की जा रही है वो तो मैने ही आज तक नही देखी।
आप चाहे तो खुद यहाँ आकर देख सकते है।
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